मध्य प्रदेश: भाजपा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को भेजा नोटिस, कल होगी सुनवाई

भाजपा नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की 12 घंटों के भीतर विश्वास मत कराने संबंधी याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा के स्पीकर, मुख्यमंत्री कमलनाथ और मध्य प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया है.

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Bhopal: Congress Madhya Pradesh President Kamal Nath and AICC General Secretary Digvijay Singh arrive to chair Madhya Pradesh Congress Coordination Committee meeting at PCC Headquarters, in Bhopal, on Thursday. (PTI Photo) (PTI5_24_2018_000029B)
Bhopal: Congress Madhya Pradesh President Kamal Nath and AICC General Secretary Digvijay Singh arrive to chair Madhya Pradesh Congress Coordination Committee meeting at PCC Headquarters, in Bhopal, on Thursday. (PTI Photo) (PTI5_24_2018_000029B)

भाजपा नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की 12 घंटों के भीतर विश्वास मत कराने संबंधी याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा के स्पीकर, मुख्यमंत्री कमलनाथ और मध्य प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया है.

Bhopal: Congress Madhya Pradesh President Kamal Nath and AICC General Secretary Digvijay Singh arrive to chair Madhya Pradesh Congress Coordination Committee meeting at PCC Headquarters, in Bhopal, on Thursday. (PTI Photo) (PTI5_24_2018_000029B)
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: भाजपा नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की 12 घंटों के भीतर विश्वास मत कराने संबंधी याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस जारी किया.

लाइव लॉ के अनुसार, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और हेमंत गुप्ता की पीठ ने कहा कि मामले की सुनवाई बुधवार सुबह 10.30 बजे होगी.

पीठ के सामने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश होते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह हास्यास्पद है कि दूसरा पक्ष इस मामले में पेश नहीं हुआ है.

इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि सही तरीका यह होगा कि नोटिस जारी कर दिया जाए और मामले की सुनवाई कल की जाए.

मध्य प्रदेश विधानसभा के स्पीकर, मुख्यमंत्री कमलनाथ और मध्य प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया गया है. इस मामले में नोटिस को ईमेल या व्हाट्सएप जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से भेजने की छूट दी गई है.

बता दें कि, मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन द्वारा बीते 14 मार्च को मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर विश्वास मत हासिल करने के निर्देश दिया था.

14 मार्च की मध्यरात्रि को मुख्यमंत्री कमलनाथ को दिए गए अपने निर्देश में राज्यपाल लालजी टंडन ने कहा था कि शक्ति परीक्षण की संपूर्ण कार्यवाही हर हाल में 16 मार्च 2020 को प्रारम्भ होगी और यह स्थगित, विलंबित या निलंबित नहीं की जाएगी.

हालांकि, सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने बिना शक्ति परीक्षण कराए सदन की कार्यवाही 26 मार्च तक स्थगित कर दी. विधानसभा अध्यक्ष के इस कदम के खिलाफ भाजपा सुप्रीम कोर्ट चली गई.

इसके बाद अपने पहले निर्देश का पालन नहीं किए जाने पर मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को फिर से एक पत्र लिखकर मंगलवार यानी 17 मार्च को सदन में शक्ति परीक्षण करवाने एवं बहुमत सिद्ध करने के निर्देश दिए हैं.

राज्यपाल ने मुख्यमंत्री से कहा कि यदि आप ऐसा नहीं करेंगे तो यह माना जाएगा कि वास्तव में आपको विधानसभा में बहुमत प्राप्त नहीं है.

वहीं, मध्य प्रदेश विधानसभा स्पीकर को अपना इस्तीफा सौंप चुके और बेंगलुरु के एक रिसॉर्ट में रह रहे 22 कांग्रेस विधायकों ने मंगलवार को कहा कि उन्हें भाजपा द्वारा बंदी नहीं बनाया गया है. उन्होंने कहा कि वे हमेशा ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ रहेंगे.

उन्होंने कहा कि वे मुख्यमंत्री कमलनाथ से नाखुश थे क्योंकि वे उन्हें नजरअंदाज कर रहे थे और केवल अपने गृह इलाके छिंदवाड़ा के विकास पर ध्यान दे रहे थे.

गौरतलब है कि कांग्रेस द्वारा कथित तौर पर उपेक्षा किए जाने से परेशान होकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 10 मार्च को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और अगले दिन को भाजपा में शामिल हो गए थे. उनके साथ ही मध्य प्रदेश के 22 कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था, जिनमें से अधिकांश सिंधिया के कट्टर समर्थक हैं.

बीते 14 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष ने छह विधायकों के त्याग-पत्र मंजूर कर लिए जबकि शेष 16 विधायकों के त्याग-पत्र पर अध्यक्ष ने फिलहाल कोई निर्णय नहीं लिया है.

इस घटनाक्रम से प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार पर संकट गहरा गया था.

230 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए जरूरी 116 विधायकों में से अब उसके पास केवल 92 कांग्रेस विधायक रह गए हैं. सदन में चार निर्दलीय, दो बसपा और एक विधायक सपा का है जो कि कमलनाथ सरकार को समर्थन दे रहे हैं. इनका रुख अभी स्पष्ट होना बाकी है, इसलिए सरकार के गिरने की बातों को बल मिल रहा है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)