सुप्रीम कोर्ट ने टाटा-मिस्त्री मामले में एनसीएलएटी के आदेश पर रोक लगाई

इससे पहले 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने साइरस मिस्त्री को दोबारा टाटा संस का कार्यकारी चेयरमैन बनाने के एनसीएलएटी के आदेश पर रोक लगा दी थी.

रतन टाटा और साइरस मिस्त्री. (फोटो: पीटीआई)

इससे पहले 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने साइरस मिस्त्री को दोबारा टाटा संस का कार्यकारी चेयरमैन बनाने के एनसीएलएटी के आदेश पर रोक लगा दी थी.

रतन टाटा और साइरस मिस्त्री. (फोटो: पीटीआई)
रतन टाटा और साइरस मिस्त्री. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी पंजीयक (रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज या आरओसी) की याचिका निरस्त करने के राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश पर शुक्रवार को रोक लगा दी.

कंपनी पंजीयक ने टाटा-मिस्त्री मामले में एनसीएलएटी के आदेश में संशोधन की याचिका दायर की थी.

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्य कांत की पीठ टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड की अपील पर सुनवाई करने को सहमत हो गई है. पीठ ने संबंधित पक्षों को इसे लेकर नोटिस जारी किया.

शीर्ष न्यायालय ने कहा कि वह एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ टाटा संस द्वारा दायर मुख्य याचिका के साथ ही इस मामले की सुनवाई करेगा.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने साइरस मिस्त्री को पुन: टाटा समूह का कार्यकारी चेयरमैन बनाने के एनसीएलएटी के आदेश पर 10 जनवरी को रोक लगा दी थी.

इससे पहले टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा ने साइरस मिस्त्री मामले में खुद उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी और कहा था कि मिस्त्री ने अपने समय में निदेशक मंडल के सदस्यों की शक्तियां अपने हाथों में ले ली थीं तथा ‘टाटा ब्रांड’ की छवि खराब कर रहे थे.

रतन टाटा ने कहा था, ‘मिस्त्री के नेतृत्व में खामियां थीं. वह टाटा संस का चेयरमैन बन जाने के बाद भी समय से खुद को अपने पारिवारिक कारोबार से अलग करने तथा पारिवारिक कारोबार से संबंधित हितों के संभावित टकराव की स्थितियों को दूर करने को तैयार नहीं थे जबकि यह इस पद पर उनकी नियुक्ति की पूर्व शर्त थी.’

उन्होंने कहा, ‘मिस्त्री ने सारी शक्तियां व अधिकार अपने हाथों में ले लिया था. इसके कारण निदेशक मंडल के सदस्य टाटा समूह की ऐसी कंपनियों के परिचालन के मामलों में अलग-थलग महसूस कर रहे थे, जहां टाटा संस का ठीक-ठाक पैसा लगा हुआ था. टाटा संस के निदेशक मंडल ने ऐसे मामलों में लिये गये निर्णयों का विरोध भी किया था.’

टाटा-मिस्त्री के मामले में एनसीएलटी और एनसीएलएटी का घटनाक्रम इस प्रकार है –

24 अक्टूबर 2016: साइरस मिस्त्री टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए गए. रतन टाटा अंतरिम चेयरमैन बने.

20 दिसंबर 2016: मिस्त्री परिवार द्वारा समर्थित दो निवेश कंपनियां साइरस इनवेस्टमेंट्स प्राइवेट लि. और स्टर्लिंग इनवेस्टमेंट्स कॉरपोरेशन प्राइवेट लि. एनसीएलटी की मुंबई बेंच में गयी. उन्होंने टाटा संस पर अल्पांश शेयरधारकों के उत्पीड़न और कुप्रबंधन का आरोप लगाया. मिस्त्री को बर्खास्त करने की कार्रवाई को चुनौती दी गयी.

12 जनवरी 2017: टाटा संस ने टीसीएस के तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी और प्रबंध निदेशक एन. चंद्रशेखरन को चेयरमैन बनाया.

6 फरवरी 2017: मिस्त्री को टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के निदेशक मंडल से भी हटाया गया.

6 मार्च 2017: एनसीएलटी मुंबई ने मिस्त्री परिवार की दो निवेश कंपनियों की अर्जी खारिज की. न्यायाधिकरण ने कहा कि अपीलकर्ता कंपनी में न्यूनमत 10 प्रतिशत मालिकाना हक के मानदंड को पूरा नहीं करता.

17 अप्रैल 2017: एनसीएलटी मुंबई ने दोनों निवेश कंपनियों की उस याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें अल्पांश शेयरधारकों के उत्पीड़न का मामला दर्ज कराने को लेकर कम-से-कम 10 प्रतिशत हिस्सेदारी के प्रावधान से छूट देने का आग्रह किया गया था.

27 अप्रैल 2017: ये निवेश कंपनियां अपीलीय न्यायाधिकरण में पहुंचीं .

21 सितंबर 2017: अपीलीय न्यायाधिकरण ने दोनों निवेश कंपनियों की उत्पीड़न और कुप्रबंधन के खिलाफ मामला दायर करने के लिए न्यूनतम हिस्सेदारी के प्रावधान से छूट देने के आग्रह वाली याचिका स्वीकार कर ली. हालांकि उसने मिस्त्री की दूसरी याचिका को खारिज कर दिया, जिसे एनसीएलटी विचार करने लायक नहीं होने के आधार पर खारिज किया था. अपीलीय न्यायाधिकरण ने एनसीएलटी की मुंबई पीठ को नोटिस जारी करने और मामले में सुनवाई करने को कहा.

5 अक्टूबर 2017: निवेश कंपनियों ने दिल्ली में एनसीएलटी की प्रधान पीठ से संपर्क कर पक्षपात का हवाला देते हुए मामले को मुंबई से दिल्ली स्थानांतरित करने का आग्रह किया.

6 अक्टूबर 2017: एनसीएलटी की प्रधान पीठ ने याचिका खारिज कर दी और दोनों निवेश कंपनियों पर 10 लाख रुपये की लागत का जुर्माना थोपा.

9 जुलाई 2018: एनसीएलटी मुंबई ने मिस्त्री की याचिका खारिज की, जिसमें टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाये जाने को चुनौती दी गयी थी.

3 अगस्त 2018: दोनों निवेश कंपनियां एनसीएलटी के आदेश के खिलाफ अपीलीय न्यायाधिकरण गयीं.

29 अगस्त 2018: अपीलीय न्यायाधिकरण ने साइरस मिस्त्री की याचिका सुनवाई के लिए दाखिल कर ली.

18 दिसंबर 2019: अपीलीय न्यायाधिकरण ने मिस्त्री को टाटा संस का कार्यकारी चेयरमैन बहाल करने का आदेश दिया. मामले में अपील करने के लिये टाटा संस को चार सप्ताह का समय दिया गया.

10 जनवरी 2020: सुप्रीम कोर्ट ने एनसीएलटी के आदेश पर रोक लगई.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)