अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के इतिहास में पहली बार भारतीय महिला क्रिकेट टीम आईसीसी टी-ट्वेंटी विश्वकप के फाइनल में है और इसका श्रेय 16 वर्षीय शेफाली वर्मा की बल्लेबाज़ी को जाता है. महज़ छह महीने पहले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में आई शेफाली अपने शानदार प्रदर्शन के चलते दुनिया के उत्कृष्ट बल्लेबाज़ों की आईसीसी रैंकिंग में पहले स्थान पर पहुंच गई हैं.
बीते 28 जनवरी को ही शेफाली वर्मा 16 साल की हुई हैं. भारतीय महिला क्रिकेट टीम की यह ओपनिंग बल्लेबाज इस छोटी-सी उम्र में ही विश्व क्रिकेट के बड़े-बड़े रिकॉर्ड ध्वस्त कर चुकी हैं.
यहां विश्व क्रिकेट से आशय केवल महिला क्रिकेट से नहीं है, पुरुषों का क्रिकेट भी इसमें शामिल है. शेफाली की हालिया उपलब्धि यह है कि वे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) की ट्वेंटी-20 क्रिकेट की महिला बल्लेबाजों की रैंकिंग में पहले पायदान पर पहुंच गई हैं. यानी कि वे वर्तमान में महिला टी20 क्रिकेट में विश्व की नंबर एक बल्लेबाज हैं.
और दिलचस्प पहलू यह है कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलते हुए छह माह भी नहीं हुए हैं. 24 सिंतबर 2019 को उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया था. लेकिन अपनी आक्रामक बल्लेबाजी और प्रदर्शन में निरंतरता के दम पर उन्होंने इतने कम समय में ही केवल 18 मैच खेलकर यह उपलब्धि हासिल करते हुए विश्व की कई दिग्गज महिला बल्लेबाजों को पीछे छोड़ दिया है.
केवल इतना ही नहीं, महिला एवं पुरुष दोनों ही प्रकार के क्रिकेट को देखें तो आईसीसी की बल्लेबाजी रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंचने वाली वह सबसे युवा भारतीय बल्लेबाज बन गई है.
🚨 RANKINGS UPDATE 🚨
Youngsters at the top of the world! New No.1 on the @MRFWorldwide ICC Women's T20I Rankings following the #T20WorldCup group stage!
Batting ▶️ Shafali Verma 🇮🇳
Bowling ▶️ Sophie Ecclestone 🏴 pic.twitter.com/KU4pAjKIxr— ICC (@ICC) March 4, 2020
यह उपलब्धि उन्होंने महज 16 साल और 36 दिन की उम्र में पाई है. और ऐसा संभव हुआ विश्वकप में उनकी धमाकेदार बल्लेबाजी के प्रदर्शन के चलते.
भारतीय महिला क्रिकेट टीम ऑस्ट्रेलिया में खेले जा रहे सातवें टी20 महिला क्रिकेट विश्वकप के फाइनल में पहुंच गई है. क्रिकेट इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है और इसमें शेफाली का बहुत बड़ा योगदान रहा है.
भारतीय बल्लेबाजी की ताकत स्मृति मंधाना और हरमनप्रीत कौर, जिनसे भारत को विश्वकप जिताने की उम्मीद थी, वे पूरे विश्वकप में एक-एक रन के लिए जूझती नजर आईं.
इन विपरीत हालातों में टीम की सबसे कम उम्र की सदस्य शेफाली ने स्कोरकार्ड पर भारत के लिए रन टांगे और जिस तेज गति से टांगे, उसका मुकाबला इस पूरे विश्वकप में विश्व की अन्य कोई भी बल्लेबाज नहीं कर पाई.
हरियाणा के रोहतक जिले की रहने वाली शेफाली के पिता पेशे से सुनार हैं. रोहतक महिलाओं के प्रति मानसिकता को लेकर अपेक्षाकृत अधिक रुढ़िवादी रहा है.
कई मौकों पर शेफाली के पिता संजीव वर्मा बता चुके हैं कि शेफाली का क्रिकेट खेलना भी आसानी से स्वीकार नहीं किया गया था, लेकिन वे अपनी बेटी के साथ डटे रहे.
तब किसे पता था कि एक दिन वे भारत के लिए विश्व कप खेलेंगी और महज 16 साल की ही उम्र में टीम की सबसे प्रमुख बल्लेबाज बनकर उभरेंगी.
इस विश्वकप में शेफाली अब तक खेले 4 मैचों में 40.25 के औसत से 161 रन बना चुकी हैं और उनका स्ट्राइक रेट (प्रति 100 गेंदों पर बनाए कुल रन) 161 का है, जो टूर्नामेंट में सबसे अधिक है.
उनकी आक्रामक बल्लेबाजी का ही कमाल है कि इस विश्वकप में भारत ने पावर-प्ले (किसी भी पारी के शुरुआती छह ओवर जिनमें कि फील्डिंग पाबंदियां लागू होती हैं) में सबसे अधिक तेजी से रन बनाए हैं. कुल चार मैचों के 24 ओवर में 8.25 के रन रेट के साथ भारत ने 198 रन बनाए हैं.
जबकि दूसरे नंबर पर इंग्लैंड है जिसने इस दौरान 6.79 के रन रेट से 163 रन बनाए हैं. भारत से फाइनल में भिड़ने वाली ऑस्ट्रेलिया ने तो सिर्फ 5.96 का रन रेट निकाला है.
पावर-प्ले में शेफाली के धुआंधार खेल की बानगी उनकी खेली पारियों से समझ आती है. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्होंने 15 गेंदों पर 29 रन, बांग्लादेश के खिलाफ 17 गेंदों पर 39 रन, न्यूजीलैंड के खिलाफ 34 गेंदों पर 46 रन और श्रीलंका के खिलाफ 34 गेंदों पर 47 रन की पारियां खेलीं. इस दौरान उन्होंने 9 छक्के भी मारे हैं जो इस विश्वकप में किसी भी बल्लेबाज द्वारा मारे छक्कों में सर्वाधिक हैं.
पावर-प्ले में दूसरी टीमों के मुकाबले इस बढ़त के चलते ही भारत इस विश्वकप में अब तक अपराजित रहा है और यह बढ़त शेफाली की बदौलत ही संभव हुई है.
कुल मिलाकर पूरे विश्वकप में भारत और अन्य टीमों के प्रदर्शन के बीच सबसे बड़ा अंतर शेफाली साबित हुई हैं. वे क्रीज पर कदम रखते ही विपक्षी गेंदबाजों पर कुछ इस तरह हावी हो जाती हैं कि विपक्षी टीम बैकफुट पर चली जाती है या पावर-प्ले में ही खेल से बाहर हो जाती है.
यही कारण हैं कि अब तक खेले चार मैचों में से दो में शेफाली प्लेयर ऑफ द मैच के खिताब से नवाजी गई हैं.
शेफाली की इसी आक्रामक बल्लेबाजी की तुलना भारतीय पुरुष टीम के पूर्व विस्फोटक सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग से करते हुए भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान डायना एडुल्जी कहती हैं, ‘शेफाली वो खिलाड़ी हैं जो दर्शकों को महिला क्रिकेट देखने के लिए विवश करेंगी. तुलना करना ठीक तो नहीं होगा लेकिन वे मुझे वीरेंद्र सहवाग की याद दिलाती हैं. उनकी हमलावर शैली महिला क्रिकेट में एक नयापन लेकर आई है.’
उनका कहना सही भी है. जब से शेफाली ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखा है, वे हर मैच के साथ नये कीर्तिमान गढ़ रही हैं. अपने पांचवे ही अंतरराष्ट्रीय मैच में उन्होंने क्रिकेट के सर्वकालिक महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर का तीन दशक पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया था.
10 नवंबर 2019 को भारत के वेस्टइंडीज दौरे पर वेस्टइंडीज के खिलाफ सेंट लुसिया के मैदान पर खेलते हुए उन्होंने 49 गेंदों पर 73 रनों की मैच जिताऊ आक्रामक पारी खेली थी. यह उनका पांचवां मैच था और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पहला अर्द्धशतक.
उस समय शेफाली की उम्र 15 साल, 285 दिन थी. इस तरह क्रिकेट का अपना पहला अंतरराष्ट्रीय अर्द्धशतक लगाने वाली वह सबसे कम उम्र की भारतीय बल्लेबाज बन गई थीं.
उनसे पहले यह रिकॉर्ड सचिन तेंदुलकर के नाम था. उन्होंने वर्ष 1989 में 16 साल 214 दिन की उम्र में यह उपलब्धि हासिल की थी.
इसी तरह वर्तमान में शेफाली का बल्लेबाजी स्ट्राइक रेट विश्व की किसी भी महिला बल्लेबाज से अधिक है. उन्होंने अपने करिअर में अब तक खेले 18 टी20 मैचों में 146.96 के स्ट्राइक रेट के साथ 485 रन बनाए हैं.
First-ball four for Shafali Verma 🔥
How many will she get today? #T20WorldCup | #INDvSLpic.twitter.com/0ZQUFFhcWF
— T20 World Cup (@T20WorldCup) February 29, 2020
करिअर में 200 या इससे अधिक रन बनाने वाली विश्व की सभी महिला बल्लेबाजों में उनका स्ट्राइक रेट सबसे अधिक है. भारतीय बल्लेबाजी में उनका महत्व ऐसे भी समझा जा सकता है कि वर्तमान टीम में खेल रहीं किसी भी अन्य बल्लेबाज का स्ट्राइक रेट 120 का भी नहीं है.
साथ ही वे 28.52 के औसत से रन बना रही हैं. वर्तमान टीम के सभी सदस्यों में उनका बल्लेबाजी औसत भी सर्वाधिक है जो उनके प्रदर्शन की निरंतरता को साबित करता है.
भारतीय टीम में शेफाली से पहले औसत, स्ट्राइक रेट और पावर-प्ले में तेजी से रन बनाने के मामले में स्मृति मंधाना शीर्ष पर थीं. वे पिछले कुछ सालों में भारत की सबसे सफल महिला बल्लेबाज रही हैं.
शेफाली की बल्लेबाजी पर स्मृति कहती हैं, ‘पिछले दो-तीन सालों से मैं टीम के लिए मैं खूब रन बनाया करती थी, विशेष तौर पर पावर-प्ले में. लेकिन अब शेफाली के आने के बाद, वह वैसे ही रन बना रही है जैसे मैं बनाती हूं. इससे टीम को और अधिक संतुलन मिला है.’
जिस शेफाली को छह महीने पहले तक कोई नहीं जानता था, आज वही शेफाली विश्व चैंपियन ऑस्ट्रेलिया की सबसे प्रमुख और अनुभवी तेज गेंदबाज मेगन स्कॉट के लिए डर का सबब बन गई हैं.
विश्व में चोटी की गेंदबाज मेगन ने इस विश्वकप में डाले अपने पहले ओवर में ही शेफाली के हाथों एक ओवर में चार चौके खाए थे. फाइनल में मेगन को फिर से शेफाली का सामना करना है.
इस पर वे कहती हैं, ‘मुझे भारत के खिलाफ खेलने से नफरत है. वे मुझ पर हावी हो जाते हैं. स्मृति और शेफाली ने मेरी गेंदों को आसानी से खेला है. त्रिकोणीय श्रृंखला में शेफाली ने जो छक्का मेरी गेंद पर लगाया था वह मेरी गेंदों पर लगाया गया अब तक का सबसे बड़ा छक्का था.’
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में आने से पहले शेफाली वर्ष 2016 से हरियाणा के रोहतक स्थित राम नारायण क्रिकेट अकादमी में क्रिकेट की बारीकियां सीख रही थीं.
द वायर से बातचीत में अकादमी के कोच संजय भदवार शेफाली की बल्लेबाजी पर बात करते हुए बताते हैं, ‘उसे बड़े शॉट खेलना पसंद है. वो मिड ऑन, मिड ऑफ के ऊपर अच्छे स्ट्रोक मारती है, ड्राइव भी अच्छा मारती है. उसकी बॉडी स्ट्रेंथ ही उसकी बड़ी ताकत है.’
वे अकादमी में बिताए शेफाली के शुरुआती दिनों के बारे में बात करते हुए कहते हैं, ‘शॉट खेलते वक्त शुरु से ही उसमें दूसरी लड़कियों के मुकाबले काफी ज्यादा ताकत थी, स्ट्रोक पावर उसकी लाजवाब थी. शुरु में हमने उसे छोटे बच्चों के ग्रुप में रखा, वहां वो बहुत पावरफुल शॉट खेलती थी. यह देखते हुए हमने उसे प्रमोट करके 15-17 उम्र के बच्चों के ग्रुप में डाला. एक साल वहां उसने लड़कों के साथ अभ्यास किया, उस उम्र के गेंदबाजों को भी शेफाली बहुत अच्छे से खेलती थी. बड़े-बड़े हिट मारती थी.’
वे आगे बताते हैं, ‘यह देखकर पिछले साल हमने उसे अपने एलीट ग्रुप जिसमें राज्य स्तरीय और रणजी ट्रॉफी स्तर के खिलाड़ी खेलते हैं, में प्रमोट कर दिया. उसने सबको चौंकाते हुए वहां भी निडर होकर अपना स्वाभाविक खेल खेला.’
वही स्वाभाविक खेल शेफाली अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी खेल रही हैं. आंकड़े भी यह बताते हैं कि बड़े शॉट उन्हें पसंद हैं.
अपने करिअर में उन्होंने 485 रन बनाए हैं जिनमें से 358 रन तो चौकों और छक्कों से बनाए हैं. यानी कि 75 प्रतिशत रन उन्होंने बाउंड्री से बनाए हैं. इस विश्वकप में भी उन्होंने 161 रनों में से 126 रन बाउंड्री लगाकर बनाए हैं. यानी कि 75 प्रतिशत से अधिक.
छक्के मारने की भी उनकी औसत लाजवाब है. करिअर के 18 टी20 मैचों में वे 21 छक्के जड़ चुकी हैं. भारतीय टीम में उनसे अधिक छक्के केवल स्मृति मंधाना ने मारे हैं. स्मृति 32 छक्के मार चुकी हैं लेकिन इसके लिए उन्होंने 74 टी20 मैच खेले हैं.
हालांकि, 18 मैचों में शेफाली केवल दो ही अर्द्धशतक लगा सकी हैं. क्योंकि अक्सर ही तेजी से 30-40 रन बनाकर वे आउट हो जाती हैं. इसलिए डायना एडुल्जी इंडियन एक्सप्रेस के अपने एक लेख में कहती हैं, ‘जितना वह क्रीज पर टिकेगी, उतना ही गेंदबाज उससे डरेंगे. ऐसे खिलाड़ी मैच का रुख तय करते हैं. लेकिन किसी को उसे बताने की जरूरत है कि 30-40 रन बनाने के बाद उसे चार-पांच ओवर और बल्लेबाजी करने की जरूरत है. क्योंकि अगर वो लंबा टिकती है तो अकेले दम पर मैच जिता ले जाएगी.’
वे आगे लिखती हैं, ‘उसके अंदर महिला क्रिकेट के छोटे संस्करण (टी20) में अब तक देखी गई सबसे खतरनाक बल्लेबाजों में से एक बनने के सभी गुण मौजूद हैं.’
हालांकि टीम की कप्तान हरमनप्रीत कुछ अलग सोचती हैं. विश्वकप के आखिरी लीग मैच के बाद उन्होंने कहा, ‘शेफाली को बड़े शॉट खेलना पसंद है. हम उन्हें रोकना नहीं चाहते हैं. उन्हें आगे भी ऐसा खेल जारी रखना चाहिए.’
इस पर शेफाली के कोच संजय का कहना है, ‘अभी वो बस 16 साल की ही है. वह जैसे-जैसे और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलेगी तो समय के साथ उसमें ये परिपक्वता आएगी कि कौन-सी गेंद पिक करना है और कौन-सी छोड़ना है. थोड़ा धैर्य रखिए, ये सब अपने आप दिखेगा उसकी बल्लेबाजी में.’
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं.)