संसद की कार्यवाही से प्रधानमंत्री के भाषण के किसी अंश को निकाले जाने की घटना आमतौर पर बहुत ही कम देखने को मिली है.
नई दिल्ली: राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बृहस्पतिवार को दिये गये भाषण के एक शब्द को सदन की कार्यवाही से निकाल दिया गया है.
राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने मोदी द्वारा राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा के जवाब में दिये गये भाषण में से एक शब्द को कार्यवाही से निकाल दिया है.
राज्यसभा सचिवालय ने एक बयान में कहा, ‘सभापति ने राज्यसभा की छह फरवरी को शाम 6.20 से 6.30 के बीच कुछ अंश को कार्यवाही से निकालने का निर्देश दिया है.’
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के संदर्भ में कांग्रेस के रुख बदलने को लेकर टिप्पणी करते हुए यह शब्द कहा था.
नायडू ने बृहस्पतिवार को मोदी के भाषण समाप्त करने के बाद नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद द्वारा मांगे गये स्पष्टीकरण के दौरान एक शब्द को भी सदन की कार्यवाही से निकाल दिया है.
संसद की कार्यवाही से प्रधानमंत्री के भाषण के किसी अंश को निकाले जाने की घटना आमतौर पर बहुत ही कम देखने को मिली है.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक इससे पहले साल 2018 में कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद पर पीएम मोदी की टिप्पणियों से कुछ शब्द हटा दिए गए थे. उन्होंने हरिप्रसाद के शुरुआती शब्दों पर व्यंगात्मक शब्द का उपयोग किया था, जिसे अपमानजनक के रूप में देखा गया था.
साल 2013 में तत्कालीन विपक्षी नेता अरुण जेटली के साथ बहस के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की राज्यसभा में टिप्पणियों से कुछ शब्द हटाए गए थे. जेटली की टिप्पणी में से भी कुछ शब्द हटाए गए थे.
संसद में असंसदीय शब्दों का एक लंबी-चौड़ी सूची है. हर साल सूची में नए शब्द जोड़े जाते हैं. हाल ही में पप्पू, बहनोई, दामाद जैसे शब्द भी जोड़े गए.
महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम ‘गोडसे’ भी असंसदीय शब्द हुआ करता था. साल 2015 में तत्कालीन स्पीकर सुमित्रा महाजन ने इसे असंसदीय शब्दों की सूची से हटा दिया. इस शब्द का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर भाजपा और विपक्ष द्वारा गांधी पर बहस के दौरान किया गया है.
सत्ता पक्ष पर लोकसभा सांसद प्रज्ञा ठाकुर जैसे लोगों द्वारा गोडसे का महिमामंडन करने वाले सदस्यों पर नरमी बरतने का आरोप लगाया गया है.
(समाचार एजेंसी पीटीआई से इनपुट के साथ)