कृषि विकास दर में गिरावट जारी, अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी घटकर 16.5 फीसदी हुई: आर्थिक सर्वे

वित्त वर्ष 2019-20 के लिए कृषि विकास दर घटकर मात्र 2.8 फीसदी पर आ गई है. आर्थिक सर्वे 2019-20 में कृषि क्षेत्र की मूलभूत चुनौतियों का समाधान करने के लिए कहा गया है.

Nagpur: A farmer ploughs his field at a cotton plantation, in Hingna village near Nagpur, Friday, July 5, 2019. (PTI Photo) (PTI7_5_2019_000147B)
Nagpur: A farmer ploughs his field at a cotton plantation, in Hingna village near Nagpur, Friday, July 5, 2019. (PTI Photo) (PTI7_5_2019_000147B)

वित्त वर्ष 2019-20 के लिए कृषि विकास दर घटकर मात्र 2.8 फीसदी पर आ गई है. आर्थिक सर्वे 2019-20 में कृषि क्षेत्र की मूलभूत चुनौतियों का समाधान करने के लिए कहा गया है.

Nagpur: A farmer ploughs his field at a cotton plantation, in Hingna village near Nagpur, Friday, July 5, 2019. (PTI Photo) (PTI7_5_2019_000147B)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार एक तरफ किसानों की आय दोगुनी करने का दावा कर रही है वहीं दूसरी तरफ साल दर साल कृषि विकास दर में गिरावट जारी है. आलम ये है कि वित्त वर्ष 2019-20 के लिए कृषि विकास दर घटकर मात्र 2.8 फीसदी पर आ गई है.

शुक्रवार को जारी किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 से ये जानकारी सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016-17 में 6.3 की दर से कृषि अर्थव्यवस्था में विकास हुआ था. वहीं वित्त वर्ष 2017-18 कृषि विकास दर घटकर पांच फीसदी पर आ गई. हालांकि इसके बाद से हालात काफी बिगड़ने लगा.

वित्त वर्ष 2018-19 में कृषि विकास दर सिर्फ 2.9 फिसदी रही. वहीं आर्थिक सर्वे में अनुमान लगाया गया है कि वित्त वर्ष 2019-20 के दौरा कृषि विकास दर 2.8 फीसदी रहने का अनुमान है.

इसके अलावा भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि की हिस्सेदारी लगातार घटती जा रही है. आर्थिक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान अर्थव्यवस्था (देश के सकल मूल्य वर्धित या जीवीए) में कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रओं की हिस्सेदारी 18.2 फीसदी थी.

लेकिन वित्त वर्ष 2019-20 में कृषि की हिस्सेदारी घटकर 16.5 फीसदी पर आ गई है. हालांकि पिछले साल के 16.1 फीसदी की तुलना में ये मामूली बढ़ोतरी भी है. देश के कुल जीवीए में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों की हिस्सेदारी गैर-कृषि क्षेत्रों के अपेक्षाकृत उच्च विकास प्रदर्शन के कारण घट रही है.

आर्थिक सर्वे में कहा गया, ‘यह विकास प्रक्रिया का एक स्वाभाविक परिणाम है जो अर्थव्यवस्था में होने वाले संरचनात्मक परिवर्तनों के कारण गैर-कृषि क्षेत्रों की तेजी से वृद्धि करता है.’

बता दें कि आर्थिक विकास दर का पता लगाने के लिए जीडीपी (ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट) और डीवीए (ग्रॉस वैल्यू ऐडेड) दोनों के आंकड़ों को देखा जाता है.

इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक साधारण शब्दों में कहा जाए तो जीवीए से किसी अर्थव्यवस्था में होने वाले कुल उत्पादन और आय का पता चलता है. यह बताता है कि एक तय अवधि में इनपुट कॉस्ट और कच्चे माल का दाम निकालने के बाद कितने रुपये की वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन हुआ. इससे यह भी पता चलता है कि किस खास क्षेत्र, उद्योग या सेक्टर में कितना उत्पादन हुआ है.

वहीं जीडीपी उपभोक्ताओं की तरफ से आर्थिक उत्पादन की जानकारी देता है. इसमें निजी खपत, अर्थव्यवस्था में सकल निवेश, सरकारी निवेश, सरकारी खर्च और शुद्ध विदेशी व्यापार (निर्यात और आयात के बीच अंतर) शामिल होता है. विशेषज्ञों का मानना है कि जीवीए अर्थव्यवस्था की स्थिति जानने का सबसे सही तरीका है.

वित्त वर्ष 2014-15 में देश के कुल जीवीए में कृषि का हिस्सा 18.2 फीसदी थआ. वहीं 2015-16 में ये घटकर 17.7 फीसदी पर आ गया. उसके बाद 2016-17 में 17.9 फीसदी, 2017-18 में 17.2 फीसदी और 2018-19 में अब तक का सबसे कम 16.1 फीसदी रहा. वित्त वर्ष 2019-20 में कृषि अर्थव्यवस्था 3,047,187 करोड़ का होने का अनुमान है.

आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि भारत जैसे विकासशील देश का आर्थिक परिवर्तन महत्वपूर्ण रूप से इसके कृषि और संबद्ध क्षेत्र के प्रदर्शन पर निर्भर करता है. यह क्षेत्र ग्रामीण आजीविका, रोजगार और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक करीब 70 फीसदी ग्रामीण परिवार अपनी आजीविका के लिए मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर हैं. इसमें से 82 फीसदी छोटे और मझोले किसान हैं.

आर्थिक सर्वे में इस ओर इशारा किया गया है कि अगर सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को पूरा करना चाहती है तो उसे कृषि क्षेत्र में मूलभूत चुनौतियों का समाधान करना होगा.

रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को कृषि में निवेश, जल संरक्षण, बेहतर कृषि पद्धतियों के माध्यम से पैदावार में सुधार, बाजार तक पहुंच, संस्थागत ऋण की उपलब्धता, कृषि और गैर-कृषि क्षेत्रों के बीच संपर्क बढ़ाना आदि जैसे मुद्दों पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है.