महाराष्ट्र के एक सामाजिक संगठन ने भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले की जांच कर रहे आयोग के सदस्यों से एनसीपी प्रमुख शरद पवार को तलब करने की मांग की थी.
पुणे: महाराष्ट्र के पुणे जिले में 2018 के भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले की जांच कर रहे आयोग ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार को गवाह के तौर पर चार अप्रैल को पेश होने के लिए समन भेजा है. पैनल के वकील आशीष सतपुते ने बुधवार को यह जानकारी दी.
एनसीपी प्रमुख ने बंबई हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जेएन पटेल की अध्यक्षता वाले आयोग के समक्ष आठ अक्टूबर 2018 को एक हलफनामा दायर किया था.
Bhima Koregaon Commission has summoned Nationalist Congress Party Chief Sharad Pawar to appear before the Commission on 4th April.
The Commission is inquiring into the reasons which led to the 2018 Bhima Koregaon violence in Maharashtra. (File pic) pic.twitter.com/tLJqmHjUBs
— ANI (@ANI) March 18, 2020
नवभारत टाइम्स के मुताबिक इससे पहले महाराष्ट्र के एक सामाजिक संगठन ने जांच आयोग के सदस्यों से शरद पवार को तलब करने की मांग की थी.
सामाजिक समूह विवेक विचार मंच के सदस्यों ने जांच आयोग को एक अनुरोध पत्र देते हुए कहा था कि 18 फरवरी को अपनी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में शरद पवार ने भीमा कोरेगांव की हिंसा को लेकर तमाम बातें कही थीं. इस दौरान उन्होंने पुणे के पुलिस कमिश्नर की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाया था. ऐसे में इन तमाम विषयों पर पवार से पूछताछ की आवश्यकता है.
आवेदन के अनुसार पवार ने प्रेस कांफ्रेंस में कथित तौर पर आरोप लगाया कि दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं मिलिंद एकबोटे और संभाजी भिडे ने पुणे शहर के बाहरी इलाके में स्थित कोरेगांव-भीमा और इसके आसपास के क्षेत्र में अलग माहौल बनाया है. इसी प्रेस कांफ्रेंस में पवार ने यह भी आरोप लगाया कि पुणे शहर के पुलिस आयुक्त की भूमिका संदिग्ध है और इसकी जांच होनी चाहिए.
आवेदक ने कहा कि उसके पास यह विश्वास करने के कारण हैं कि पवार के पास प्रासंगिक एवं अतिरिक्त सूचनाएं हैं. ये उन सूचनाओं से अलग हैं जो उन्होंने हिंसा तथा अन्य संबंधित मामलों के संबंध में आयोग के समक्ष पूर्व में दायर हलफनामे में साझा की हैं. पवार ने आठ अक्टूबर 2018 को आयोग के समक्ष हलफनामा दाखिल किया था.
याचिकाकर्ता संगठन ने यह भी कहा था कि भीमा कोरेगांव के केस में पवार से व्यक्तिगत रूप से गवाही देने और उनके पास मौजूद जानकारियों को उपलब्ध कराने के लिए निजी रूप से तलब किया जाना चाहिए. इस याचिका के कुछ वक्त बाद ही अब जांच आयोग ने पवार को नोटिस जारी किया है.
बता दें कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (रांकपा) प्रमुख शरद पवार इससे पहले भी एल्गार परिषद मामले में कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को गलत और प्रतिशोधपूर्ण बताते हुए पुणे पुलिस की कार्रवाई की एसआईटी से जांच कराने की मांग की थी.
उन्होंने कहा था कि इस विशेष जांच दल का गठन किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अगुवाई में होना चाहिए. साथ ही पवार ने गिरफ्तारियों में शामिल पुलिस अधिकारियों को भी निलंबित किए जाने की मांग की थी.
मालूम हो कि एक जनवरी 2018 को वर्ष 1818 में हुई कोरेगांव-भीमा की लड़ाई को 200 साल पूरे हुए थे. इस दिन पुणे ज़िले के भीमा-कोरेगांव में दलित समुदाय के लोग पेशवा की सेना पर ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना की जीत का जश्न मनाते हैं.
2018 में इस दिन दलित संगठनों ने एक जुलूस निकाला था, जिस दौरान हिंसा भड़क गई, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. पुलिस का आरोप है कि 31 दिसंबर 2017 को हुए एल्गार परिषद सम्मेलन में भड़काऊ भाषणों और बयानों के कारण भीमा-कोरेगांव गांव में एक जनवरी को हिंसा भड़की.
अगस्त 2018 को महाराष्ट्र की पुणे पुलिस ने माओवादियों से कथित संबंधों को लेकर पांच कार्यकर्ताओं- कवि वरवरा राव, अधिवक्ता सुधा भारद्वाज, सामाजिक कार्यकर्ता अरुण फरेरा, गौतम नवलखा और वर्णन गोंजाल्विस को गिरफ़्तार किया था.
महाराष्ट्र पुलिस का आरोप है कि इस सम्मेलन के कुछ समर्थकों के माओवादी से संबंध हैं. इससे पहले महाराष्ट्र पुलिस ने जून 2018 में एल्गार परिषद के कार्यक्रम से माओवादियों के कथित संबंधों की जांच करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन और महेश राउत को गिरफ्तार किया था.
केंद्र ने 24 जनवरी को इस मामले को पुणे पुलिस से लेकर एनआईए को सौंपी थी. ज्ञात हो कि इससे पहले राज्य की नयी सरकार ने संकेत दिए थे कि यदि पुणे पुलिस आरोपों को साबित करने में विफल रही तो मामला एक विशेष जांच दल (एसआईटी) को सौंपा जा सकता है.
एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने भी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिखा था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पिछली भाजपा सरकार ने आरोपियों को फंसाने की साजिश रची थी इसलिए राज्य और पुलिस द्वारा सत्ता के घोर दुरुपयोग के कारण मामले की समीक्षा आवश्यकता है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)