‘कश्मीर मुद्दा सुलझने के बाद भी आतंकवाद की समस्या कम नहीं होगी’

अमेरिका में पाकिस्तान के एक पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी ने इस्लामाबाद की कश्मीर नीति पर गंभीर सवाल उठाए हैं.

अमेरिका में पाकिस्तान के एक पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी ने इस्लामाबाद की कश्मीर नीति पर गंभीर सवाल उठाए हैं.

Pakistan

वाशिंगटन. पाकिस्तान की दशकों पुरानी कश्मीर नीति पर सवाल उठाते हुए देश के एक पूर्व शीर्ष दूत ने कहा है कि इस मसले को सुलझाने से भी आतंकवाद, सांप्रदायिक संघर्ष की चुनौती खत्म नहीं होगी या तालिबान अफगानिस्तान में पुरानी इस्लामी व्यवस्था स्थापित करने के अपने लक्ष्य को नहीं छोड़ेगा.

अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी ने शुक्रवार को कहा, ‘कश्मीर की समस्या सुलझ जाने पर भी सांप्रदायिक आतंकवाद कैसे समाप्त होगा, क्योंकि सांप्रदायिक आतंकवाद का मतलब उन लोगों की हत्या करना है जो आपके धार्मिक संप्रदाय के नहीं हैं. कश्मीर की समस्या का समाधान करने से तालिबान नहीं रकेगा जिसका लक्ष्य अफगानिस्तान में पुरानी इस्लामी व्यवस्था को पैदा करना है.’

उन्होंने कहा, इसलिए कभी-कभी पाकिस्तान की ओर से इसे एक अति राष्ट्रवादी दलील बना दिया जाना और कभी-कभी बहुत ही आसानी से यह कह देना कि अमेरिका में पाकिस्तान के रुख को लेकर हमारे पास कोई विकल्प नहीं है. हम चाहते हैं कि दोनों पक्ष सही मायने में अपने रुख के बारे में सोचें.

हक्कानी ने करीब एक दर्जन शीर्ष अमेरिकी थिंक टैंक द्वारा जारी एक रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान यह बात कही. इस रिपोर्ट में ट्रंप प्रशासन से अपील की गई है कि वह पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाए.

‘अ न्यू यूएस अप्रोच टू पाकिस्तान: एनफोर्सिंग एड कंडिशंस विदाउट टाइज’ नामक इस रिपोर्ट को द हेरीटेज फाउंडेशन के लिस कर्टिस और हडसन इंस्टीट्यूट के हक्कानी ने लिखा है. इसमें पाकिस्तान को आतंकवाद का प्रायोजक देश घोषित करने की सिफारिश के अलावा बाकी सब कुछ कहा गया है. इसमें पाकिस्तान की ओर तेज, स्पष्ट अमेरिकी दृष्टिकोण अपनाने की बात की गई है.

हक्कानी ने इस्लामाबाद द्वारा उसके पड़ोसियों के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों को समर्थन दिए जाने की बात की और कहा, पाकिस्तान को इस बारे में थोड़ा आत्मविश्लेषण करने की ज़रूरत है कि क्या हम इसे हमेशा जारी रख सकते हैं और क्या ऐसा करके हमारी विश्वसनीयता बनी रह सकती है?

इस रिपोर्ट को लेकर हो रही चर्चा में हक्कानी के साथ कर्टिस और जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के विद्वान एवं दक्षिण एशिया मामलों के विशेषज्ञ क्रिस्टीन फेयर भी शामिल हुए. फेयर ने कहा कि पाकिस्तान पर किसी ओर के क्षेत्र पर अवैध कब्जा करने की कोशिश करने का जुनून सवार है.

बातचीत के दौरान माहौल उस समय गर्म हो गया जब यहां पाकिस्तान के दूतावास के अधिकारियों एवं पत्रकारों समेत पाकिस्तान समर्थक लोगों के समूह ने समारोह बाधित करने की कोशिश की.

एक व्यक्ति को परिसर से जबरन बाहर भेजना पड़ा क्योंकि उसने बार-बार कार्यक्रम रोकने की कोशिश की. परिसर से जाते समय उस व्यक्ति ने हक्कानी पर रॉ एजेंट होने का आरोप लगाया.

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