केरल के राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान के नीतिगत संबोधन के दौरान विपक्षी दल कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ विधायकों ने विधानसभा में उनका रास्ता रोका और नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ ‘वापस जाओ’ के नारे लगाए.
तिरुवनंतपुरम: केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने बुधवार को सदन में वाम सरकार का अपना नीतिगत संबोधन देते हुए राज्य विधानसभा द्वारा पारित संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) विरोधी प्रस्ताव पर संदर्भों को पढ़ा.
हालांकि, इस दौरान केरल में विपक्षी दल कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ विधायकों ने विधानसभा में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का रास्ता रोका और नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ ‘वापस जाओ’ के नारे लगाए तथा बैनर दिखाए.
विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव और कानून के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करने के कदम को लेकर राज्य सरकार के साथ टकराव रखने वाले खान ने कहा कि हालांकि उनकी इस विषय पर ‘आपत्तियां और असहमति’ है लेकिन वह मुख्यमंत्री की इच्छा का ‘सम्मान’ करते हुए नीतिगत संबोधन के 18वें पैराग्राफ को पढ़ेंगे. पैराग्राफ 18 सीएए विरोधी प्रस्ताव से संबंधित है.
उन्होंने कहा, ‘मैं यह पैरा (पैराग्राफ 18) पढ़ने जा रहा हूं क्योंकि माननीय मुख्यमंत्री चाहते हैं कि मैं यह पढूं. हालांकि मेरी यह राय है कि यह नीति या कार्यक्रम की परिभाषा के तहत नहीं आता है.’
इस संबंध में माकपा के नेतृत्व वाली एलडीएफ सरकार के साथ हालिया संवाद का जिक्र करते हुए खान ने कहा कि मुख्यमंत्री ने खुद उनसे पत्र में कहा था कि ‘यह सरकार का रुख है.’
राज्यपाल ने कहा कि हालांकि वह इस पर असहमत हैं लेकिन वह मुख्यमंत्री विजयन की इच्छा का सम्मान करते हुए इस पैराग्राफ को पढ़ रहे हैं.
Thiruvananthapuram: State assembly marshals escort Kerala Governor Arif Mohammad Khan to his chair as United Democratic Front (UDF) MLAs continue to raise slogans of "recall Governor". pic.twitter.com/WHoIivugM5
— ANI (@ANI) January 29, 2020
राज्य सरकार के सीएए विरोधी रुख भरे संदर्भों को पढ़ते हुए उन्होंने कहा, ‘हमारी नागरिकता धर्म के आधार पर नहीं हो सकती क्योंकि यह धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ है जो कि हमारे संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है.’
उन्होंने कहा, ‘केरल विधानसभा ने सीएए 2019 को रद्द करने का केंद्र से अनुरोध करते हुए सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया. मेरी सरकार को लगता है कि यह कानून हमारे संविधान में प्रदत्त प्रमुख सिद्धांतों के खिलाफ है.’
खान ने कहा कि सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 को हटाने का अनुरोध करते हुए उच्चतम न्यायालय में एक याचिका भी दायर की.
उन्होंने कहा, ‘मजबूत राज्य और मजबूत केंद्र हमारे संघवाद के स्तंभ हैं. जब संवैधानिक मूल्यों की बात हो और बड़े पैमाने पर आपत्तियों हो तो राष्ट्र के व्यापक हित को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार को राज्यों की असली आपत्तियों पर विचार करने की जरूरत होनी चाहिए.’
एनडीटीवी के अनुसार, इससे पहले जब मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और अध्यक्ष पी. श्रीरामकृष्णन ने खान को नीति संबोधन के लिए विधानसभा को बुलाया तब केरल में विपक्षी दल कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ विधायकों ने विधानसभा में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का रास्ता रोका और नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ ‘वापस जाओ’ के नारे लगाए तथा बैनर दिखाए.
प्रदर्शन के तकरीबन 10 मिनट के बाद मार्शलों ने बल प्रयोग कर विपक्षी सदस्यों को हटाया और राज्यपाल के लिए आसन तक रास्ता बनाया. राज्यपाल के आसन तक पहुंचते ही राष्ट्रगान बजाया गया लेकिन विपक्ष के सदस्य आसन के समीप एकत्रित हो गए और राष्ट्रगान पूरा होने के तुरंत बाद उन्होंने ‘राज्यपाल वापस जाओ’ के नारे लगाने शुरू कर दिए.
जब खान ने अपना नीति संबोधन शुरू किया तो विपक्षी सदस्यों ने नारेबाजी करते हुए विधानसभा से बायकॉट किया. नीति संबोधन का बहिष्कार करने के बाद उन्होंने विधानसभा के प्रवेश द्वार पर धरना दिया.
बता दें कि केरल सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव लाया था. इसके साथ ही केरल सरकार ने इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. इसके बाद से राज्यपाल केरल सरकार से नाराज हैं और इश संबंध में उन्होंने तल्ख टिप्पणियां भी की थीं.
वहीं, खान ने विधानसभा से प्रस्ताव पारित करने को अंसवैधानिक बताते हुए उन्हें सूचित किए बिना सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए माकपा नीत लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) सरकार से रिपोर्ट मांगी है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)