कार्बन उत्सर्जन मामले में भारत, चीन से बड़ी समस्या: माइक ब्लूमबर्ग

न्यूयॉर्क के पूर्व मेयर और अरबपति कारोबारी माइक ब्लूमबर्ग अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवारी की दौड़ में शामिल हैं. न्यूयॉर्क टाइम्स द्वारा किए गए फैक्ट चेक में चीन द्वारा उत्सर्जन को धीमा करने के संदर्भ में उनका बयान गलत साबित हुआ.

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अमेरिका में राष्ट्रपति पद के डेमोक्रेट उम्मीदवार माइक ब्लूमबर्ग. (फोटो: रॉयटर्स)

न्यूयॉर्क के पूर्व मेयर और अरबपति कारोबारी माइक ब्लूमबर्ग अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवारी की दौड़ में शामिल हैं. न्यूयॉर्क टाइम्स द्वारा किए गए फैक्ट चेक में चीन द्वारा उत्सर्जन को धीमा करने के संदर्भ में उनका बयान गलत साबित हुआ.

अमेरिका में राष्ट्रपति पद के डेमोक्रेट उम्मीदवार माइक ब्लूमबर्ग. (फोटो: रॉयटर्स)
अमेरिका में राष्ट्रपति पद के डेमोक्रेट उम्मीदवार माइक ब्लूमबर्ग. (फोटो: रॉयटर्स)

वाशिंगटन: अमेरिका में राष्ट्रपति पद के डेमोक्रेटिक उम्मीदवारी की दौड़ में शामिल न्यूयॉर्क के पूर्व मेयर माइक ब्लूमबर्ग ने दावा किया कि जलवायु परिवर्तन से लड़ने और खासतौर पर कार्बन उत्सर्जन करने के मामले में चीन के मुकाबले भारत ज्यादा बड़ी समस्या है.

लास वेगास में बुधवार को डेमोक्रेटिक उम्मीदवारी की प्राइमरी डिबेट में अपने पहले भाषण में ब्लूमबर्ग ने कहा कि ट्रंप प्रशासन द्वारा 2015 के पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका के हटने का लिया गया फैसला हास्यास्पद था.

ब्लूमबर्ग ने जलवायु परिवर्तन पर एक सवाल के जवाब में कहा, ‘पूरी तरह ईमानदारी से कहूं तो चीन ने कमी लाई है. भारत ज्यादा बड़ी समस्या है, बल्कि यह असाधारण समस्या है. कोई इस बारे में कुछ नहीं कर रहा.’

ब्लूमबर्ग से उनके कारोबार के बारे में पूछा गया था जिसका दुनिया के सर्वाधिक काबर्न उत्सर्जक देश चीन में काफी निवेश है. उनसे यह भी पूछा गया था कि वह बीजिंग पर कार्बन उत्सर्जन कम करने और जलवायु संकट से निपटने के लिए किस तरीके से दबाव बना सकेंगे.

उन्होंने जवाब में कहा, ‘आप उनसे युद्ध करने नहीं जा रहे. आपको उनसे बातचीत करनी होगी और हमने टैरिफ के मामले में यह देख लिया है. आपको चीनियों को मनाना होगा कि यह उनके भी हित में है, जिस तरह हमारे लोग मर जाएंगे, उसी तरह उनके लोग भी मर जाएंगे और हम मिलकर काम करेंगे.’

ब्लूमबर्ग का बयान ऐसे में आया है जबकि भारत ने पेरिस समझौते के तहत संकल्प लिया है कि वह 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में 30-35 प्रतिशत तक कमी करेगा और अतिरिक्त वन्य क्षेत्र के जरिये 2.5 से 3 अरब टन कार्बन डाईआक्साइड के बराबर कार्बन में कमी लाएगा.

भारत ने 2016 में पेरिस जलवायु समझौते पर हस्ताक्षर किये और इसमें शामिल होने वाला 62वां देश बन गया था.

न्यूयॉर्क टाइम्स द्वारा किए गए फैक्ट चेक के अनुसार, चीन द्वारा उत्सर्जन को धीमा करने के संदर्भ में ब्लूमबर्ग का बयान गलत था.

न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा, ‘अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार, मुख्य ग्रीनहाउस गैस कार्बन डाइऑक्साइड का चीन द्वारा किया जा रहा उत्सर्जन 2018 की तुलना में पिछले साल बढ़ा है. वास्तव में, 2015 और 2016 में गिरावट के बाद 2017 के बाद से हर साल उत्सर्जन में वृद्धि हुई है. विशेषज्ञों का कहना है कि चीन अपनी अर्थव्यवस्था के विकास दर को बनाए रखने के लिए प्रयास कर रहा था. औद्योगिक कोयला चीन में ग्रीनहाउस गैसों का सबसे बड़ा स्रोत है, जो दुनिया का सबसे बड़ा उत्सर्जक है.’

अरबपति कारोबारी ब्लूमबर्ग ने इसी साल राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की दौड़ में शामिल होने की घोषणा की थी. उनका कहना है कि अमेरिका इस मामले में बदलाव ला रहा है.

बता दें कि, ब्लूमबर्ग न्यूयॉर्क के पूर्व मेयर हैं और इससे पहले वे रिपब्लिकन पार्टी से जुड़े थे. गुरुवार को वे पहली बार बहस में शामिल हुए थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)