आज जब सुनवाई शुरु हुई तो तीन न्यायाधीशों की पीठ में शामिल जस्टिस मोहन शांतानागौदर ने खुद को इसकी सुनवाई से अलग कर लिया. बहन सारा अब्दुल्ला पायलट ने जन सुरक्षा कानून के तहत उमर अब्दुल्ला की हिरासत को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सारा अब्दुल्ला पायलट की उस याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी और जिसमें उनके भाई और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत हिरासत में लेने की चुनौती दी गई है.
शीर्ष अदालत अब शुक्रवार को मामले की सुनवाई करेगी. दरअसल आज जब सुनवाई शुरु हुई तो तीन न्यायाधीशों की पीठ में शामिल जस्टिस मोहन शांतानागौदर ने खुद को इसकी सुनवाई से अलग कर लिया. पीठ में अन्य दो जज जस्टिस एनवी रमना और संजीव खन्ना हैं.
Sara Abdullah Pilot, sister of ex-J&K CM Omar Abdullah, had filed a plea before SC, challenging his detention under J&K Public Safety Act, 1978. A different Bench of SC will hear her plea tomorrow after Justice Mohan M Shantanagoudar recused himself from hearing the plea today. https://t.co/Rfkrol4gfu pic.twitter.com/cqOWQRokxh
— ANI (@ANI) February 12, 2020
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के खिलाफ जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत मामला दर्ज किया गया. पिछले साल अगस्त में जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद से ही ये दोनों नेता नजरबंद हैं.
उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर पीएसए के तहत तब मामला दर्ज किया गया जब उन्हें छह महीने एहतियातन हिरासत में लिए जाने की अवधि समाप्त हो रही थी. इसके साथ ही दो अन्य नेताओं पर भी पीएसए लगाया गया है, जिनमें नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के वरिष्ठ नेता अली मोहम्मद सागर और पीडीपी के नेता सरताज मदनी शामिल हैं.
सारा ने अपनी याचिका में कहा कि केंद्र सरकार की नीतियों से असहमति लोकतंत्र में एक नागरिक का कानूनी अधिकार है, विशेष रूप से विपक्ष के सदस्य का.
उन्होंने कहा कि उमर के खिलाफ आरोपों का कोई आधार नहीं है, न ही सोशल मीडिया पोस्ट या किसी अन्य तरीके से. सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर की गई याचिका में कहा गया कि उमर अब्दुल्ला ने हमेशा से ही लोगों से शांति बनाए रखने का आह्वान किया है.
उन्होंने कहा कि उमर को पीएसए के तहत हिरासत के आदेश के साथ सौंपे गए डोजियर में झूठे और हास्यास्पद आरोप लगाए गए हैं.