केंद्रीय कानून मंत्रालय को पत्र लिखकर चुनाव आयोग ने अदालत की अवमानना अधिनियम, 1971 में बदलाव करने की मांग की है.
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की विश्वसनीयता पर जारी बहस की वजह से भारतीय निर्वाचन आयोग नाराज़ नज़र आ रहा है.
केंद्रीय क़ानून मंत्रालय को एक पत्र लिखकर चुनाव आयोग ने अवमानना की कार्रवाई कर पाने का अधिकार मांगा है ताकि आधारहीन और तथ्यहीन आरोपों के ख़िलाफ़ कड़ा क़दम उठा सके.
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, आयोग ने क़ानून मंत्रालय को यह पत्र तकरीबन एक महीने पहले लिखा था. पत्र में अदालत की अवमानना अधिनियम, 1971 में बदलाव करने की मांग की है.
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि अधिनियम में बदलाव की ये मांग इसलिए रखी गई है ताकि अवमानना करने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में चुनाव आयोग सक्षम हो सके.
पत्र में आयोग ने कुछ देशों के निर्वाचन आयोग और उनकी कार्यप्रणाली का भी ज़िक्र किया है. भारतीय निर्वाचन आयोग ने पाकिस्तान का उदाहरण देते हुए मंत्रालय से कहा है कि वहां के निर्वाचन आयोग के पास ये अधिकार है कि अवमानना करने वालों के ख़िलाफ़ वह कार्रवाई कर सके.
पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग ने इसी साल एक मामले में पक्षपात का आरोप लगाने वाले क्रिकेटर से राजनीतिज्ञ बने इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ अवमानना का नोटिस जारी किया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि क़ानून मंत्रालय फिलहाल निर्वाचन आयोग के इस प्रस्ताव पर विचार-विमर्श कर रहा है.
इससे पहले इस साल फरवरी में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद ईवीएम की विश्वसनीयता पर तमाम दलों ने सवाल उठाए थे.
आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब विधानसभा चुनाव और दिल्ली नगर निगम चुनाव में पार्टी को मिली शिकस्त के पीछे ईवीएम से की गई छेड़छाड़ को ज़िम्मेदार ठहराया था.
केजरीवाल ने ईवीएम की गड़बड़ी और चुनाव आयोग की भूमिका को लेकर यहां तक कह दिया था कि ‘चुनाव आयोग धृतराष्ट्र बन गया है, जो अपने बेटे दुर्योधन को साम, दाम, दंड, भेद करके सत्ता में पहुंचना चाहता है.’
केजरीवाल का आरोप है कि चुनाव के दौरान कोई भी बटन दबाने से वोट भाजपा को ही जा रहा था.
इसके अलावा बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी उत्तर प्रदेश चुनाव परिणाम आने के बाद कहा था कि उनकी पार्टी नरेंद्र मोदी से नहीं बल्कि ईवीएम से हारी है.
मायावती ने आरोप लगाया था, ‘इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन ने भाजपा के सिवाय किसी दूसरी पार्टी के वोट को स्वीकार नहीं किया है. या फिर अन्य पार्टियों के वोट भी भाजपा के ख़ाते में चले गए हैं.’