निर्भया बलात्कार और हत्या मामले के कुछ दोषियों के कानून विकल्प बचे होने के कारण निचली अदालत ने दोषियों की फांसी पर रोक लगा दी थी. केंद्र और दिल्ली सरकार ने निचली अदालत के 31 जनवरी के इस आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि निर्भया बलात्कार और हत्या मामले के सभी दोषियों को एक साथ फांसी दी जाए.
जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने दोषियों को एक हफ्ते के अंदर जो भी आवदेन देना चाहे वह दायर करने का निर्देश दिया, जिसके बाद अधिकारियों द्वारा उस पर कार्रवाई की जाएगी.
हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार की निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया. निचली अदालत ने दोषियों की फांसी पर रोक लगा दी थी.
केंद्र और दिल्ली सरकार ने निचली अदालत के 31 जनवरी के आदेश को चुनौती दी थी. इसमें निचली अदालत ने अगले आदेश तक मामले के सभी चारों दोषियों- मुकेश कुमार (32), पवन गुप्ता (25), विनय कुमार शर्मा (26) और अक्षय कुमार (31) को फांसी देने पर रोक लगा दी थी. सभी दोषी तिहाड़ जेल में बंद हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, हाईकोर्ट ने कहा कि मृत्यु वारंट एक साथ जारी किया जाएगा क्योंकि एक ही अपराध के दोषियों को अलग-अलग फांसी नहीं दी जा सकती है.
जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने कहा, ‘इस पर कोई विवाद नहीं है कि अपराध भयानक और भयावह था और देश के विवेक को हिला देने वाला था.’
अदालत ने मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा फांसी की सजा दिए जाने के बाद कोई कदम न उठाने पर सरकार और अन्य विभागों पर नाराजगी जताई. पीठ ने कहा, ‘मई 2017 से सभी विभाग इंतजार कर रहे थे और सो रहे थे.’
वहीं, हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा को विश्वास दिलाया कि सभी दोषियों को जल्द फांसी दी जाएगी. बुधवार को प्रसाद ने संसद में कहा, हम बहुत सख्त हैं…उन्हें न्याय दिया जाएगा. दोषियों को जल्द फांसी दी जाएगी.
पिछले हफ्ते शुक्रवार को एक ट्रायल कोर्ट ने चारों दोषियों के खिलाफ जारी मृत्यु वारंट का पालन किए जाने पर रोक लगा दी थी, जिसमें कहा गया था कि मौत की सजा के खिलाफ देश कानूनी उपायों के पालन में भेदभाव नहीं कर सकता.
बता दें कि, निचली अदालत ने सभी चार दोषियों को एक फरवरी को तिहाड़ जेल में सुबह छह बजे फांसी देने के लिए 17 जनवरी को दूसरी बार मृत्यु वारंट जारी किया था. इससे पहले सात जनवरी को अदालत ने फांसी की तारीख 22 जनवरी तय की थी.
बता दें कि साल 2012 में 16 दिसंबर की रात राजधानी दिल्ली में 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा से एक चलती बस में छह लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया था और उसे सड़क पर फेंकने से पहले बुरी तरह से घायल कर दिया था. दो हफ्ते बाद 29 दिसंबर को सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान पीड़िता की मौत हो गई थी.
चारों दोषियों- विनय शर्मा (26), मुकेश कुमार सिंह (32), अक्षय कुमार सिंह (31) और पवन गुप्ता (25) को सितंबर 2013 में ही फांसी की सजा दी गई थी और दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने इस सजा को बरकरार रखा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)