वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020-21 के बजट में विनिवेश आय से 2.1 लाख करोड़ रुपये हासिल करने का लक्ष्य रखा था, जिसको पूरा करने के लिए देश की दूसरी सबसे बड़ी तेल रिफाइनर भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड का निजीकरण आवश्यक है.
नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े निजीकरण अभियान के तहत केंद्र सरकार ने शनिवार को भारत की दूसरी सबसे बड़ी तेल रिफाइनर भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) में अपनी पूरी 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री के लिए बोलियां आमंत्रित कीं.
निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम) ने बोली दस्तावेज में कहा कि बीपीसीएल की रणनीतिक बिक्री के लिए दो मई को रूचि पत्र जारी किया था.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले साल नवंबर में पेट्रोलियम विपणन एवं रिफाइनिंग कंपनी बीपीसीएल की रणनीतिक बिक्री को मंजूरी दे दी थी.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020-21 के बजट में विनिवेश आय से 2.1 लाख करोड़ रुपये हासिल करने का लक्ष्य रखा था जिसको पूरा करने के लिए बीपीसीएल का निजीकरण आवश्यक है.
बोली दस्तावेज में कहा गया, ‘भारत सरकार बीपीसीएल में अपने 114.91 करोड़ इक्विटी शेयर यानि बीपीसीएल की इक्विटी शेयर पूंजी में से कुल 52.98 प्रतिशत साझेदारी के रणनीतिक विनिवेश के साथ ही प्रंबधन नियंत्रण को रणनीतिक खरीदार का प्रस्ताव दे रही है.’
सरकार ने रणनीतिक विनिवेश प्रक्रिया के प्रबंधन और इस विषय पर सलाह देने के लिए डेलोइट टोशे टोमात्सु इंडिया एलएलपी को अपने सलाहकार के रूप में अनुबंधित किया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, प्रस्तावित दस्तावेज में कहा गया है कि निजीकरण में भागीदारी के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां (पीएसयू) योग्य नहीं हैं.
इसमें कहा गया है कि 10 बिलियन अमरीकी डालर की कुल मूल्य वाली कोई भी कंपनी बोली लगाने के लिए पात्र है और चार से अधिक फर्मों के कंसोर्टियम को बोली लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
बीपीसीएल खरीदारों को भारत की तेल शोधन क्षमता के 14 प्रतिशत और दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते ऊर्जा बाजार में लगभग एक-चौथाई ईंधन बाजार तक पहुंच प्रदान करेगा.
बीपीसीएल का बाजार पूंजीकरण लगभग 87,388 करोड़ रुपये है और मौजूदा कीमतों पर सरकार की हिस्सेदारी लगभग 46,000 करोड़ रुपये है. सफल बोलीदाता को अन्य शेयरधारकों को समान मूल्य पर अन्य 26 प्रतिशत प्राप्त करने के लिए एक खुली पेशकश भी करनी होगी.
बीपीसीएल मुंबई (महाराष्ट्र), कोच्चि (केरल), बीना (मध्य प्रदेश) और नुमालीगढ़ (असम) में 38.3 मिलियन टन प्रतिवर्ष की संयुक्त क्षमता के साथ चार रिफाइनरियों का संचालन करती है, जो भारत की कुल शोधन क्षमता का 249.4 मिलियन टन का 15 प्रतिशत है.
बता दें कि, नवंबर 2019 में उस समय बीपीसीएल के प्रस्तावित विनिवेश पर कांग्रेस के हीबी इडन ने लोकसभा में इस तरह के फैसले को देशहित के लिए नुकसानदेह बताते हुए सरकार से इस पर पुनर्विचार की मांग की थी.
वहीं सरकारी पेट्रोलियम कंपनियों के कर्मचारी संगठनों ने बीपीसीएल के रणनीतिक विनिवेश का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि इस विनिवेश से सरकार को एक बारगी राजस्व की प्राप्ति तो हो सकती है लेकिन इसका दीर्घकाल में बड़ा नुकसान होगा.
इससे पहले भी अधिकारियों ने कहा था कि कंपनी को कौड़ियों के दाम में बेचा जा रहा है और केंद्र सरकार द्वारा इसका निजीकरण देश के लिए आत्मघाती साबित होगा.
ज्ञात हो कि बीपीसीएल को निजी या विदेशी कंपनियों को बेचने के लिए सरकार को संसद की अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी क्योंकि सरकार ने बीपीसीएल के राष्ट्रीकरण संबंधी कानून को 2016 में रद्द कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर, 2003 में व्यवस्था दी थी कि बीपीसीएल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (एचपीसीएल) का निजीकरण संसद द्वारा कानून के संशोधन के जरिये ही किया जा सकता है. संसद में पूर्व में कानून पारित कर इन दोनों कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किया गया था.
अधिकारियों के अनुसार अब सुप्रीम कोर्ट की इस शर्त को पूरा करने की जरूरत नहीं है क्योंकि राष्ट्रपति ने निरसन एवं संशोधन कानून, 2016 को मंजूरी दे दी है और इस बारे में अधिसूचना जारी की जा चुकी है.
अक्टूबर में प्रकाशित एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एक जापानी स्टॉकब्रोकर नोमुरा रिसर्च की मानें तो बीपीसीएल में सरकार की 53.3 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के लिए मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) बोली लगा सकते हैं.
निवेशकों को भेजे गए नोट में नोमुरा ने कहा था कि उन्हें लगता है कि सरकार का यह कदम केवल औपचारिकता पूरी करने की कवायद भर है. नोमुरा ने कहा कि रिलायंस रिफाइनिंग या केमिकल में भले ही अपनी हिस्से कम करना चाहती हो लेकिन वह बीपीसीएल में अपनी हिस्सेदारी खरीदने के लिए बोली लगा सकती है.
नोमुरा के नोट के अनुसार, बीपीसीएल की हिस्सेदारी खरीदने के बाद रिलायंस को 25 फीसदी बाजार हिस्सेदारी हासिल हो जाएगी. इसमें 3.4 करोड़ टन की अतिरिक्त रिफाइनिंग क्षमता के साथ उसे सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी पर अधिकार भी मिल जाएगा. इसके साथ ही कंपनी के करीब 15 हजार पेट्रोल पंपों के साथ ही रिलायंस को अपना कारोबार बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)