कर्नाटक स्कूल मामला: अदालत ने कहा सीएए विरोधी नाटक राजद्रोह नहीं, सभी आरोपियों को ज़मानत

बीदर की ज़िला अदालत ने स्कूल प्रबंधन के पांच लोगों को अग्रिम ज़मानत देते हुए कहा कि यह स्कूली बच्चों द्वारा किया गया नाटक समाज में किसी भी तरह की हिंसा या असामंजस्य पैदा नहीं करता और प्रथमदृष्टया राजद्रोह का मामला नहीं बनता.

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कर्नाटक के बीदर स्थित स्कूल के अधिकारियों के साथ एक बच्चे से पूछताछ करती दिख रही पुलिस. (फोटो: वीडियोग्रैब)

बीदर की ज़िला अदालत ने स्कूल प्रबंधन के पांच लोगों को अग्रिम ज़मानत देते हुए कहा कि यह स्कूली बच्चों द्वारा किया गया नाटक समाज में किसी भी तरह की हिंसा या असामंजस्य पैदा नहीं करता और प्रथमदृष्टया राजद्रोह का मामला नहीं बनता.

कर्नाटक के बीदर स्थित स्कूल के अधिकारियों के साथ एक बच्चे से पूछताछ करती दिख रही पुलिस. (फोटो: वीडियोग्रैब)

बेंगलुरूः कर्नाटक के बीदर की एक जिला अदालत ने सीएए विरोधी नाटक करने को लेकर दर्ज हुए राजद्रोह के मामले में शाहीन स्कूल के प्रबंधक सहित कई लोगों को अग्रिम जमानत दे दी है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार अदालत ने कहा कि प्रथमदृष्टया राजद्रोह का मामला नहीं बनता है और इसे लेकर ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है.

अदालत ने यह कहते हुए प्रतिनिधियों को अग्रिम जमानत दी कि सीएए के खिलाफ स्कूल के बच्चों द्वारा किया गया नाटक समाज में किसी भी तरह की हिंसा या असामंजस्य पैदा नहीं करता.

ज्ञात हो कि इस नाटक के चलते स्कूल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई थी और उन पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था.

जिला अदालत न्यायाधीश एम. प्रेमवती ने अपने आदेश में कहा, ‘बच्चों ने केवल यह अभिव्यक्त किया है कि अगर वे कागज नहीं दिखाते तो उन्हें देश छोड़ना होगा. इसके अलावा ऐसा कुछ नहीं है जिससे यह दिखे कि उन्होंने राजद्रोह जैसा कोई अपराध किया हो.’

अदालत ने शाहीन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के अध्यक्ष अब्दुल कादिर (60)  और स्कूल को हेडमास्टर अलाउद्दीन (40) और स्कूल प्रबंधन समिति के तीन सदस्यों को दो-दो लाख रुपये के निजी बांड के साथ जमानत दी.

स्थानीय पत्रकार मोहम्मद यूसुफ रहीम ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर नाटक प्रसारित किया था. उन्हें भी अग्रिम जमानत दी गई है.

यह मामला 26 जनवरी को भाजपा के स्थानीय कार्ययर्ता नीलेश रक्षयाल की शिकायत पर दर्ज किया गया था, जिन्होंने रहीम के सोशल मीडिया अकाउंट से ये नाटक देखा था.

मंगलवार को अदालत के साथ राजद्रोह के मामले के सभी आरोपियों को जमानत दे दी गई है. इससे पहले शाहीन प्राइमरी और हाई स्कूल की संचालिका फरीदा बेगम और एक छात्र की मां नजबुन्निसा को जमानत दे दी गई थी.

जिला प्रमुख और सत्र न्यायाधीश ने नजबुन्निसा और फरीदा बेगम को एक लाख रुपये के निजी बांड पर जमानत दी गई थी.

अपने आदेश में जिला न्यायाधीश प्रेमवती ने कहा, ‘जानकारी और अन्य अभिलेखों के सावधानीपूर्क अवलोकन पर पाया गया है कि कलाकारों ने प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया है और उन्होंने प्रधानमंत्री के खिलाफ चप्पल का इस्तेमाल किया है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘यह पाया गया है कि नाटक के माध्यम से उन्होंने सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध किया था और नाटक स्कूल के समारोह में आयोजित किया था लेकिन संवाद अगर पूरी तरह से पढ़ा जाए तो कहीं भी सरकार के खिलाफ राजद्रोह का कोई मुकदमा नहीं बनता.

अदालत ने यह भी कहा कि अगर केवल अभियोजन द्वारा निकाला हुआ हिस्सा देखें तो वह आपत्तिजनक है, ‘लेकिन अगर डायलाग को पूरा पढ़ा जाये तो  तो कहीं भी सरकार के खिलाफ नहीं है और प्रथमदृष्टया आईपीसी की धारा 124 ए के तहत राजद्रोह नहीं हैं.’

जज ने कहा, ‘मेरे विचार से यह डायलाग नफरत, अवमानना और सरकार के प्रति कोई असहमति प्रकट नहीं करता.’ उन्होंने आगे कहा कि देशभर में सीएए-एनआरसी के खिलाफ और समर्थन में रैली और प्रदर्शन हो रहे हैं और हर नागरिक को कानून के दायरे में रहते हुए सरकार के तरीकों पर असहमति जताने का अधिकार है.

अदालत ने आगे यह भी कहा, ‘अगर इसे फेसबुक पर अपलोड नहीं किया गया होता तो जनता को कभी इस नाटक के संवाद के बारे में पता ही नहीं चलता. इस नाटक से समाज में किसी भी प्रकार का असामंजस्य पैदा नहीं हुआ है.’

अदालत ने यह भी कहा कि आईपीसी की धारा 504 (शांतिभंग के इरादे से जानबूझकर अपमान करना) लगाने के लिए खुद प्रधानमंत्री मोदी को इस नाटक के संवाद के बारे में शिकायत करनी होगी.