मध्य प्रदेश में चल रहे उग्र किसान आंदोलन के बीच शनिवार से अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को इसे ख़त्म कर दिया.
रविवार को उपवास स्थल पर प्रदेश के तमाम भाजपा नेताओं ने भाषण दिया. इस दौरान भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने अपने भाषण में कहा, ‘यहां मैं कल से बैठा हुआ हूं. बहुत सारे किसान संगठन आए. माननीय शिवराज जी से कह रहे हैं आपकी कोई गलती नहीं है. आपने तो हमारे लिए इतना किया कि हम आपके पैर धो के पीएं तो भी कम हैं.’
वे आगे कहते हैं, ‘ये किसान भाई बोल रहे हैं. किसान संगठन के लोग बोल रहे हैं. आपने इतना किया. आपको उपवास करने की ज़रूरत नहीं है. हम आपके साथ हैं. हम आंदोलन वापस लेने के लिए तैयार हैं.’
विजयवर्गीय कहते हैं, ‘कल तो बहुत ही दर्दनाक सीन था, जब मृतक परिवार के लोग स्वयं आकर शिवराज सिंह चौहान से बोलकर गए कि शिवराज भइया आप उपवास पर मत बैठिए, हम आपके साथ हैं. बहुत बड़ा दिल, बहुत बड़ा कलेजा है उस परिवार का… जिस परिवार के लोग चार दिन पहले अपने जिगर के टुकड़े की लाश श्मशान लेकर गए और चार दिन भी नहीं हुए यहां आकर शिवराज जी के साथ समर्थन देकर इस मंच पर साथ खड़ा हुआ.’
विपक्ष पर निशाना साधते हुए वे कहते हैं कि प्रदेश में उन्हें पैर रखने की भी जगह नहीं मिली तो वे कुछ भी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश के सारे किसान शिवराज सिंह के साथ हैं.
बहरहाल, भोपाल के भेल क्षेत्र स्थित दशहरा मैदान में शनिवार को उपवास शुरू करते हुए शनिवार शनिवार को मुख्यमंत्री ने कहा था कि वह तब तक सिर्फ पानी ही पीएंगे जब तक कि प्रदेश के हालात नहीं सुधर जाते.
रविवार को उपवास तोड़ने से पहले चौहान ने कहा, ‘प्रदेश में शांति बहाली हो गई है. शनिवार और रविवार को हिंसा की कोई भी रिपोर्ट मध्य प्रदेश से नहीं आई है. इसलिए अब मैं उपवास तोड़ रहा हूं.’
भाजपा के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी ने चौहान को एक गिलास नारियल पानी पिलाकर उनका उपवास तुड़वाया.
इससे पहले केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और थावरचंद गहलोत, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा सहित वहां मौजूद लोगों ने मुख्यमंत्री से उपवास ख़त्म करने का अनुरोध किया.
चौहान ने कहा, मंदसौर ज़िले में छह जून को किसान आंदोलन के दौरान पांच किसानों के मारे जाने के लिए जो भी दोषी पाया जाएगा, उसे कड़ी सज़ा दी जाएगी.
मंदसौर इस किसान आंदोलन का मुख्य केंद्र रहा. वहां पर छह जून को पुलिस की गोलीबारी में पांच लोगों की मौत हो गई थी और छह अन्य घायल हो गये थे.
इसके बाद किसान आंदोलन और उग्र हो गया था तथा इस दौरान प्रदेश में विशेष तौर पर पश्चिमी मध्य प्रदेश में हिंसा, आगज़नी, तोड़फोड़ और लूटपाट की कई घटनाएं हुईं. इससे आहत होकर शांति बहाली के लिए मुख्यमंत्री उपवास पर बैठे थे.
अपनी उपज का सही मूल्य और क़र्ज़ माफी समेत 20 सूत्रीय मांगों को लेकर किसानों ने यह आंदोलन शुरू किया था.
मंदसौर में कर्फ्यू में ढील, धारा 144 लागू रहेगी
किसानों के आंदोलन के मुख्य केंद्र बिंदु मंदसौर में कर्फ्यू में ढील के साथ रविवार को स्थिति शांतिपूर्ण रही. हालांकि ज़िले में एहतियात के तहत सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाग्या लागू रहेगी. धारा 144 चार से अधिक लोगों के एक साथ जमावड़े पर प्रतिबंध लगाता है.
मंदसौर शहर के सभी तीन पुलिस थानों से कल कर्फ्यू हटा लिया गया था, लेकिन मंदसौर ज़िला मुख्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पिपलियामंडी पुलिस थाना इलाका में कर्फ्यू बना रहेगा. किसानों के आंदोलन के दौरान पिपलियामंडी पुलिस थाना इलाका में पुलिस की अलग कार्रवाई में पांच किसानों की मौत हो गई थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से सहयोग के साथ)