अनिल अंबानी की नौ समूह कंपनियों ने यस बैंक से करीब 12,800 करोड़ रुपये क़र्ज़ लिया है. सुभाष चंद्रा के एस्सेल समूह पर कथित रूप से 8,400 करोड़ रुपये क़र्ज़ है, वहीं जेट एयरवेज़ पर यस बैंक का 550 करोड़ रुपये बकाया है.
नई दिल्ली/मुंबई: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने यस बैंक के प्रवर्तक राणा कपूर तथा अन्य के खिलाफ दायर मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के सिलसिले में उद्योगपति अनिल अंबानी के बाद एस्सेल समूह के प्रवर्तक सुभाष चंद्रा, जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल और इंडिया बुल्स के चेयरमैन समीर गहलोत समेत कुछ अन्य शीर्ष उद्योगपतियों को इस सप्ताह तलब किया है.
अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि डीएचएफएल के मुख्य प्रबंध निदेशक कपिल वाधवान के अलावा रिलायंस अनिल धीरूभाई समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी को भी 19 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय के मुंबई के बल्लार्ड एस्टेट स्थित दफ्तर में पूछताछ के लिए उपस्थिति होने को कहा गया है.
वाधवान को हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय ने एक अन्य मामले में गिरफ्तार किया था और बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया.
ये उद्योगपति उन शीर्ष पांच कंपनियों का नेतृत्व करते हैं, जिन्होंने संकट में फंसे यस बैंक से कर्ज लिया या इसी तरह का सौदा किया. ये कर्ज या तो समय पर लौटाए नहीं गए या फिर फंसे हुए हैं.
अधिकारियों के अनुसार इन आरोपों की पूरी जांच की जरूरत है.
अधिकारियों का कहना है कि 60 वर्षीय अंबानी को सबसे पहले सोमवार को बुलाया गया था लेकिन उन्होंने कुछ निजी कारणों से उपस्थिति से छूट का आग्रह किया है.
रिजर्व बैंक संकट में फंसे यस बैंक पर इस महीने की शुरुआत में रोक के बाद ईडी ने कपूर तथा अन्य के खिलाफ मनी लांड्रिंग की जांच शुरू की है.
इस रोक के तहत यस बैंक के जमाकर्ताओं को खाते से 50,000 रुपये ही निकालने की अनुमति दी गई थी. हालांकि जल्द ही प्रतिबंध हटाने की बात भी कही जा रही है.
ईडी ने कपूर तथा उनके परिवार के सदस्यों पर गलत तरीके से 4,300 करोड़ रुपये कमाने ओर उसे सफेद बनाने का आरोप लगाया है. उन लोगों को ये पैसे अपने बैंक के जरिये बड़े कर्ज देने के एवज में कथित रिश्वत के रूप में मिले. बाद में ये सभी कर्ज गैर-निष्पादित परिसंपत्ति बन गई.
अनिल अंबानी की नौ समूह कंपनियों ने यस बैंक से करीब 12,800 करोड़ रुपये कर्ज लिया है, जो एनपीए में तब्दील हो गया है.
पिछले सप्ताह रिलायंस समूह ने एक बयान में कहा था कि उसका बैंक से लिया गया पूरा कर्ज सुरक्षित है और कारोबार के लिए सामान्य प्रक्रिया के तहत लिए गए.
बयान में कहा गया था, ‘समूह यस बैंक से लिए गए अपने सभी कर्ज के भुगतान को लेकर प्रतिबद्ध है.’
इसके अलावा एस्सेल समूह पर कथित रूप से 8,400 करोड़ रुपये कर्ज है. वहीं डीएचएफएल पर यस बैंक का करीब 3,700 करोड़ रुपये का कर्ज है.
एस्सेल समूह के प्रमुख सुभाष चंद्र को प्रवर्तन निदेशालय से तलब किए जाने के बीच समूह ने कहा है कि यस बैंक से लिया गया पूरा कर्ज गारंटी वाला है और यह सुरक्षित है. समूह की सिर्फ बुनियादी ढांचा क्षेत्र की कंपनी ने ही यस बैंक से ऋण लिया है.
Essel Group has never made any transactions with Mr. Rana Kapoor or his family or for that matter any private entities controlled by them.
— Subhash Chandra (@subhashchandra) March 16, 2020
सुभाष चंद्रा ने ट्विटर पर लिखा है, ‘एस्सेल समूह ने राणा कपूर या उसके परिवार अथवा उनके द्वारा नियंत्रित इकाइयों के साथ कोई लेन-देन नहीं किया.’
उन्होंने लिखा है, ‘मैंने ईडी से अनुरोध किया है कि वह सूचना के बारे में बयान दे जो पहले से उनके पास है. उनके कहने पर उनके कार्यालय में उपस्थित होने पर मुझे खुशी है. हम सभी प्रकार का सहयोग करेंगे.’
I have been requested by ED to make a statement on the information which is already available with them. I will be more than happy to be personally present at their office, honouring their request, in order to extend all the required co-operation.
— Subhash Chandra (@subhashchandra) March 16, 2020
अधिकारियों के अनुसार जेट एयरवेज पर यस बैंक का 550 करोड़ रुपये बकाया है.
एयरलाइन के संस्थापक नरेश गोयल मनी लॉन्ड्रिंग के दूसरे मामले में पहले ईडी की जांच के घेरे में हैं.
एजेंसी इंडिया बुल्स के खिलाफ भी इसी प्रकार के मामले की जांच कर रही हैं. अवंता समूह के प्रवर्तक गौतम थापर को भी एजेंसी ने इसी मामले में तलब किया है.
इसके अलावा यस बैंक के पूर्व और मौजूदा कार्यकारियों और प्रबंधन को भी जांच अधिकारी ने सप्ताह के दौरान दौरान तलब किया है.
ईडी पहले ही बैंक के पूर्व सीईओ रवनीत गिल को हिरासत में ले चुकी है.
अधिकारियों के अनुसार, कुछ अन्य उद्योगपतियों को जल्दी ही तलब किया जा सकता है जिन्होंने बैंक से कर्ज लिया है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने छह मार्च को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि अनिल अंबानी समूह, एस्सेल, आईएलएफएस, डीएचएफएल और वोडाफोन को यस बैंक ने कर्ज दिया था और ये सभी ऋण फंसे हुए हैं.
मालूम हो कि यस बैंक के संकट में घिरने के बाद निजी बैंक तकरीबन 3100 करोड़ रुपये का निवेश इसमें करेंगे. निजी क्षेत्र के आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी ने यस बैंक में 1,000-1,000 करोड़ रुपये निवेश की घोषणा की है. वहीं एक्सिस बैंक 60 करोड़ शेयर खरीदने के लिए 600 करोड़ रुपये निवेश करेगा. इसके अलावा कोटक महिन्द्रा बैंक ने भी 500 करोड़ रुपये निवेश की घोषणा की है.
रिजर्व बैंक ने पांच मार्च को यस बैंक पर के कामकाज पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी थी. इसमें ग्राहकों के लिए एक माह के दौरान 50,000 रुपये तक निकासी सीमा तय की गई थी. यह रोक तीन अप्रैल तक के लिए लगाई गई है.
सरकार ने रिजर्व बैंक द्वारा सुझाई गई यस बैंक की पुनर्गठन योजना को मंजूरी दे दी है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)