एल्गार परिषद मामले के दस्तावेजों के लिए एनआईए ने विशेष यूएपीए अदालत में की अपील

एनआईए अधिकारियों के एक दल ने सोमवार को पुणे सिटी पुलिस को आधिकारिक रूप से सूचित किया था कि एजेंसी एल्गार परिषद मामले की जांच करेगी, जिसमें पुणे पुलिस ने अब तक 23 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है और उनके प्रतिबंधित भाकपा-माओवादी से कथित संबंधों के लिए नौ लोगों को गिरफ्तार किया है.

भीमा-कोरेगांव में बना विजय स्तंभ. भीमा-कोरेगांव की लड़ाई में पेशवा बाजीराव द्वितीय पर ईस्ट इंडिया कंपनी ने जीत दर्ज की थी. इसकी याद में कंपनी ने विजय स्तंभ का निर्माण कराया था, जो दलितों का प्रतीक बन गया. कुछ विचारक और चिंतक इस लड़ाई को पिछड़ी जातियों के उस समय की उच्च जातियों पर जीत के रूप में देखते हैं. हर साल 1 जनवरी को हजारों दलित लोग श्रद्धाजंलि देने यहां आते हैं. (फोटो साभार: विकीपीडिया)

एनआईए अधिकारियों के एक दल ने सोमवार को पुणे सिटी पुलिस को आधिकारिक रूप से सूचित किया था कि एजेंसी एल्गार परिषद मामले की जांच करेगी, जिसमें पुणे पुलिस ने अब तक 23 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है और उनके प्रतिबंधित भाकपा-माओवादी से कथित संबंधों के लिए नौ लोगों को गिरफ्तार किया है.

भीमा-कोरेगांव में बना विजय स्तंभ. भीमा-कोरेगांव की लड़ाई में पेशवा बाजीराव द्वितीय पर ईस्ट इंडिया कंपनी ने जीत दर्ज की थी. इसकी याद में कंपनी ने विजय स्तंभ का निर्माण कराया था, जो दलितों का प्रतीक बन गया. कुछ विचारक और चिंतक इस लड़ाई को पिछड़ी जातियों के उस समय की उच्च जातियों पर जीत के रूप में देखते हैं. हर साल 1 जनवरी को हजारों दलित लोग श्रद्धाजंलि देने यहां आते हैं. (फोटो साभार: विकीपीडिया)
भीमा-कोरेगांव में बना विजय स्तंभ. भीमा-कोरेगांव की लड़ाई में पेशवा बाजीराव द्वितीय पर ईस्ट इंडिया कंपनी ने जीत दर्ज की थी. इसकी याद में कंपनी ने विजय स्तंभ का निर्माण कराया था, जो दलितों का प्रतीक बन गया. कुछ विचारक और चिंतक इस लड़ाई को पिछड़ी जातियों के उस समय की उच्च जातियों पर जीत के रूप में देखते हैं. हर साल 1 जनवरी को हजारों दलित लोग श्रद्धाजंलि देने यहां आते हैं. (फोटो साभार: विकीपीडिया)

पुणे: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अधिकारियों ने बुधवार को पुणे में विशेष यूएपीए अदालत में एल्गार परिषद मामले से संबंधित दस्तावेज प्राप्त करने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया. एनआईए ने अदालत को यह भी बताया कि मामले में एक ताजा प्राथमिकी 27 जनवरी को दर्ज की गई है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, एनआईए अधिकारियों के एक दल ने सोमवार को पुणे सिटी पुलिस को आधिकारिक रूप से सूचित किया था कि एजेंसी एल्गार परिषद मामले की जांच करेगी, जिसमें पुणे पुलिस ने अब तक 23 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है और उनके प्रतिबंधित भाकपा-माओवादी से कथित संबंधों के लिए नौ लोगों को गिरफ्तार किया है.

पुणे पुलिस के अधिकारियों ने मामले के बारे में एनआईए टीम के साथ चर्चा की थी लेकिन उन्हें बताया था कि मामले के कागजात उन्हें महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक के कार्यालय से आदेश प्राप्त होने के बाद ही सौंपे जाएंगे.

मामले में एक आरोपी के लिए बचाव पक्ष के वकील रोहन नाहर ने कहा, हमारी जानकारी के लिए, मुंबई में विशेष एनआईए कोर्ट के लिए सभी रिकॉर्ड और कार्यवाहियों के हस्तांतरण के लिए एनआईए द्वारा विशेष अदालत पुणे में एक आवेदन किया गया है. इसमें यह भी संकेत दिया गया है कि एनआईए ने एक नया एफआईआर 27/01/2020 को दर्ज किया है. राज्य और सभी आरोपियों को बात रखने के लिए बुलाया गया है और मामले को सोमवार को सुनवाई के लिए रखा गया है.

हाल ही में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार ने प्रतिबंधित भाकपा-माओवादी के साथ कथित संबंधों के लिए एल्गार परिषद मामले में कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर सवाल उठाए थे और पुणे सिटी पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) की भी मांग की थी.

पवार के आरोपों के बाद उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और गृहमंत्री अनिल देशमुख एल्गार परिषद की जांच को संभालने वाले पुलिस अधिकारियों के साथ पिछले हफ्ते गुरुवार को समीक्षा ’बैठक की थी. इसके बाद शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मामले की जांच एनआईए को सौंप दी थी.

पुणे सिटी पुलिस का आरोप है कि भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं वर्षगांठ से पहले 31 दिसंबर, 2017 को शनिवार वाड़ा में एल्गार परिषद ने रणनीति के तहत भाकपा-माओवादी से मिले पैसे से एक कॉन्फ्रेंस आयोजित की थी.

जून 2018 में पुणे पुलिस ने पांच कार्यकर्ताओं और वकीलों को गिरफ्तार किया था, जिसमें दावा किया गया था कि उनके प्रतिबंधित नक्सली संगठन से संबंध थे और सम्मेलन के आयोजन में उनकी भूमिका थी.

इसके बाद अगस्त, 2018 में पुणे पुलिस ने दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, गोवा और रांची में आठ प्रमुख कार्यकर्ताओं के घरों पर एक साथ तलाशी ली थी. हालांकि, तीन महीने तक अदालती आदेश के कारण कार्यकर्ता गिरफ्तारी से बचे रहे और फिर तीन महीने बाद पुलिस को छत्तीसगढ़ स्थित सुधा भारद्वाज और हैदराबाद स्थित वरवरा राव सहित चार कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने में सफलता मिल गई थी.

उसके बाद से सभी नौ कार्यकर्ता और वकील जेल में हैं. वहीं, गोवा स्थित शिक्षाविद और प्रोफेसर आनंद तेलतुंबड़े और दिल्ली स्थित गौतम नवलखा अदालती आदेश से गिरफ्तारी से बचने में सफल रहे हैं.