मध्य प्रदेश में जहां भारतीय जनता पार्टी ने इतिहास का सबसे अधिक वोट प्रतिशत (48.55) अर्जित किया, वहीं उसका अपने सभी मंत्रियों पर भरोसा जताने का दांव ज़्यादा सफल साबित नहीं हुआ. चुनाव में उतरे शिवराज सिंह कैबिनेट के 31 में से 12 मंत्री चुनाव हारे हैं.
मध्य प्रदेश में भाजपा ने 3 केंद्रीय मंत्रियों, 4 सांसदों और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को चुनाव लड़ाया था. इन आठ नेताओं में से छह अपनी-अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे हैं.
मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की है, हालांकि ये नतीजे ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए निराशाजनक हैं. पार्टी ने सिंधिया के कुल 16 समर्थकों को चुनावी मैदान में उतारा था, उनमें से 8 की हार हुई है. हारने वालों में तीन मंत्री और दो विधायक भी शामिल हैं.
मध्य प्रदेश में चौदहवीं विधानसभा (2018-2023) ने भाजपा और कांग्रेस, दो सरकारों को देखा, जहां जनता ने राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं, दल-बदल तो देखे ही, साथ ही बढ़ती कट्टरता और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को पैठ बनाते देखा. इन पांच सालों के घटनाक्रमों से प्रदेश में भविष्य की राजनीति की दिशा समझी जा सकती है.
बीते हफ्ते एक बिचौलिए के साथ करोड़ों की 'डील' का वीडियो सामने आने के बाद फिर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र प्रताप सिंह तोमर का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें वे सैकड़ों करोड़ के लेनदेन की बात करते दिखते हैं. मध्य प्रदेश की दिमनी सीट से चुनाव लड़ रहे नरेंद्र सिंह मुख्यमंत्री पद की रेस में भी हैं.
विधानसभा चुनाव में भाजपा ने केंद्रीय मंत्री समेत सांसदों और वरिष्ठ नेताओं को उतारा, फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भाषण आदि में मौजूदा सीएम का कोई ज़िक्र नहीं हुआ. ऐसे में पार्टी का संभावित मुख्यमंत्री के सवाल पर गोलमोल जवाब देना शिवराज सिंह चौहान के मध्य प्रदेश की राजनीति में भविष्य पर सवाल खड़े करता है.
विशेष रिपोर्ट: 2020 में भाजपा की सत्ता में वापसी के बाद से लगभग हर संगीन अपराध में न्यायिक फैसले का इंतजार किए बिना आरोपियों को सज़ा देने के लिए उनसे जुड़े निर्माण अवैध बताकर बुलडोज़र चला दिया गया. कथित अपराध की सज़ा आरोपी के परिजनों को देने की इन मनमानी कार्रवाइयों का शिकार ज़्यादातर मुस्लिम, दलित और वंचित तबके के लोग ही रहे.
इस हफ्ते की शुरुआत में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र प्रताप सिंह तोमर का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें उन्हें कथित तौर पर एक बिचौलिए के माध्यम से करोड़ों रुपये की डील करते हुए देखा जा सकता है. केंद्रीय मंत्री मध्य प्रदेश की दिमनी सीट से चुनावी मैदान में हैं. उनका नाम मुख्यमंत्री पद की रेस में भी है.
साक्षात्कार: मध्य प्रदेश में शिक्षा जगत के बहुचर्चित व्यापमंं घोटाले का खुलासा करने वालों में से एक आरटीआई कार्यकर्ता आशीष चतुर्वेदी दशक भर से जारी घोटाले की जांच पर कहते हैं कि केंद्र और राज्य में भाजपा सरकारें होने के चलते सीबीआई दबाव में काम कर रही है. जब कांग्रेस ने राज्य में सरकार बनाई, तो उसने भी घोटाले की जांच का चुनावी वादा पूरा नहीं किया.
वीडियो: मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार और घोटालों की बात हो तो 'व्यापमं' का नाम सबसे ऊपर आता है. शिक्षा जगत के इस सबसे बड़े घोटाले की दशक भर से जारी जांच पर भी सवाल उठते रहे हैं. विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र भाजपा सरकार पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच व्यापमं घोटाले को सामने लाने वालों में शामिल आरटीआई कार्यकर्ता आशीष चतुर्वेदी से बातचीत.
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन पर बातचीत विफल रहने के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने राज्य की छह सीटों पर उनका जनाधार होने की बात कही थी. हालांकि, सपा के प्रदर्शन का चुनाव दर चुनाव विश्लेषण करने पर कांग्रेस की हिचकिचाहट की वजह साफ हो जाती है.
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा की पांचवीं सूची जारी होने के साथ ही 230 विधानसभा सीटों में से 228 पर इसके प्रत्याशियों के नाम साफ़ हो गए हैं. पार्टी ने लगभग सभी मंत्रियों को चुनाव मैदान में उतारा है, हालांकि टिकट वितरण को लेकर पार्टी फिर भी असंतोष, विरोध और बग़ावत का सामना कर रही है.
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए गुरुवार को कांग्रेस की दूसरी सूची जारी होने के साथ 230 विधानसभा सीटों में से 229 पर इसके प्रत्याशियों के नाम साफ़ हो गए हैं. हालांकि, टिकट वितरण को लेकर विरोधी स्वरों के बीच पार्टी द्वारा 'सर्वे कर टिकट बांटने' के दावे पर भी सवाल उठ रहे हैं.
2016 में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने राज्य में 'आनंद विभाग' के गठन को मंज़ूरी दी थी. दावा किया गया था कि लोगों का जीवन खुशहाल बनाने के लिए एक विशेष विभाग बना है. हालांकि, अब हाल यह है कि विभाग के काम के बारे में आम लोगों को तो छोड़ें, भाजपा के नेताओं को ही नहीं पता है.
मध्य प्रदेश का ग्वालियर-चंबल अंचल सिंधिया घराने का गढ़ माना जाता रहा है. ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस में रहने के दौरान उन्हें यहां का 'सुपर सीएम' कहा जाता था, लेकिन उनके भाजपा में जाने के बाद स्थितियां बदल चुकी हैं.