रिपोर्ट में इस ओर इशारा किया गया है कि अगर सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को पूरा करना चाहती है तो उसे कृषि क्षेत्र में मूलभूत चुनौतियों का समाधान करना होगा.
नई दिल्ली: केंद्रीय बजट से एक दिन पहले जारी किए गए आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि भूमि और जल संसाधन एवं मजदूरों में कमी आने के चलते कृषि में उत्पादन और कटाई के बाद के कार्यों की जिम्मेदारी मशीनीकरण पर टिकी हुई है. इसके आधार पर रिपोर्ट में सरकार से कृषि मशीनीकरण को और बढ़ाने के लिए कहा गया है.
भारत में कुल कृषि मशीनीकरण 40-45 प्रतिशत है. वहीं संयुक्त राज्य अमेरिका में 95 प्रतिशत, ब्राजील में 75 प्रतिशत और चीन में 57 प्रतिशत है. इस तरह कई बड़े देशों के मुकाबले भारत में कृषि मशीनीकरण कम है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि मशीनीकरण मानव श्रम और खेती की लागत को कम करने के अलावा प्राकृतिक संसाधनों और अन्य चीजों का विवेकपूर्ण उपयोग करके उत्पादकता बढ़ाने के लिए आधुनिक कृषि का एक जरूरी इनपुट है.
आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक कृषि बिजली और उत्पादन का सीधा संबंध है. सरकार ने खाद्यान्न की बढ़ती मांग से निपटने के लिए 2030 के अंत तक 2.02 किलोवाट प्रति हेक्टेयर (2016-17) से 4.0 किलोवाट प्रति हेक्टेयर तक बिजली की उपलब्धता बढ़ाने का फैसला किया है.
आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि कृषि मशीनीकरण के उपयुक्त उपयोग के माध्यम से भारत की छोटी जोतों का बेहतर उपयोग किया जा सकता है.
इसके अलावा यह भी कहा गया है कि एक प्रभावी जल संरक्षण तंत्र सुनिश्चित करते हुए सिंचाई सुविधाओं के विस्तार की आवश्यकता है. इसके लिए माइक्रो इरिगेशन, जिसमें ड्रिप और स्प्रिंकलर इरिगेशन शामिल हैं, की तकनीक अपनाने को कहा गया है.
इसमें कहा गया है कि इस तकनीक को चावल, गेहूं, प्याज, आलू इत्यादि के उत्पादन में अच्छे से इस्तेमाल किया जा सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक माइक्रो इरिगेशन से 20 से 48 फीसदी पानी की बचत होती है.
इसके अलावा 3 से 40 फीसदी श्रम लागत और 11 से 19 फीसदी उर्वरक में बचत होती है. करीब 20 से 38 फीसदी उत्पादन में वृद्धि होती है.
आर्थिक सर्वेक्षण से ये बात भी सामने आई है कि कृषि ऋण के बंटवारे में बड़ी असमानता देखी जा रही है. आलम ये है कि उत्तर-पूर्व राज्यों को कुल लोन का एक फीसदी से भी कम लोन मिला है. पहाड़ी राज्यों का भी यही हाल है. सबसे ज्यादा कृषि लोन केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में गए हैं.
रिपोर्ट में इस ओर इशारा किया गया है कि अगर सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को पूरा करना चाहती है तो उसे कृषि क्षेत्र में मूलभूत चुनौतियों का समाधान करना होगा.
रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को कृषि में निवेश, जल संरक्षण, बेहतर कृषि पद्धतियों के माध्यम से पैदावार में सुधार, बाजार तक पहुंच, संस्थागत ऋण की उपलब्धता, कृषि और गैर-कृषि क्षेत्रों के बीच संपर्क बढ़ाना आदि जैसे मुद्दों पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है.