कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ने और कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट के चलते शेयर बाजार पर दबाव देखने को मिला.
मुंबई: वैश्विक बाजारों में मंदी के रुख के चलते बंबई शेयर बाजार के सेंसेक्स सूचकांक में सोमवार को कारोबार के दौरान 1,900 अंकों से अधिक की गिरावट दर्ज की गई.
इस दौरान कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ने और कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट के चलते बाजार पर दबाव देखने को मिला.
वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड वायदा करीब 30 प्रतिशत गिरकर 32.11 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ गया.
ऊर्जा बाजार में प्रमुख तेल उत्पादक देशों के बीच कीमतों को काबू में करने को लेकर कोई सहमति नहीं बन पाने और इसके बाद प्रमुख निर्यातक सऊदी अरब द्वारा कीमत युद्ध छेड़ देने के चलते ये गिरावट आई.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बीएसई सेंसेक्स में गिरावट का सिलसिला सोमवार को भी जारी रहा और 30 शेयरों पर आधारित सेंसेक्स में कारोबार के दौरान 1941.67 अंकों या 5.17 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई और यह 35,634.95 पर आ गया. यह 24 अगस्त 2015 के बाद से सबसे बड़ी गिरावट है.
इसी तरह एनएसई निफ्टी 538.00 अंक या 4.90 प्रतिशत टूट कर 10,451.45 पर आ गया. पिछले सत्र में बीएसई में 893.00 अंकों की और निफ्टी में 279.55 अंकों की गिरावट हुई थी.
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक सकल आधार पर विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 3,594.84 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 2,543.78 करोड़ रुपये की शुद्ध लिवाली की.
सेंसेक्स में सबसे अधिक 11 प्रतिशत गिरावट ओएनजीसी में देखी गई. इंडसइंड बैंक, आरआईएल, पावरग्रिड, टाटा स्टील, एलएंडटी, एसबीआई और टेक महिंद्रा भी लाल निशान में कारोबार कर रहे थे. एकमात्र सन फार्मा के शेयर में बढ़त देखने को मिली.
कारोबारियों ने बताया कि तेल कीमतों में भारी गिरावट और वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता के माहौल के देखते हुए घरेलू बाजार में निवेशक सतर्क रूख अपना रहे हैं. उन्होंने कहा कि विदेशी फंडों के बाहर जाने से बाजार की धारणा पर नकारात्मक असर पड़ा.
कारोबारियों ने बताया कि यस बैंक के संकट के मद्देनजर देश के बैंकिंग क्षेत्र की स्थिरता को लेकर चिंताएं जताई जा रही हैं.
शंघाई शेयर बाजार में 2.41 प्रतिशत, हांगकांग में 3.53 प्रतिशत, सियोल में 3.89 प्रतिशत और टोक्यो में 5.65 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)