बहुमत साबित करने से पहले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दिया इस्तीफ़ा

उच्चतम न्यायालय 20 मार्च को मध्य प्रदेश की कांग्रेस नेतृत्व वाली कमलनाथ सरकार को बहुमत साबित करने का निर्देश दिया था. बीते 10 मार्च को ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ 22 विधायकों के इस्तीफ़ा देने के बाद कमलनाथ सरकार संकट में आ गई थी.

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Bhopal: Congress Madhya Pradesh President Kamal Nath and AICC General Secretary Digvijay Singh arrive to chair Madhya Pradesh Congress Coordination Committee meeting at PCC Headquarters, in Bhopal, on Thursday. (PTI Photo) (PTI5_24_2018_000029B)
Bhopal: Congress Madhya Pradesh President Kamal Nath and AICC General Secretary Digvijay Singh arrive to chair Madhya Pradesh Congress Coordination Committee meeting at PCC Headquarters, in Bhopal, on Thursday. (PTI Photo) (PTI5_24_2018_000029B)

उच्चतम न्यायालय 20 मार्च को मध्य प्रदेश की कांग्रेस नेतृत्व वाली कमलनाथ सरकार को बहुमत साबित करने का निर्देश दिया था. बीते 10 मार्च को ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ 22 विधायकों के इस्तीफ़ा देने के बाद कमलनाथ सरकार संकट में आ गई थी.

कमलनाथ. (फोटो साभार: फेसबुक/कमलनाथ)
कमलनाथ. (फोटो साभार: फेसबुक/कमलनाथ)

भोपाल: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने विश्वास मत हासिल करने से पहले शुक्रवार को अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी.

बीते 10 मार्च को कांग्रेस के नेता रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने से राज्य में मचे सियासी घमासान के बीच बीते बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेतृत्व वाली कमलनाथ सरकार को शुक्रवार शाम तक बहुमत साबित करने का निर्देश दिया था.

कमलनाथ ने कहा, ‘ये याद रखना है कि आज के बाद कल आएगा और कल के बाद परसों भी आता है और परसों आएगा. मैंने ये तय किया है कि आज मैं राज्यपाल का अपना इस्तीफा दे दूंगा.’

ज्योतिरादित्य के साथ 22 विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद कमलनाथ सरकार संकट से घिर आई थी. 22 विधायकों के इस्तीफा देने के बाद 230 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए जरूरी 116 विधायकों में से अब कांग्रेस के पर केवल 92 विधायक रह गए थे.

बृहस्पतिवार को मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति से 16 विधायकों का इस्तीफा स्वीकार कर लिया. छह अन्य विधायकों का इस्तीफा पहले ही स्वीकार किया जा चुका था.

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में दो दिन सुनवाई चली थी.

राज्यपाल द्वारा 16 मार्च को सदन में राज्यपाल के अभिभाषण के तुरंत बाद कमल नाथ सरकार को विश्वास मत हासिल करने के निर्देश का पालन किए बगैर ही विधानसभा की कार्यवाही 26 मार्च के लिए स्थगित करने की अध्यक्ष की घोषणा के बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा के नौ विधायकों ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी.

उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को मध्य प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष एनपी प्रजापति को निर्देश दिया कि शक्ति परीक्षण के लिये शुक्रवार को सदन का विशेष सत्र बुलाया जाए और यह प्रक्रिया शाम पांच बजे तक पूरी की जाए.

मध्य प्रदेश में कांग्रेस नेतृत्व वाली कमलनाथ सरकार सिर्फ 15 महीने पुरानी थी. दिसंबर 2018 में कमलनाथ ने प्रदेश के 18वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी.

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