आंध्र प्रदेश मंत्रिमंडल ने विधान परिषद खत्म करने संबंधी प्रस्ताव पारित किया

वाईएस जगनमोहन रेड्डी की सरकार पिछले हफ्ते राज्य विधानसभा के उच्च सदन में राज्य में तीन राजधानियों से संबंधित महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करवाने में विफल रही थी. इसी के बाद राज्य मंत्रिमंडल ने यह कदम उठाया है.

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी. (फोटो साभार: पीटीआई)

वाईएस जगनमोहन रेड्डी की सरकार पिछले हफ्ते राज्य विधानसभा के उच्च सदन में राज्य में तीन राजधानियों से संबंधित महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करवाने में विफल रही थी. इसी के बाद राज्य मंत्रिमंडल ने यह कदम उठाया है.

Amaravati: Andhra Pradesh Chief Minister YS Jagan Mohan Reddy in a meeting with his council of ministers at the Secretariat in Amaravati, Wednesday, Oct. 30, 2019. (PTI Photo) (PTI10_30_2019_000161B)
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी. (फोटो: पीटीआई)

अमरावती: आंध्र प्रदेश के मंत्रिमंडल ने सोमवार को एक प्रस्ताव पारित कर राज्य विधान परिषद को समाप्त करने की प्रक्रिया को हरी झंडी दिखा दी. इस तरह का प्रस्ताव विधानसभा में भी लाया जाएगा और इसे आवश्यक कार्यवाही के लिए केंद्र के पास भेजा जाएगा.

आंध्र की 58 सदस्यीय परिषद में वाईएसआर कांग्रेस नौ सदस्यों के साथ अल्पमत में है. इसमें विपक्षी तेलगु देशम पार्टी के 28 सदस्य हैं. सत्तारुढ़ दल सदन में वर्ष 2021 में ही बहुमत प्राप्त कर पाएगा जब विपक्षी सदस्यों का छह साल का कार्यकाल खत्म हो जाएगा.

दरअसल वाईएस जगनमोहन रेड्डी की सरकार पिछले हफ्ते राज्य विधानसभा के उच्च सदन में राज्य में तीन राजधानियों से संबंधित महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करवाने में विफल रही थी. इसी के बाद राज्य मंत्रिमंडल ने यह कदम उठाया है.

आंध्र प्रदेश विधान परिषद के सभापति एमए शर्रीफ ने 22 जनवरी को दो विधेयकों- आंध्र प्रदेश विकेंद्रीकरण और सभी क्षेत्रों के समावेशी विकास विधेयक, 2020 और आंध्र प्रदेश राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण (सीआरडीए) अधिनियम (निरसन) विधेयक- को गहन जांच के लिए प्रवर समिति के पास भेज दिया था.

चेयरमैन ने कहा था कि वह टीडीपी की मांग पर नियम 154 के तहत अपनी विवेकाधीन शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए प्रवर समिति पास इन विधेयकों को भेज रहे हैं.

इसके बाद मुख्यमंत्री ने विधानसभा से कहा, ‘हमें गंभीरता से सोचने की जरूरत है कि क्या हमें ऐसे सदन की आवश्यकता है जो केवल राजनीतिक मंशा के साथ कार्य करता प्रतीत हो. परिषद का होना अनिवार्य नहीं है, जो हमारी अपनी रचना है, और यह केवल हमारी सुविधा के लिए है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘तो हम सोमवार को इस मुद्दे पर आगे चर्चा करें और परिषद को जारी रखने या न रखने पर निर्णय लें.’

वास्तव में वाईएसआर कांग्रेस ने 17 दिसंबर को पहली बार परिषद को खत्म करने की धमकी दी थी जब यह स्पष्ट हो गया था कि टीडीपी अनुसूचित जातियों के लिए एक अलग आयोग बनाने और सभी सरकारी स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम में बदलने से संबंधित दो विधेयकों को रोकने पर आमादा थी.

चूंकि 17 दिसंबर को विधानमंडल को स्थगित कर दिया गया था, इसलिए आगे कोई कार्रवाई नहीं की गई. लेकिन पिछले हफ्ते यह मुद्दा फिर उठ गया जब टीडीपी तीन-राजधानियों की योजना के विरोध में अपने रुख पर कायम रही.

वाईएसआर कांग्रेस अपने पक्ष में दो टीडीपी सदस्यों को लाने में कामयाब रही, लेकिन सरकार परिषद में तीन राजधानियों वाले विधेयक को पारित कराने में विफल रही.

 (समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)