पहले मामूली चूक पर भी संपादक शर्मिंदा होता था, अब पूरी ख़बर फर्ज़ी हो तब भी दांत दिखाकर हंसेगा

वेबसाइट की सफलता के लिए जितना झूठ परोसेंगे, उतना हिट मिलेगा. जितना हिट मिलेगा, उतना विज्ञापन मिलेगा. झूठ का कारोबार आज सच के लिए चुनौती बन गया है.

वेबसाइट की सफलता के लिए उसकी ख़बरों का बार-बार खुलना ज़रूरी है. जितना झूठ परोसेंगे, उतना ज़्यादा हिट मिलेगा. जितना हिट मिलेगा, उतने ज़्यादा विज्ञापन मिलेंगे. झूठ का यह कारोबार आज सच के लिए चुनौती बन गया है.

Fake News

मीडिया के एक हिस्से को अब सच और विश्वसनीयता की ज़रूरत नहीं रही. उनका झूठ का कारोबार तेजी से फैल रहा है. झूठी ख़बरें गढ़कर मल्टी-मीडिया चैनलों के माध्यम से उसे तेजी से दुनिया भर में फैलाना बेहद सामान्य होता जा रहा है. पहले किसी मामूली चूक के लिए भी संपादक शर्मिंदा होता था. अब पूरी ख़बर फर्ज़ी हो, तब भी संपादक दांत दिखाकर हंसेगा.

इन दिनों सऊदी अरब के कथित राजकुमार की एक झूठी ख़बर चर्चा में है. कहा जा रहा है कि उक्त राजकुमार माजिद बिन अब्दुल्लाह बिन अब्दुल अजीज अपनी पांच पत्नियां हार गया. मिस्र के एक कसीनो में जुए में 22 अरब की रकम हारने के बाद राजकुमार ने अपनी नौ में से पांच पत्नियों को दांव पर लगा दिया और हार गया.

यह कथित ख़बर दुनिया के विभिन्न वेबसाइटों के साथ ही सोशल मीडिया में भी खूब फैली. यहां तक कि हमारे देश के तेरह राज्यों से 67 संस्करण निकालने वाले एक प्रमुख हिंदी दैनिक ने इसे 11 जून को पेज वन का सनसनीखेज एंकर भी बनाया. इसमें समाचार का स्रोत ‘एजेंसी, रियाद लिखा गया.

सच यह है कि सऊदी अरब के उक्त राजकुमार की वर्ष 2003 में ही मृत्यु हो चुकी है. यह तथ्य एक सामान्य गूगल सर्च से तत्काल मिल जाएगा. इतने बड़े सच को छुपाकर ऐसा झूठ गढ़ने की बेशर्मी भयावह है.

यह झूठ कैसे फैला? एक अमेरिकी वेबसाइट है- ‘वर्ल्ड न्यूज डेली रिपोर्ट’

इसी वेबसाइट ने 30 मई को सऊदी अरब के राजकुमार की कथित ख़बर प्रकाशित की थी. वेबसाइट ने इसे अपने फेसबुक पेज पर भी लिया जिसे खूब शेयर किया गया. इसके आधार पर दुनिया भर में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने नमक-मिर्च लगाकर ख़बर बनाई.

भारत में भी महाभारत के युधिष्ठिर से तुलना करके हिंदी अखबार ने प्रमुखता से प्रकाशित किया. सोशल मीडिया के लिए तो खैर ऐसे चीजें पसंदीदा मसाला हैं.

‘वर्ल्ड न्यूज डेली रिपोर्ट’ आखिर कैसी वेबसाइट है? आप यह सुनकर हैरान हो जाएंगे कि यह ख़बरों की वेबसाइट नहीं बल्कि काल्पनिक और व्यंग्यपूर्ण मनोरंजक सामग्री का वेबसाइट है. इसे खोलने पर स्टोरी के नीचे साफ शब्दों में डिस्क्लेमर दिखेगा.

https://www.youtube.com/watch?v=ehLzLZxCrbU

इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि इस वेबसाइट का चरित्र सेटेरिकल या व्यंग्यात्मक तथा काल्पनिक कथात्मक है. इसमें सारे पात्र काल्पनिक हैं तथा किसी भी जीवित अथवा मृत व्यक्ति से उसका कोई संबंध महज एक चमत्कार माना जाएगा.

जो वेबसाइट खुद ही यह कहे कि उसकी कथित ख़बरें दरअसल महज काल्पनिक कथा या पूर्ण झूठ है, उसे सच की तरह परोसना अपराध है.

उस वेबसाइट को देखें तो तमाम मूर्खतापूर्ण ख़बरें मिल जाएंगी. उनकी प्रस्तुति एकदम सच की तरह की जाती है. उदाहरण के लिए, पांच जून को एक कथित ख़बर में बताया गया है कि जम्मू में बीएसएफ ने जासूसी के आरोप में एक पाकिस्तानी गधे को पकड़ा है.

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इस ख़बर के साथ बीएसएफ के महानिदेशक केके शर्मा का वक्तव्य भी दिया गया है. शर्मा की एक फाइल फोटो भी लगा दी गई है. ख़बर पढ़कर यह पता लगाना मुश्किल होगा कि यह फर्ज़ी है. लेकिन अगर यह सच होती तो भारत के मीडिया में आती, जा नहीं है.

इसी तरह, उस वेबसाइट के फेसबुक पर 18 मार्च 2016 को अपलोड एक लिंक के अनुसार ओडिशा में पुलिस ने एक देवप्रतिमा के साथ सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में 27 लोगों को गिरफ्तार किया है. हालांकि लिंक देखें तो उस कथित ख़बर को वेबसाइट से हटा लिया गया है. दूसरी ओर, इंटरनेट पर सर्च में ऐसी ख़बर नहीं मिली.

एक अन्य ख़बर का लिंक 25 जून 2015 को उस वेबसाइट के फेसबुक पेज पर दिखता है. इसके अनुसार मुंबई में उबर के ड्राइवर के साथ टैक्सी-ड्राइवरों ने गैंगरेप किया. लेकिन उस लिंक पर क्लिक करने से पता चलेगा कि वेबसाइट से उसे हटा दिया गया है. हैरानी की बात है कि उस कथित ख़बर के साथ जो फोटो डाली गई है, वह वामपंथी छात्र संगठन आइसा के एक प्रदर्शन की है.

‘वर्ल्ड न्यूज डेली रिपोर्ट‘ जैसे वेबसाइट में सनसनीखेज काल्पनिक ख़बरें दुनिया के विभिन्न कोने की होती हैं. इसके कारण उनकी सत्यता का पता लगाना मुश्किल होता है. वैसे भी अब सनसनी मीडिया के जमाने में सत्य की तलाश भी नहीं की जाती.

https://www.youtube.com/watch?v=8eeD4hRKMXM

इस वेबसाइट की ख़बरों में अपराध और यौन संबंधी विकृतियों, समलैंगिक संबंधों, राजनीतिक विवाद, इस्लाम से जुड़े अजीबोगरीब मामले, आतंकवाद, अविश्सनीय चमत्कार इत्यादि की भरमार होती है.

ऐसी काल्पनिक ख़बरों में शहरों एवं व्यक्तियों के वास्तविक नामों तथा तसवीरों का उपयोग होने के कारण एक नजर में लोग उसे सच मान लेते हैं. वेबसाइट पर आई ऐसी चीजों को फौरन विभिन्न समाचारपत्र तथा चैनल भी बगैर जांच किए अपनी ओर से कुछ मिर्च-मसाला लगाकर जारी कर देते हैं. रही-सही कसर सोशल मीडिया पूरी कर देता है.

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अगर कोई सच की तलाश में गूगल सर्च करे भी तो उसे विभिन्न माध्यमों में वही झूठी ख़बर मिल जाएगी जिससे उसके सच होने का भ्रम होगा. सऊदी अरब का राजकुमार अगर आज जीवित होता, तो उस झूठी ख़बर का सच पता लगाना काफी मुश्किल होता.

ऐसे वेबसाइट की सफलता के लिए उसकी ख़बरों का बार-बार खुलना जरूरी है. जितना झूठ परोसेंगे, उतना ज्यादा हिट मिलेगा जितना हिट मिलेगा, उतने ज्यादा विज्ञापन मिलेंगे. झूठ का यह कारोबार आज सच के लिए चुनौती बन गया है.

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं.)