केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने संसद में दावा किया था कि जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म होने और विभिन्न पाबंदियों के बाद राज्य में पर्यटन पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है. हालांकि आरटीआई के तहत प्राप्त की गई जानकारी उनके दावे के उलट तस्वीर बयां करती है.
नई दिल्ली: पिछले साल अगस्त महीने में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म कर जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने की वजह से राज्य के पर्यटन पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है. द वायर द्वारा सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेजों से ये खुलासा होता है.
अगस्त 2019 से दिसंबर 2019 के बीच कश्मीर आने वाले पर्यटकों की संख्या मोदी सरकार द्वारा बहुप्रचारित कश्मीर की ‘सामान्य स्थिति’ होने के दावे से बिल्कुल विपरीत है. यहां तक कि इस संबंध में मोदी के केंद्रीय पर्यटन मंत्री ने संसद में झूठ भी बोला है.
2 अगस्त, 2019 को सरकार ने अचानक से एक आदेश जारी कर ‘आतंकी खतरों’ का हवाला देते हुए अमरनाथ यात्रा को स्थगित करने और सभी पर्यटकों को कश्मीर घाटी छोड़ने के लिए कहने के लिए कहा था. यह आदेश 9 अक्टूबर 2019 तक लागू रहा, जिसकी वजह से राज्य के पर्यटन पर बहुत ज्यादा असर पड़ा है.
कश्मीर पर्यटन विभाग से आरटीआई के तहत प्राप्त की गई जानकारी अनुसार अगस्त 2019 में पर्यटकों की संख्या 10,130 थी. इसकी तुलना में साल 2018 में पर्यटकों की संख्या 85,534 थी और 2017 में 1,64,395 था.
इसके अगले महीने सितंबर में पर्यटकों के आगमन में और गिरावट आई और ये संख्या गिरकर 4,562 पहुंच गई.
वहीं अक्टूबर 2019 में पर्यटकों की संख्या सिर्फ 9,327 थी. नवंबर और दिसंबर महीने में भी काफी कम पर्यटकों का आगमन हुआ. प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस महीने में पर्यटकों की संख्या मात्र 12,086 और 6,954 रही.
कुल मिलाकर देखें तो अगस्त से दिसंबर 2019 के दौरान सिर्फ 43,059 पर्यटक कश्मीर आए. ये संख्या साल 2018 के अगस्त से दिसंबर महीने मुकाबले करीब 86 फीसदी कम है. अगस्त-दिसंबर 2018 के दौरान कश्मीर में कुल 3,16,424 पर्यटक आए थे.
वहीं अगर साल 2017 से इसकी तुलना करें तो ये संख्या 93 फीसदी कम है. अगस्त-दिसंबर 2017 के दौरान कश्मीर में 6,11,354 पर्यटक आए थे.
इस तरह जम्मू कश्मीर पर्यटन विभाग का जवाब मोदी सरकार द्वारा बहुप्रचारित ‘सामान्य स्थिति’ होने के दावे से बिल्कुल विपरीत है. हालांकि केंद्र सरकार ने संसद में जवाब देते हुए इस हिस्से को हटा दिया.
द वायर ने इस साल के शुरुआत में रिपोर्ट कर बताया था कि केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने संसद में दावा किया था कि जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म होने और विभिन्न पाबंदियों के बाद राज्य में पर्यटन पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है. हालांकि आरटीआई के तहत पर्यटन विभाग द्वारा दी गई जानकारी उनके दावे के उलट तस्वीर बयां करती है.
इतना ही नहीं, पटेल ने संसद में सीधा झूठ बोला कि पर्यटन राजस्व में गिरावट का कोई आंकड़ा नहीं है.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)