​हरियाणा में 15 दलितों पर राजद्रोह का मुक़दमा दर्ज़

पुलिस का दावा है कि आरोपियों ने करीब तीन महीने पहले तब भड़काऊ भाषण दिए थे जब वे हत्या के आरोपी चार दलितों की रिहाई के लिए प्रदर्शन कर रहे थे.

पुलिस का दावा है कि आरोपियों ने करीब तीन महीने पहले तब भड़काऊ भाषण दिए थे जब वे हत्या के आरोपी चार दलितों की रिहाई के लिए प्रदर्शन कर रहे थे.

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(प्रतीकात्मक तस्वीर:पीटीआई)

हरियाणा पुलिस ने 15 दलित अधिकार कार्यकर्ताओं पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया है. इस कार्यकर्ताओं में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले दो छात्र भी शामिल हैं. इन सभी पर सरकार के खिलाफ ‘भड़काऊ भाषण’ देने का आरोप है.

ये तमाम कार्यकर्ता चार दलितों को रिहा करने के लिए प्रदर्शन कर रहे थे, जिन्हें अंबाला के पटेरहेड़ी गांव में तीन महीने पहले जातीय हिंसा के दौरान हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

दलित कार्यकर्ताओं के अनुसार, पुलिस ने जिन 15 लोगों के ख़िलाफ़ मुकदमा दर्ज किया है, वो सभी लोग मुख्यमंत्री से करनाल में प्रदर्शन के दौरान मिले थे और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की थी.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने करीब तीन महीने पहले अंबाला के पतरहेड़ी गांव में हुए जातीय संघर्ष में हुई हत्या के आरोपी चार दलितों के रिहाई की मांग के लिए किए गए प्रदर्शन के दौरान ये भाषण दिए थे. पुलिस सूत्रों के अनुसार इस मामले में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. पुलिस के अनुसार उस समय हुई हिंसा में मारे गए लोग राजपूत समुदाय के थे.

इस घटना के बाद मानवधिकार संगठनों और दलित कार्यकर्ताओं ने करनाल में 21 से 26 अप्रैल तक प्रदर्शन किया था. प्रदर्शन के दौरान कुछ कार्यकर्ताओं ने करनाल में मुख्यमंत्री से भी मुलाकात की थी.

एक आयोजक ने इंडियन एक्सप्रेस से बताया, ‘सिर्फ़ कुछ मिनटों के लिए ही मुख्यमंत्री से मुलाक़ात हुई थी जब वो अपनी गाड़ी की तरफ़ जा रहे थे और दो दिन बाद ही उन सारे व्यक्तियों के ख़िलाफ़ राजद्रोह का मुक़दमा लगाया गया है जिन्होंने मुख्यमंत्री से मिलकर निष्पक्ष जांच की मांग की थी.’

करनाल सिविल लाइंस के एक अधिकारी के अनुसार एफआईआर में राजद्रोह, दंगा भड़काने और ग़ैरक़ानूनी रूप से सभा चलने के आरोप भी शामिल हैं. पुलिस को एफआईआर दर्ज किए हुए 6 हफ़्ते हो गए हैं लेकिन अभी तक उसे सार्वजनिक नहीं किया है.

कुरुक्षेत्र में पोस्ट ग्रेजुएट की छात्रा और मामले में आरोपी मोनिका ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘ये संघर्ष अन्याय के ख़िलाफ़ था. इसको दबाने के लिए राजद्रोह का आरोप लगाया गया है. पुलिस की कार्यवाई से ऐसा लगता है कि लोगों के साथ सभा करना और प्रदर्शन करना ग़ैरक़ानूनी हो गया है. पुलिस ने दमन करने के लिए प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया है.’

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार बुधवार को पीपुल्स सिविल लिबर्टीज संघ के कार्यकर्ता और कुछ वक़ीलों ने करनाल में पुलिस अफ़सरों से मिलकर एफआईआर रिपोर्ट देखने की मांग की, लेकिन पुलिस ने ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ का हवाला देते हुए उन्हें रिपोर्ट दिखाने से साफ़ मना कर दिया.

वक़ील अंकित गेरेवाल के अनुसार एफआईआर अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है हम लोगों को पुलिस ने रिपोर्ट दिखाने से मना कर दिया और कहा कि टीम को उसे देखने का कोई अधिकार नहीं हैं .

वहीं, करनाल के एसपी जशनदीप सिंह रंधावा ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि उन्हें आरोपियों पर देशद्रोह की धारा 124-ए लगाए जाने की बात नहीं पता है.