कुछ दिन पहले मध्य प्रदेश के सीधी ज़िले के कोतवाली थाने के भीतर अर्धनग्न अवस्था में खड़े कुछ लोगों की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी. आरोप है कि स्थानीय भाजपा विधायक केदारनाथ शुक्ल के इशारे पर पुलिस ने पत्रकार और अन्य लोगों को सबक सिखाने के लिए उन्हें हिरासत में लेकर उनके कपड़े उतरवाए और लगभग नग्न अवस्था में उनकी तस्वीर सार्वजनिक कर दी.
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी सीटों के लिहाज़ से भले ही पिछड़ी हो, लेकिन मत प्रतिशत के मामले में उसने लंबी छलांग लगाई है. अपने चुनावी इतिहास में पहली बार उसे 30 फीसदी से अधिक मत मिले हैं.
आज़ादी के बाद से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का एकछत्र राज हुआ करता था, लेकिन आज हालात ये हैं कि किसी समय राज्य की नब्बे फीसदी से अधिक (430 में से 388) सीट जीतने वाली कांग्रेस दो सीटों पर सिमट कर रह गई है.
यूपी की 403 सीटों पर उतरी बसपा के खाते में महज़ एक सीट आई है. साल 1989 में पार्टी के गठन के बाद से यह उसका सबसे ख़राब प्रदर्शन है. उसे 12.88 फीसदी मत मिले हैं. इससे कम मत आख़िरी बार उसे तीन दशक पहले मिले थे, लेकिन सीट संख्या तब दहाई अंकों मे थी.
उत्तर प्रदेश के पिछले तीन दशकों से अधिक के विधानसभा चुनावों के आंकड़ों पर गौर करते हैं तो कुछ रोचक नतीजे निकलकर सामने आते हैं, जिनके अनुसार इस बार सपा अगर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में कामयाब होती है तो यह यूपी की राजनीति के लिहाज़ से एक दुर्लभ घटना होगी.
यूपी में बीते कुछ चुनावों से सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला ही राजनीतिक दलों की सफलता का आधार बना है. वर्तमान चुनाव में समाजवादी पार्टी की सोशल इंजीनियरिंग चर्चा में है. हालांकि जानकारों के अनुसार, पिछले विधानसभा व लोकसभा चुनावों के दो अलग-अलग सपा गठबंधनों की विफलता के चलते इस बार के गठबंधन की कामयाबी को लेकर कोई सटीक दावा नहीं किया जा सकता.
2019 के लोकसभा चुनाव में प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश से सक्रिय राजनीति में क़दम रखा था, तब भले ही वे कोई कमाल नहीं दिखा सकीं, पर उसके बाद से राज्य में उनकी सक्रियता चर्चा में रही. विपक्ष के तौर पर एकमात्र प्रियंका ही थीं जो प्रदेश में हुई लगभग हर अवांछित घटना को लेकर योगी सरकार को घेरती नज़र आईं.
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के 13 ज़िलों में फैले बुंदेलखंड को पृथक राज्य बनाने की मांग क़रीब 65 वर्ष पुरानी है. नब्बे के दशक में इसने आंदोलन का रूप भी लिया, समय-समय पर नेताओं ने इसके सहारे वोट भी मांगे लेकिन अब यह मतदाताओं को प्रभावित कर सकने वाला मुद्दा नहीं रह गया है.
ग्राउंड रिपोर्ट: साल 2014 में तत्कालीन केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने सांसद ग्राम योजना की तर्ज पर अपने संसदीय क्षेत्र झांसी की पहुज नदी को गोद लेते हुए इसके संरक्षण का बीड़ा उठाया था, लेकिन आज वही पहुज नदी बांध निर्माण, प्रदूषण व अतिक्रमण के चलते अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है.
ग्राउंड रिपोर्ट: झांसी बुंदेलखंड क्षेत्र का सबसे बड़ा शहर है, जो स्मार्ट सिटी में भी शुमार है. लेकिन शहर और इससे सटे गांवों में पानी की भारी किल्लत और पलायन की समस्या क्षेत्र की समस्याओं की बानगी भर हैं.
ग्राउंड रिपोर्ट: विधानसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने झांसी रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर ‘वीरांगना लक्ष्मीबाई’ कर दिया था, जिससे झांसी के लोग ख़ुश नहीं हैं. यहां तक कि स्वयं को सरकार और भाजपा समर्थक बताने वाले लोग भी इसे ग़लत बता रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव प्रचार में जहां भाजपा, सपा-रालोद और कांग्रेस लगातार मैदान में दिखाई दे रहे हैं, वहीं बसपा सुर्ख़ियों से ग़ायब-सी है.
सुप्रीम कोर्ट के एक फ़ैसले से राज्य की भाजपा सरकार और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के बीच इस बात पर घमासान मचा है कि दोनों में कौन बड़ा ओबीसी हितैषी है और कौन विरोधी. इस तनातनी का केंद्रबिंदु राज्य के पंचायत चुनाव रहे, जिन्हें लगभग सभी तैयारियां पूरी होने के बावजूद ऐन वक़्त पर निरस्त करना पड़ा.
ग्राउंड रिपोर्ट: नौ नवंबर को शिवपुरी ज़िले के रामनगर गधाई गांव में खेत के पास एक पुलिया बनाने को लेकर हुए विवाद के बीच कथित तौर पर पुलिस के लाठीचार्ज में दस महीने के शिशु की मौत हो गई. पीड़ित परिवार का कहना है कि उनके परिवार की महिलाओं को पीटा गया और अब उन्हीं के परिवार के पंद्रह सदस्यों के ख़िलाफ़ संगीन धाराओं में केस दर्ज किया गया है.
मध्य प्रदेश में सर्वाधिक सरसों उत्पादन भिंड और मुरैना ज़िलों में होता है. अक्टूबर में रबी सीज़न आते ही सरसों की बुवाई शुरू हो चुकी है, जिसके लिए किसानों को बड़े पैमाने पर डीएपी खाद की ज़रूरत है. लेकिन सरकारी मंडियों से लेकर, सहकारी समितियों और निजी विक्रेताओं के यहां बार-बार चक्कर काटने के बावजूद भी किसानों को खाद नहीं मिल रही है.