नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते चंद्र कुमार बोस ने नागरिकता संशोधन क़ानून की प्रशंसा की लेकिन कहा कि कुछ बदलाव करने होंगे ताकि किसी भी पीड़ित को नागरिकता दी जा सके, चाहे वे किसी भी धर्म का हो.
कोलकाता: पश्चिम बंगाल भाजपा के उपाध्यक्ष और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते चंद्र कुमार बोस ने गुरुवार को कहा कि वह नेताजी के राजनीतिक मार्ग पर नहीं चल पा रहे हैं और अगर धर्मनिरपेक्षता को लेकर उनकी चिंताओं का समाधान नहीं किया गया तो वह पार्टी में बने रहने पर पुनर्विचार कर सकते हैं.
बोस ने नागरिकता संशोधन कानून की प्रशंसा की लेकिन कहा कि कुछ बदलाव करने होंगे ताकि किसी भी पीड़ित को नागरिकता दी जा सके, चाहे वे किसी भी धर्म के हों.
उन्होंने कहा, ‘मैं भाजपा के मंच का इस्तेमाल करके धर्मनिरपेक्षता और समावेश के सिद्धांतों को फैलाना चाहता हूं. जब मैंने जनवरी 2016 में भाजपा की सदस्यता ली थी तो मैंने यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से कही थी. वे भी इस पर सहमत हुए थे.’
बोस ने कहा, ‘लेकिन अब मुझे लग रहा है कि मैं नेताजी के सिद्धांतों का पालन नहीं कर पा रहा. अगर यह चलता रहा तो मुझे पार्टी में बने रहने पर सोचना होगा. लेकिन मैं नरेंद्र मोदीजी से बात किये बिना कोई फैसला नहीं लूंगा.’
पिछले कुछ दिनों से लगातार चंद्र बोस भाजपा से अपनी असहमतियां व्यक्त कर रहे हैं. इससे पहले उन्होंने कहा था कि चूंकि हमारे (भाजपा) नंबर हैं इसकी वजह से हम आतंक की राजनीति नहीं कर सकते हैं.
उन्होंने कहा था, ‘हमारा काम लोगों को यह समझाना है कि क्या सही है और क्या गलत. आप अपमानजनक नहीं हो सकते हैं. सीएए के लाभों को समझाने के लिए लोगों तक पहुंचना चाहिए.’
सीके बोस ने कहा कि चूंकि नागरिकता संशोधन कानून संसद से पारित किया गया है, इसलिए यह उन पर बाध्यकारी है. लेकिन किसी लोकतांत्रिक देश में कोई भी कानून जनता पर थोपा नहीं जा सकता है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)