उत्तर प्रदेशः सबूत नहीं होने पर सीएए का विरोध करने वाले 15 प्रदर्शनकारियों को मिली जमानत

उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर हिंसा करने के लिए 34 लोगों को गिरफ्तार किया गया था.

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Lucknow: Muslim women stage a protest against CAA and NRC near the Ghantaghar in the old city area of Lukcnow, Saturday, Jan. 25, 2020. (PTI Photo/Nand Kumar) (PTI1_25_2020_000145B)

उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर हिंसा करने के लिए 34 लोगों को गिरफ्तार किया गया था.

Lucknow: Muslim women stage a protest against CAA and NRC near the Ghantaghar in the old city area of Lukcnow, Saturday, Jan. 25, 2020. (PTI Photo/Nand Kumar) (PTI1_25_2020_000145B)
(फोटोः पीटीआई)

रामपुर: उत्तर प्रदेश के रामपुर में सत्र न्यायालय ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का विरोध करने वाले 15 प्रदर्शनकारियों को जमानत दे दी.

आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस द्वारा उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत देने में विफल रहने के बाद ऐसा किया गया. प्रदर्शनकारियों को विरोध प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर हिंसा करने के लिए गिरफ्तार किया गया था.

जिला एवं सत्र न्यायाधीश अलका श्रीवास्तव की अदालत ने जमानत याचिका स्वीकार कर ली और आरोपियों को एक-एक लाख रुपये के दो जमानत बांड भरने का निर्देश दिया, जिसके बाद उन्हें रिहा किया जा सका.

इससे पहले जांच अधिकारी अमर सिंह ने इस मामले में अदालत के समक्ष दो अलग-अलग आवेदन प्रस्तुत किए थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या) और 307 (हत्या का प्रयास) के तहत कोई मामला नागरिकता संशोधन कानून के विरोध  के लिए गिरफ्तार 34 में से 26 लोगों के खिलाफ नहीं बनाया जा सकता है.

कोतवाली पुलिस ने 30 से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था. बचाव पक्ष के वकील ने दलील दी कि आरोपियों को पुलिस ने झूठा फंसाया था और लोग इस प्रकरण में शामिल नहीं थे.

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने समर, अनस, रईस, रिजवान, अजहरुद्दीन, नजीर, अफरोज, शावेज, शहरोज, जुनैद खान, शाहनवाज, फहीम, मोहम्मद आबिद, सगीर और हम्जा को जमानत दे दी.

बचाव पक्ष के वकील सैयद अमीर मियां ने कहा कि रामपुर में दो एफआईआर दर्ज की गई थी. एक एफआईआर गंज थाने में और दूसरी कोतवाली थाने में.

उन्होंने कहा, ‘महत्वपूर्ण बात यह है कि पुलिस ने किसी को भी मौके से गिरफ्तार नहीं किया और अन्य लोगों के इशारे पर जल्दबाजी में लोगों को गिरफ्तार किया. जमानत के पीछे का आधार यह है कि जांच के दौरान आईपीसी की धारा 302, 307, 395 को हटा दिया गया.’

इन धाराओं को हटाने का आधार यह बताया गया कि इन लोगों को मौके से गिरफ्तार नहीं किया गया तो इन पर धाराओं को लागू नहीं किया जा सकता.

आमिर ने आगे कहा कि दिसंबर में हुई हिंसा के सिलसिले में कम से कम 34 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिसमें जिला प्रशासन ने 26 लोगों के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास और डकैती के आरोप हटा दिए थे.