पहलू ख़ान लिंचिंग: दोनों दोषी किशोरों को तीन साल के लिए सुधार गृह भेजा गया

पहलू खान मॉब लिंचिंग मामले से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि जब अपराध हुआ उस समय दोनों दोषी नाबालिग थे. अब वे 18-21 वर्ष आयु वर्ग के हैं इसलिए उन्हें किशोर सुधार गृह भेजने की सजा सुनाई गई है.

Irshad Khan, 24, holds a picture of his father Pehlu, who was beaten to death by a mob of Hindu vigilantes in April when transporting cattle back to his home in the village of Jaisinghpur. REUTERS/Cathal McNaughton
इरशाद खान के हाथ में उनके पिता पहलू खान की तस्वीर. (फाइल फोटो: रॉयटर्स)

राजस्थान के अलवर में पहलू ख़ान की पीट-पीट कर हत्या मामले के जांच अधिकारियों ने कहा कि जब अपराध हुआ उस समय दोनों दोषी नाबालिग थे. अब वे 18-21 वर्ष आयु वर्ग के हैं, इसलिए उन्हें किशोर सुधार गृह भेजने की सज़ा सुनाई गई है.

Irshad Khan, 24, holds a picture of his father Pehlu, who was beaten to death by a mob of Hindu vigilantes in April when transporting cattle back to his home in the village of Jaisinghpur. REUTERS/Cathal McNaughton
पहलू ख़ान (फोटो: रॉयटर्स)

जयपुर: राजस्थान के अलवर के किशोर न्याय बोर्ड ने पहलू ख़ान मॉब लिंचिंग मामले में शुक्रवार को दो किशोरों को तीन साल तक किशोर सुधार गृह में रखने की सजा सुनाई. वर्ष 2017 के इस चर्चित मामले में यह पहली सजा सुनाई गई है.

मामले से जुड़े अधिकारी राम किशोर ने कहा, ‘बोर्ड ने दोनों को तीन तीन साल के लिए किशोर सुधार गृह जयपुर भेजने की सजा सुनाई है. ये दोनों अब 18-21 वर्ष आयु वर्ग में हैं.’

बोर्ड के सूत्रों ने कहा, ‘जब अपराध हुआ उस समय वे नाबालिग थे. अब वे 18-21 वर्ष आयु वर्ग के हैं इसलिए उन्हें किशोर सुधार गृह भेजने की सजा सुनाई गई है.’

बता दें कि अलवर के किशोर न्याय बोर्ड ने साल 2017 में पहलू ख़ान की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या करने के मामले में दोनों नाबालिगों को बीते सात मार्च को दोषी करार दिया था.

पुलिस के मुताबिक, दोनों नाबालिग 2017 में 55 वर्षीय पशु पालक पहलू ख़ान की पिटाई करने वाली भीड़ में शामिल थे.

पिछले साल अगस्त में अलवर की निचली अदालत ने मामले के छह आरोपियों को बरी कर दिया था और इस प्रकार मामले में यह पहली दोषसिद्धी है.

हालांकि राजस्थान की अदालत ने अपने फैसले में इस बात पर आश्चर्य जताया कि जिन वीडियो और तस्वीरों के आधार पर आरोपियों की पहचान की गई थी, उन्हें अदालत में पेश नहीं किया गया.

बता दें कि, इस मामले में बहरोड़ पुलिस थाने में सात एफआईआर दर्ज की गयी थी, जिनमें एक प्राथमिकी ख़ान की कथित हत्या और छह गोवंश के अवैध परिवहन से संबद्ध थी.

निचली अदालत ने आरोपी विपिन यादव, रविंद्र कुमार, कल्लूराम, दयानंद, योगेश कुमार और भीम राठी को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था, जिसके खिलाफ राज्य सरकार ने अक्टूबर में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.

उल्लेखनीय है कि एक अप्रैल 2017 को पहलू ख़ान, उसके दो बेटे और कुछ अन्य लोग जयपुर से कुछ गायों को ला रहे थे, तब अलवर के बेहरोर में कथित गोरक्षकों ने उन्हें रोका और पिटाई की. घायल ख़ान की तीन अप्रैल को अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी.

उल्लेखनीय है कि हरियाणा निवासी पहलू ख़ान की भीड़ हत्या के इस मामले में कुल नौ आरोपियों में तीन नाबालिग हैं, जिनका मामला किशोर न्यायालय में चल रहा था.

इस घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था और एक समाचार चैनल द्वारा की गयी एक रिपोर्ट में भी एक आरोपी को को पहलू ख़ान को मारने की बात स्वीकार करते हुए दिखाया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)