प्रधानमंत्री मोदी के बारे में ‘अपमानजनक’ पोस्ट शेयर करने वाले राज्यसभा अधिकारी का पद घटाया गया

राज्यसभा के उप निदेशक (सुरक्षा) उरजुल हसन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा कुछ केंद्रीय मंत्रियों और राज्यों के मुख्यमंत्रियों के खिलाफ सोशल मीडिया पर राजनीतिक गतिविधियों से जुड़ी कई पोस्ट साझा करने का आरोप लगाया गया था.

New Delhi: Monsoon clouds hover over the Parliament House, in New Delhi on Monday, July 23, 2018.(PTI Photo/Atul Yadav) (PTI7_23_2018_000111B)
(फोटो: पीटीआई)

राज्यसभा के उप निदेशक (सुरक्षा) उरजुल हसन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा कुछ केंद्रीय मंत्रियों और राज्यों के मुख्यमंत्रियों के खिलाफ सोशल मीडिया पर राजनीतिक गतिविधियों से जुड़ी कई पोस्ट साझा करने का आरोप लगाया गया था.

New Delhi: Monsoon clouds hover over the Parliament House, in New Delhi on Monday, July 23, 2018.(PTI Photo/Atul Yadav) (PTI7_23_2018_000111B)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में सोशल मीडिया पर ‘अपमानजनक’ टिप्पणी करने वाले राज्यसभा के एक सुरक्षा अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उसका रैंक कम कर (पदावनत) दिया गया है.

राज्यसभा सचिवालय द्वारा बुधवार को जारी आदेश में राज्यसभा के उप निदेशक (सुरक्षा) उरजुल हसन को राजनीतिक तटस्थता बरकरार नहीं रख पाने और नियमों का पालन करने में नाकाम रहने के कारण पदावनत किया गया है.

हसन के खिलाफ इस मामले में दर्ज शिकायत के आधार पर की गयी प्राथमिक जांच के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था.

शिकायत में हसन पर सोशल मीडिया पर राजनीतिक गतिविधियों से जुड़ी कई पोस्ट साझा करने का आरोप लगाया गया था.

राज्यसभा सचिवालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार सभापति एम वेंकैसा नायडू ने नियमों के तहत कार्रवाई करते हुये हसन का रैंक पांच साल के लिए कम कर कनिष्ठ श्रेणी (लोअर ग्रेड) के सुरक्षा अधिकारी करने का निर्देश दिया है. इस अवधि उन्हें वेतन में सालाना बढ़ोतरी के लाभ से वंचित रखा जायेगा.

हसन पर प्रधानमंत्री के अलावा कुछ केंद्रीय मंत्रियों और राज्यों के मुख्यमंत्रियों के खिलाफ सोशल मीडिया पर ‘अपमानजनक’ टिप्पणियां करने का भी आरोप है. इस मामले में हसन के खिलाफ राज्यसभा सेवा नियम 1957 और केन्द्रीय लोक सेवा (आचरण) नियमों के तहत कार्रवाई की गई है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, हसन की पदावनति 10 फरवरी से प्रभाव में आ गई. राज्यसभा सचिवालय के सूत्रों ने कहा कि हसन पिछले नौ या 10 महीने से अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए निलंबित थे.

सूत्रों ने कहा कि तमिलनाडु विधायक से जुड़े 2018 के एक मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने कहा था कि सोशल मीडिया पर फॉरवर्ड किए गए किसी भी पोस्ट का मतलब होता है कि व्यक्ति उसके साथ सहमत है या उसका समर्थन करता है. अदालत ने कहा था, ‘जो कहा जाता है वह महत्वपूर्ण है, लेकिन जिसने कहा वह और भी महत्वपूर्ण है. लोग बोलने वाले व्यक्ति की स्थिति से प्रभावित होते हैं.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)