फिर फर्ज़ी ख़बर फैलाते पाए गए भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा

सोशल मीडिया पर भारतीय सैनिकों की फर्ज़ी तस्वीर और जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार का फर्ज़ी वीडियो साझा करने के बाद संबित पात्रा एक बार फिर झूठी ख़बर फैलाते हुए पाए गए हैं.

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सोशल मीडिया पर भारतीय सैनिकों की फर्ज़ी तस्वीर और जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार का फर्ज़ी वीडियो साझा करने के बाद संबित पात्रा एक बार फिर झूठी ख़बर फैलाते हुए पाए गए हैं.

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भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा की समाचार चैनल एनडीटीवी से नाराज़गी अब तक ख़त्म हुई नज़र नहीं आ रही है. ज्ञात हो कि पिछले दिनों एनडीटीवी 24×7 चैनल के एक कार्यक्रम में उनके द्वारा चैनल को भाजपा विरोधी एजेंडा रखने के आरोप के बाद उन्हें एंकर ने स्टूडियो से बाहर जाने को कह दिया था.

पात्रा की चैनल से नाराज़गी रविवार को उस समय सामने आई जब उन्होंने चैनल पर निशाना साधते हुए द टाइम्स ऑफ इस्लामाबाद नाम की एक पाकिस्तानी वेबसाइट का लिंक रीट्वीट किया. इस लिंक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ योजना के बारे में बताया गया था. पर सच यह है कि ये एक फर्ज़ी ख़बर थी, जिसके जाल में पात्रा फंस गए थे.

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पात्रा द्वारा साझा किए गए लिंक पर मिला लेख असल में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम द्वारा 11 जून 2017 को इंडियन एक्सप्रेस अख़बार के लिए लिखा गया. हालांकि, जब द टाइम्स ऑफ इस्लामाबाद वेबसाइट ने इस लिंक को पुनः प्रकाशित किया तब उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस के बजाय एनडीटीवी का नाम इस्तेमाल किया.

ट्विटर पर एनडीटीवी द्वारा इसके खंडन के बाद इस वेबसाइट ने लेख अपडेट करते हुए एनडीटीवी का नाम इस लेख से हटा दिया. एनडीटीवी ने अपने ट्विटर हैंडल से संबित पात्रा द्वारा साझा किए गए इस लिंक पर उनके द्वारा लगाए गए आरोप को ग़लत बताते हुए उनसे स्पष्टीकरण की मांग की है.

इस सब में एक दिलचस्प पहलू यह है कि पात्रा द्वारा जिस पाकिस्तानी वेबसाइट का संदर्भ ‘एनडीटीवी के कथित एजेंडा’ के खुलासे के लिए किया गया, वो भाजपा के बारे में फर्ज़ी ख़बरें चलाने के लिए जानी जाती है.

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टाइम्स ऑफ इस्लामाबाद द्वारा चलाई गई ख़बरों का स्क्रीनशॉट

द टाइम्स ऑफ इस्लामाबाद एक वेबसाइट है न कि अख़बार. इससे पहले इस वेबसाइट ने 16 मई को श्रीनगर में लेखक अरुंधति रॉय के एक तथाकथित इंटरव्यू में दिए गए बयान की ख़बर भी प्रकाशित की थी, जिसके बाद भाजपा सांसद परेश रावल ने ट्विटर पर अरुंधति को सेना की जीप पर मानव ढाल की तरह बांधने की बात कही थी.

इसके बाद द वायर से बातचीत में अरुंधति ने स्पष्ट किया था कि जिस इंटरव्यू का ज़िक्र इस वेबसाइट ने किया है, वो उन्होंने कभी दिया ही नहीं, न ही वे श्रीनगर गई थीं.

द वायर की तफ़्तीश में ही यह बात सामने आई थी कि ये एक फर्ज़ी ख़बर थी, जो पाकिस्तान से निकली थी और भारत की हिंदुत्व विचारधारा की वेबसाइटों द्वारा इसे राष्ट्रवादी भावना के साथ मोदी सरकार की कश्मीर नीति की आलोचना करने वालों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल किया गया. हालांकि बाद में परेश रावल को ट्विटर के कहने पर यह ट्वीट हटाना पड़ा था.

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वैसे यह पहला मौका नहीं था जब भाजपा प्रवक्ता फर्ज़ी ख़बर के आधार पर दावे कर रहे थे.

2016 में टाइम्स नाउ चैनल पर हो रही एक बहस में उन्होंने बिना किसी ठोस कारण के एक तस्वीर दिखाई जो उनके अनुसार कारगिल में तैनात भारतीय सैनिकों की थी. पर असल में यह एक फोटोशॉप की हुई तस्वीर थी.

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इसके बाद उन्होंने इसी मंच पर जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार का कश्मीर की आज़ादी के लिए भारत विरोधी नारे लगाने का एक ‘छेड़छाड़’ किया गया वीडियो साझा किया.

जब चैनल के इस तरह बिना सत्यापित वीडियो के प्रसारण को लेकर सवाल उठाए गए तब चैनल के तत्कालीन एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी ने द वायर पर ‘तथ्यात्मक रूप से ग़लत’ ख़बर चलाने का आरोप लगाया था. हालांकि बाद में चैनल ने स्वीकार किया था कि उन्होंने यह वीडियो प्रसारित किया था.

वैसे फेक न्यूज़ में फंसने वाले संबित अकेले भाजपा नेता नहीं थे. 10 जून को हिंदुत्ववादी विचारधारा रखने वाले पत्रकार एस. गुरुमूर्ति या यूं कहें कि उनके तथाकथित ट्विटर हैंडल द्वारा मशहूर संगीतकार एआर रहमान के बीफ और धर्म पर नज़रिये को लेकर एक पोस्ट की गई.

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यह ट्वीट वायरल हुआ और इसे 2,500 से ज़्यादा बार रीट्वीट किया गया. यहां तक कि वाणिज्य और उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमन ने भी इस फर्ज़ी ख़बर को रीट्वीट किया गया. ये पोस्ट हिंदुत्व झुकाव रखने वाली एक वेबसाइट पोस्टकार्ड डॉट न्यूज़ द्वारा बनाई गई थी. गौरतलब है कि फर्ज़ी खबर फ़ैलाने के मामले में इस वेबसाइट का नाम अक्सर आता रहता है.

हालांकि फर्ज़ी ख़बरों का खुलासा करने वाली एक वेबसाइट एसएम हॉक्स स्लेयर द्वारा इस ख़बर के खंडन के बाद सीतारमन ने माफ़ी मांगते हुए इस ख़बर को अपने ट्विटर अकाउंट से हटा दिया.

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