सीएए-एनआरसी पर भाजपा के साथ मतभेद के चलते अकाली दल नहीं लड़ेगा दिल्ली चुनाव

शिरोमणि अकाली दल के नेता और राजौरी गार्डन से विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल की पुरजोर राय है कि मुसलमानों को नागरिकता संशोधन कानून से अलग नहीं रखा जा सकता. हम एनआरसी के भी पुरजोर खिलाफ हैं.

अकाली दल नेता मनजिंदर सिंह सिरसा के साथ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह. (फोटो: पीटीआई)

शिरोमणि अकाली दल के नेता और राजौरी गार्डन से विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल की पुरजोर राय है कि मुसलमानों को नागरिकता संशोधन कानून से अलग नहीं रखा जा सकता. हम एनआरसी के भी पुरजोर खिलाफ हैं.

अकाली दल नेता मनजिंदर सिंह सिरसा के साथ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह. (फोटो: पीटीआई)
अकाली दल नेता मनजिंदर सिंह सिरसा के साथ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: शिरोमणि अकाली दल ने सोमवार को कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर सहयोगी भाजपा द्वारा उसका रुख बदलने के लिए कहे जाने के बाद वह अगले महीने होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव में नहीं उतरेगी.

अकाली दल नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भाजपा के साथ चुनाव से संबंधित तीन बैठकों में उनकी पार्टी से सीएए पर उसके रुख पर विचार करने को कहा गया.

राजौरी गार्डन विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट पर विधायक बन चुके सिरसा ने कहा, ‘भाजपा के साथ हमारी बैठक में हमसे सीएए पर रुख पर फिर से विचार करने को कहा गया लेकिन हमने ऐसा करने से मना कर दिया. शिरोमणि अकाली दल की पुरजोर राय है कि मुसलमानों को सीएए से अलग नहीं रखा जा सकता.’

उन्होंने कहा, ‘हम राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के भी पुरजोर खिलाफ हैं.’

अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने इससे पहले कहा था कि सीएए में प्रताड़ित मुस्लिमों को भी शामिल किया जाना चाहिए.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सिरसा ने कहा, ‘अकाली दल-भाजपा का एक लंबा गठबंधन रहा है लेकिन जब लोगों के कल्याण के संबंध में हमारे मूल सिद्धांत की बात आती है तो धर्म और जाति के नाम पर विभाजन नहीं हो सकता. इसलिए हमने चुनाव नहीं लड़ने को प्राथमिकता दी.’

हम नहीं चाहते हैं कि एनआरसी लाया जाए और लोगों को कतार में खड़ा किया जाए और उनके पूर्वजों की पहचान को साबित किया जाए.

हालांकि, भाजपा सूत्रों का दावा है कि गठबंधन टूटने में सीटों के बंटवारे की भी भूमिका है. अकाली दल छह सीटों पर लड़ने की इच्छुक थी लेकिन भाजपा उसे चार सीटें ही देने को तैयार थी. इसके साथ ही इस बात पर भी विवाद था कि चुनाव किसके चिन्ह पर लड़ा जाएगा.

अकाली दल ने भाजपा के साथ गठबंधन करके 2013 और 2015 के विधानसभा चुनावों में चार सीटों हरि नगर, राजौरी गार्डन, कालकाजी और शाहदरा पर चुनाव लड़ा था. पार्टी ने 2013 में तीन सीटें जीतीं जबकि 2015 के चुनावों में सभी सीटें हार गई. सिरसा ने बाद में एक उपचुनाव में राजौरी गार्डन सीट जीती.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)