दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की बुरी हार के बाद पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम सहित कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने भाजपा पर निशाना साधने के साथ ही आम आदमी पार्टी की जमकर तारीफ़ की थी. चिदंबरम ने कहा था कि आप की जीत बेवक़ूफ़ बनाने तथा फेंकने वालों की हार है.
नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव में अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस पार्टी की बुरी हार के बाद भी कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने मंगलवार को भाजपा पर निशाना साधने के साथ ही आम आदमी पार्टी की उसके विकास कार्यों के लिए जमकर तारीफ की थी.
आम आदमी पार्टी की जीत का विकास की जीत बताने वाले नेताओं में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, वरिष्ठ कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ, राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट शामिल थे.
हालांकि, पार्टी के शीर्ष और राष्ट्रीय नेताओं द्वारा आप पार्टी की तारीफ से कांग्रेस की दिल्ली इकाई नाराज हो गई है.
पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए दिल्ली महिला कांग्रेस की अध्यक्ष और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने उनसे तीखे सवाल पूछे हैं.
चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा था, ‘आप की जीत हुई, बेवकूफ बनाने तथा फेंकने वालों की हार. दिल्ली के लोग, जो भारत के सभी हिस्सों से हैं, ने भाजपा के ध्रुवीकरण, विभाजनकारी और खतरनाक एजेंडे को हराया है. मैं दिल्ली के लोगों को सलाम करता हूं जिन्होंने 2021 और 2022 में अन्य राज्यों जहां चुनाव होंगे के लिए मिसाल पेश की है.’
वहीं, कुछ घंटे बाद कुछ और ट्वीट करते हुए चिदंबरम ने कहा था, ‘याद कीजिए, जब दिल्ली में मतदान हुआ था, तब लाखों मलयाली, तमिल, तेलुगु, बंगाली, गुजराती और भारत के अन्य राज्यों से आए लोगों ने मतदान किया था. अगर मतदाता उन राज्यों के विचारों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो वे आए थे, तो दिल्ली का मत, विपक्ष के विश्वास बढ़ाने का एक बूस्टर है कि भाजपा को हर राज्य में हराया जा सकता है. दिल्ली का वोट राज्य विशेष के वोट की तुलना में अखिल भारतीय वोट के करीब है क्योंकि दिल्ली एक मिनी इंडिया है.’
With due respect sir, just want to know- has @INCIndia outsourced the task of defeating BJP to state parties? If not, then why r we gloating over AAP victory rather than being concerned abt our drubbing? And if ‘yes’, then we (PCCs) might as well close shop! https://t.co/Zw3KJIfsRx
— Sharmistha Mukherjee (@Sharmistha_GK) February 11, 2020
इस शर्मिष्ठा ने ट्वीट कर कहा, ‘सर, उचित सम्मान के साथ बस इतना जानना चाहती हूं कि क्या कांग्रेस पार्टी राज्यों में भाजपा को हराने के लिए क्षेत्रीय दलों को जिम्मेदारी सौंप रही है? यदि नहीं, तो फिर हम अपनी हार पर मंथन करने के बजाय आप की जीत पर गर्व क्यों कर रहे हैं? और अगर ऐसा है, तो हमें संभवत: अपनी दुकान बंद कर देनी चाहिए.’
इससे पहले पार्टी की हार के बाद शर्मिष्ठा ने कहा था, ‘हम दिल्ली में फिर हार गए. आत्ममंथन बहुत हुआ अब कार्रवाई का समय है. शीर्ष स्तर पर निर्णय लेने में देरी, राज्य स्तर पर रणनीति और एकजुटता का अभाव, कार्यकर्ताओं का निरुत्साह, नीचे के स्तर से संवाद नहीं होना आदि हार के कारण हैं. मैं अपने हिस्से की जिम्मेदारी स्वीकार करती हूं.’
इस दौरान सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा था, ‘भाजपा विभाजनकारी राजनीति कर रही है, केजरीवाल ‘स्मार्ट पॉलिटिक्स’ राजनीति कर रहे हैं और हम क्या कर रहे हैं? क्या हम ईमानदारी से कह सकते हैं कि हमने घर को व्यवस्थित रखने के लिए पूरा प्रयास किया?’
वहीं, दिवंगत शीला दीक्षित के बेटे और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने कहा कि नतीजों ने उन्हें हैरान नहीं किया और अंदरुनी राजनीति की वजह से पार्टी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई.
हालांकि, दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी शिकस्त के बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मंगलवार को पद से इस्तीफा दे दिया.
उन्होंने कहा, ‘मैंने हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है. अब आलाकमान को मेरे इस्तीफे पर निर्णय लेना है.’ उन्हें पिछले साल अक्टूबर में डीपीसीसी अध्यक्ष नियुक्त किया गया था.
72 वर्षीय चोपड़ा पहले भी 1998 से 2003 तक दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे हैं। वह 1998 से 2013 तक लगातार तीन बार कालकाजी विधानसभा सीट से विधायक भी रहे हैं। उन्होंने जून 2003 से दिसंबर 2003 तक दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष की भूमिका निभाई।
पार्टी की हार के बाद चोपड़ा ने मंगलवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बधाई देते हुए कहा था कि वह जनादेश स्वीकार करती है और राष्ट्रीय राजधानी में पार्टी के नवनिर्माण का संकल्प लेती है.
हालांकि, हार की नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए उन्होंने भाजपा एवं आम आदमी पार्टी पर ध्रुवीकरण का आरोप भी लगाया था.
वहीं, दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिली करारी हार के बाद वरिष्ठ नेता पीसी चाको ने भी दिल्ली प्रभारी के अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
चाको ने कहा, 2013 में जब शीला जी दिल्ली की मुख्यमंत्री थी तभी से कांग्रेस का पतन शुरू हो गया था. एक नई पार्टी आप का उभरना कांग्रेस का सारा वोट बैंक छीन ले गया. अब हम इसे कभी वापस नहीं पा सकते हैं. यह अभी भी आप के पास है.
बता दें कि, दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन किया है और चुनाव परिणामों के मुताबिक पार्टी को पांच फीसदी से भी कम वोट मिले हैं. कांग्रेस के 63 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई.
पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के नेतृत्व में दिल्ली में 15 साल तक शासन करने वाली कांग्रेस लगातार दूसरी बार विधानसभा चुनाव में एक भी सीट जीतने में नाकाम रही.
पार्टी के तीन उम्मीदवार- गांधी नगर से अरविंदर सिंह लवली, बादली से देवेंद्र यादव और कस्तूरबा नगर से अभिषेक दत्त – ही अपनी जमानत बचा पाए हैं.
दिल्ली में कांग्रेस ने पहली बार राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा. पार्टी ने 66 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे जबकि चार सीटें सहयोगी दल के लिए छोड़ी थी.
कांग्रेस के अधिकतर प्रत्याशियों को कुल वोटों के पांच प्रतिशत से भी कम वोट मिले हैं जबकि यदि किसी उम्मीदवार को निर्वाचन क्षेत्र में डाले गए कुल वैध मतों का छठा भाग नहीं मिलता है, तो उसकी जमानत जब्त हो जाती है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)