सियाचिन में सैनिकों को नहीं मिल रहे हैं उचित कपड़े, राशन और आवास: कैग

संसद में पेश कैग रिपोर्ट में बताया गया है कि अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात सैन्य टुकड़ियों के लिए आवश्यक कपड़ों, चश्मों आदि उपकरणों की कमी देखी गई है, साथ ही उन्हें दिए जाने वाले विशेष राशन की गुणवत्ता से भी समझौता किया गया.

फोटो: पीटीआई

संसद में पेश कैग रिपोर्ट में बताया गया है कि अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात सैन्य टुकड़ियों के लिए आवश्यक कपड़ों, चश्मों आदि उपकरणों की कमी देखी गई है, साथ ही उन्हें दिए जाने वाले विशेष राशन की गुणवत्ता से भी समझौता किया गया.

फोटो: पीटीआई
फोटो: पीटीआई

सोमवार को संसद में पेश की गई एक रिपोर्ट में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने सियाचिन सहित अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सैनिकों के लिए विशेष कपड़े, राशन और आवास की व्यवस्था में कमियों के बारे में जानकारी दी.

द हिंदू की खबर के मुताबिक वित्त वर्ष 2015-16 से 2017-18 की अवधि के दौरान हुए ऑडिट में कैग ने पाया कि ‘उच्च क्षेत्रों के लिए जरूरी कपड़ों और उपकरणों की खरीद में चार साल तक की देर हुई, जिसके चलते इनकी भारी कमी देखने को मिली. इसके साथ ही बर्फ में लगाए जाने वाले चश्मों की भी बेहद कमी देखी गई.’

इसके अलावा 1999 में कारगिल रिव्यू कमेटी द्वारा प्रस्तावित भारतीय राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आईएनडीयू) की स्थिति पर कैग ने कहा कि इस संस्थान को जमीन पर उतारना अभी बाकी है जबकि इस परियोजना की लागत 395 करोड़ रुपये से 914 फीसदी बढ़कर 4,007.22 करोड़ रुपये हो चुकी है.

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि नवंबर 2015 से सितंबर 2016 के बीच सैन्य टुकड़ियों को ‘मल्टी पर्पस बूट्स’ नहीं मिले थे, जिसके चलते उन्हें उपलब्ध बूट्स को रिसाइकल करके इस्तेमाल करना पड़ा. इसके साथ ही रिपोर्ट में बताया गया क्योंकि फेस मास्क, जैकेट और स्लीपिंग बैग्स के पुराने मॉडल खरीद लिए गए थे, इसलिए सैनिकों को नए उत्पादों का लाभ नहीं मिल सका.

रिपोर्ट के अनुसार इसका कारण डिफेंस लैब द्वारा अनुसंधान की कमी के चलते आयात पर निर्भरता बढ़ती जा रही है.

1999 में कारगिल रिव्यू कमेटी द्वारा भारत की सुरक्षा प्रबंधन व्यवस्था की कमियों को सामने लाने के लिए आईएनडीयू का प्रस्ताव रखा गया था. मई 2010 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इसे गुड़गांव में स्थापित करने की बात कही थी, जिसकी प्रस्तावित लागत 395 करोड़ रुपये बताई गई थी.

कैग रिपोर्ट में बताया गया है कि सितंबर 2012 में जमीन अधिग्रहित की गई, हालांकि कारगिल युद्ध के दो दशक बाद भी इसे बनाया नहीं जा सका है. इसके साथ ही मई 2010 में बताई गई इसकी प्रस्तावित लागत 395 करोड़ रुपये से 914 प्रतिशत बढ़कर दिसंबर 2017 में 4007.22 करोड़ रुपये हो गयी है.

कैग का यह भी कहना है है कि दिसंबर 2017 से आईएनडीयू कानून का मसौदा कैबिनेट सचिवालय की मंजूरी के लिए लंबित है.

कैग की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र में तैनात सैन्य टुकड़ियों को ऊर्जा बनाए रखने के लिए दिए जाने वाले राशन की गुणवत्ता से भी समझौता किया गया. ऐसे क्षेत्रों में रहने वाले सैनिकों की स्थिति में सुधार करने के उद्देश्य से बनाए गए आवासीय प्रोजेक्ट को चलताऊ तरीके से अमल में लाया गया.

इस बारे में रक्षा मंत्रालय ने कैग को बताया कि सेना मुख्यालय के रिज़र्व में अधिक ऊंचाई वाले इलाकों के कपड़े और उपकरणों की कमी है, जिसे आर्थिक विसंगतियों के बावजूद समय के साथ पूरा किया जाएगा, लेकिन यह कमी फील्ड में तैनात सैनिकों के साथ नहीं है.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक एक सेना अधिकारी का कहना है कि अब स्थितियों में सुधार हुआ है. उन्होंने कहा, ‘कैग की रिपोर्ट 2015-16 से 2017-18 के दौरान की है. तबसे हालत में सुधार आया है. 16,000 से 20,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन जैसी जगहों पर तैनात सैन्य टुकड़ियों के लिए कपड़ों और उपकरणों की कोई कमी नहीं है.’

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq bandarqq dominoqq pkv games slot pulsa pkv games pkv games bandarqq bandarqq dominoqq dominoqq bandarqq pkv games dominoqq