बिमल गुरूंग के परिसर पर छापे के बाद भड़के पृथक गोरखालैंड के समर्थक. पिछले दो दिनों से स्कूल, बाज़ार और एटीएम बंद होने से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित.
दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल): गोरखा जनमुक्ति मोर्चा की ओर से बुलाए बंद के दूसरे दिन दार्जिलिंग पहाड़ियों और आसपास के क्षेत्रों में हिंसा की छिटपुट घटनाएं हुई हैं और संगठन के छह संदिग्ध समर्थकों को हिरासत में लिया गया है.
गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) प्रमुख बिमल गुरूंग और कुछ अन्य नेताओं के परिसरों पर छापेमारी के बाद संगठन ने पहाड़ी क्षेत्र में बंद का आह्वान किया है. इससे पिछले दो दिनों से जनजीवन अस्त-व्यस्त है.
एक अधिकारी ने बताया कि जीजेएम के छह संदिग्ध समर्थकों को कैलिमपोंग के ताराखोला स्थित वन विभाग के कार्यालय को आग लगाने के सिलसिले में हिरासत में लिया गया है.
उन्होंने कहा, जीजेएम के कुछ समर्थकों ने दार्जिलिंग से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित मिरिक में शुक्रवार को एक पंचायत कार्यालय में आग लगा दी.
बंद के कारण पहाड़ी क्षेत्र में स्कूल, बाज़ार और एटीएम आदि बंद हैं, जिससे लोगों को ख़ासी परेशानी उठानी पड़ रही है. अधिकारी ने कहा कि बंद के कारण यहां इग्नू केंद्रों पर परीक्षाएं भी नहीं हो पाई हैं.
सबसे ज़्यादा परेशानी यहां फंसे पर्यटकों को हो रही है क्योंकि सभी होटल, रेस्तरां, भोजनालय बंद पड़े हैं और मैदानी भाग में सिलीगुड़ी तक बेहद कम बसें चल रही हैं.
एक पर्यटक अनिंद भादुड़ी का कहना है, ‘हम सुबह साढ़े पांच बजे से बस का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन हमें सिलीगुड़ी तक लेकर जाने के लिए एक भी बस उपलब्ध नहीं है.
अन्य पर्यटक स्वाति राय ने कहा, ‘सिलीगुड़ी में मेरी प्रायोगिक परीक्षा है, लेकिन एक भी बस उपलब्ध नहीं है जिससे मैं वहां जा सकूं.’
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, ‘हम पहाड़ों में किसी को कानून-व्यवस्था ख़राब नहीं करने देंगे. कानून अपना काम करेगा. अगर कोई कानून तोड़ने का प्रयास करता है तो उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई होगी और प्रशासन बेहद कड़ाई से इन मामलों से निपटेगा.’
इससे पहले गोरखालैंड के समर्थकों ने 15 जून को पुलिस पर पेट्रोल बम और पत्थर फेंके और पुलिस के साथ झड़प में उलझे रहे. जबकि पुलिस लगातार उन पर आंसू गैस के गोले दाग रही थी और भीड़ को भगाने के लिए लाठीचार्ज भी किया.
जीजेएम ने पहले अपने नियंत्रण वाले राज्य सरकार और गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) के कार्यालयों में बंद का आह्वान किया था.
केंद्र ने स्थानीय प्रशासन की मदद के लिए 15 जून को अर्धसैनिक बलों के 400 जवानों को दार्जिलिंग भेजा. गौरतलब है कि वहां पहले से अर्धसैनिक बल के 1000 जवान मौजूद हैं.
पुलिस ने बिमल गुरूंग और अन्य लोगों के परिसरों पर छापेमारी के दौरान वहां से कुल्हाड़ी, तीर-धनुष, विस्फोटक, सहित 300 हथियार और रात को देखने में सक्षम दूरबीन और नकदी बरामद की थी.
इसके बाद गोरखालैंड समर्थकों का गुस्सा फूट पड़ा. नाराज अलगाववादी समूह ने दार्जिलिंग पहाड़ियों में अनिश्चितकालीन बंद का आह्वान किया है.
इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने एक कार को आग लगा दी गई. पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच पथराव भी हुआ.
गोरखा जनमुक्ति मोर्चा केंद्र सरकार में राजग का सहयोगी दल है और इसका अलगाववादी आंदोलन बेहद हिंसक रहा है.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहले कहा था, ‘हम पहाड़ी क्षेत्र में शांति चाहते हैं. बंगाल में शांति है. अगर कोई क़ानून का उल्लंघन करता है तो प्रशासन कार्रवाई करेगा. क़ानून अपना काम करेगा.’
जीजेएम के महासचिव रोशन गिरि और दार्जिलिंग से भाजपा सांसद एसएस अहलूवालिया ने 15 जून को केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से भेंट की थी. उन्होंने ज़िले में शांति बहाली के लिए केंद्र से हस्तक्षेप की मांग की थी.
पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग पहाड़ियों को मिलाकर पृथक गोरखालैंड के गठन की जीजेएम की मांग तेजी से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए राजनीतिक संकट का रूप ले रही है. इस संकट से गर्मी में परवान चढ़ने वाले यहां के पर्यटन उद्यमों पर बुरा असर पड़ा है.
बीते बृहस्पतिवार को जीजेएम के महासिचव रोशन गिरि ने कहा, ‘पहाड़ी में मौजूदा हालात राज्य सरकार के पैदा किए हैं. वे पुलिस बल का प्रयोग करके हमें दबाना चाहते हैं.’ उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार को इस राजनीतिक समस्या को सुलझाना चाहिए.
इस छापेमारी से महज एक दिन पहले यानी 14 जून को बिमल गुरूंग ने कहा था कि पृथक गोरखालैंड की मांग पूरी होने तक उनके समूह का आंदोलन जारी रहेगा. उन्होंने पर्यटकों से दार्जिलिंग से दूर रहने का आह्वान किया है.
पश्चिम बंगाल में चाय बगानों से भरे इस क्षेत्र को देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं. गर्मी के दिनों में यह संख्या और बढ़ जाती है.
जीजेएम के महासचिव रोशन गिरि ने कहा है, ‘पुलिस और राज्य सरकार हमें पहाड़ी क्षेत्र में अनिश्चितकालीन बंद बुलाने पर मजबूर कर रहे हैं. राज्य सरकार की क्रूरता के बारे में हम केंद्र को सूचित करेंगे.’
हथियार बरामद होने के मामले में जीजेएम नेता ने कहा, ‘उन्हें क्या मिला है? खुखरी हमारी परंपरा का हिस्सा है, उसे रखने में क्या हर्ज है? तीर-धनुष पारंपरिक हथियार हैं. वे तीरंदाज़ी प्रतियोगिता के विद्यार्थियों के लिए थे.’
जीजेएम ने पिछले चार दिन से पहाड़ में स्थित सरकारी और जीटीए कार्यालयों में अनिश्चितकालीन हड़ताल आहूत की हुई है. इसी पृष्ठभूमि में 15 जून को यह छापेमारी हुई है.
पृथक गोरखालैंड की जीजेएम की मांग को पहाड़ी क्षेत्र के छह अन्य दलों का समर्थन मिलने के बाद आंदोलन ने ज्यादा जोर पकड़ लिया है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार हालात पर नज़र रखे हुए है और कानून व्यवस्था और शांति बहाली के लिए राज्य सरकार की मांग के मुताबिक हरसंभव मदद भी मुहैया कराई गई है.
बीते मई महीने में पश्चिम बंगाल में 10 तक की कक्षाओं में बांग्ला भाषा की पढ़ाई अनिवार्य कर दी है. इस फैसले को लेकर दार्जिलिंग के लोग पहले से ही नाराज़ थे.
आईचौक की रिपोर्ट के अनुसार, उनकी नाराज़गी तब और बढ़ गई जब बांग्ला व बांग्ला भाषा बचाओ कमेटी के प्रमुख डॉ. मुकुंद मजूमदार ने एक विवास्पद बयान दे दिया.
मजूमदार ने कहा कि बंगाल में रहना है तो बांग्ला सीखनी और बोलनी होगी. इसके बाद नौ जून से गोरखालैंड मुक्ति मोर्चा ने विरोध तेज़ कर दिया.
जीजेएम ने इस दिन बंद का आह्वान किया था और पर्यटकों से दार्जिलिंग से दूर रहने के कहा था. तब से क्षेत्र में विरोध प्रदर्शनों के साथ हिंसा का माहौल है और हालात नाज़ुक बने हुए हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)