सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए भी खाद्य सब्सिडी के बजट को कम करके 108688.35 करोड़ रुपये कर दिया है. इसमें 80,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की कटौती की गई है.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने खाद्य सब्सिडी के बजट में पिछले साल के मुकाबले करीब 70,000 करोड़ रुपये की कटौती की है. वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र की सुरक्षा का बजट बढ़ाकर 600 करोड़ रुपये कर दिया गया है.
बीते शनिवार को वित्त वर्ष 2020-21 के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट में खाद्य सब्सिडी के लिए 115569.68 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. जबकि पिछले बजट में इसी योजना के लिए 184220 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था.
इतना ही नहीं, सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के बजट को भी कम करके 108688.35 करोड़ रुपये कर दिया है. ये आंकड़े दर्शाते हैं कि गरीब वर्ग के लिए बेहद महत्वपूर्ण योजना को सही से लागू नहीं किया जा रहा है. इसे लेकर खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर काम कर रहे कई कार्यकर्ताओं ने चिंता जताई है.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत खाद्य सामग्रियों पर सब्सिडी दी जाती है और सस्ते दाम पर लोगों को राशन दिए जाते हैं. अब इस योजना का बजट कम करने से आम लोगों पर प्रभाव पड़ने की संभावना है.
मालूम हो कि वैश्विक भुखमरी सूचकांक यानी ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआई) में दुनिया के 117 देशों में भारत 102वें स्थान पर रहा है. यह जानकारी साल 2019 के इंडेक्स में सामने आई है.
इस इंडेक्स में यह भी देखा जाता है कि देश की कितनी जनसंख्या को पर्याप्त मात्रा में भोजन नहीं मिल रहा है. यानी देश के कितने लोग कुपोषण के शिकार हैं.
हालांकि ऐसी स्थिति होने के बावजूद साल 2019-20 के आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया कि लगातार बढ़ रही खाद्य सब्सिडी पर विचार करने की जरूरत है. साल 2013 में कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून लाया गया था.
सर्वे के मुताबिक, इस कानून के तहत खाद्य सब्सिडी राशि 2014-15 में 113171.2 करोड़ रुपये से बढ़ कर 2018-19 में 171127.5 करोड़ रुपये हो गया है. आर्थिक सर्वे में कहा गया, ‘कमजोर वर्ग के हितों की रक्षा करने की जरूरत है लेकिन बढ़ते खाद्य सब्सिडी राशि पर विचार किया जाना चाहिए.’
Increase of nearly 4,000 crores in the budget head “Census, Survey and Statistics/Registrar General of India” to provide funds for compiling the NPR (National Population Register) etc. Food subsidy slashed but funds available for NPR. Priorities #Budget2020 #CAA_NRC_NPR pic.twitter.com/t94BZenFOq
— Anjali Bhardwaj (@AnjaliB_) February 1, 2020
सरकार के इस कदम को देश के गरीब वर्ग के खिलाफ देखा जा रहा है. रोजी रोटी अधिकार अभियान की कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज ने कहा, ‘खाद्य सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता में नहीं है. सरकार ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनपीआर) तैयार करने के लिए फौरन इस दिशा में बजट बढ़ाकर 4,000 करोड़ रुपये कर दिया है. लेकिन खाद्य सब्सिडी का बजट घटा दिया.’
वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री की सुरक्षा के बजट में काफी इजाफा हुआ है. विशेष सुरक्षा दल (एसपीजी) का बजट पिछले साल 535.45 करोड़ रुपये से बढ़ाकर वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 592.55 करोड़ रुपये कर दिया गया है.
इस समय देश में सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एसपीजी के जरिए सुरक्षा दी जाती है.
पिछले साल नवंबर महीने में सरकार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बच्चे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से एसपीजी सुरक्षा हटा ली थी. अब इन्हें सीआरपीएफ के द्वारा जेड प्लस सुरक्षा दी गई है.
एलटीटीई के द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस प्रमुख और उनके बच्चों को सितंबर 1991 में एसपीजी अधिनियम 1988 में संशोधन के बाद वीवीआईपी सुरक्षा सूची में शामिल किया गया था.
28 साल बाद गांधी परिवार से एसपीजी सुरक्षा हटा ली गई. साल 1988 में संसद द्वारा पारित इस कानून के तहत शुरु में देश के केवल प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्रियों को सुरक्षा देने की योजना बनाई गई थी.
हालांकि, पिछले साल अगस्त में सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से एसपीजी सुरक्षा वापस ले लिया था. 31 अक्टूबर 1984 को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद एसपीजी सुरक्षा की परिकल्पना की गई थी.