सरकार ने पेट्रोल, डीजल पर उत्पाद शुल्क आठ रुपये लीटर तक बढ़ाने का अधिकार हासिल किया

कांग्रेस ने पेट्रोल एवं डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाए जाने के प्रस्ताव को लेकर आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार लोगों की तकलीफ का फायदा उठा रही है, जो कि बहुत अमानवीय है. लोगों की जीविका खत्म हो रही है और नौकरियां जा रही है. ऐसे में भाजपा सरकार मुनाफा कमा रही है.

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(फोटो: रॉयटर्स)

कांग्रेस ने पेट्रोल एवं डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाए जाने के प्रस्ताव को लेकर आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार लोगों की तकलीफ का फायदा उठा रही है, जो कि बहुत अमानवीय है. लोगों की जीविका खत्म हो रही है और नौकरियां जा रही है. ऐसे में भाजपा सरकार मुनाफा कमा रही है.

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नई दिल्ली: वैश्विक बाजार में कच्चे तेल के तेजी से गिरते दाम के बीच सरकार ने कानून में जरूरी संशोधन किया है और पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में आठ रुपये प्रति लीटर तक की वृद्धि करने का अधिकार हासिल कर लिया है. इसके बाद सरकार आने वाले दिनों में कभी भी पेट्रोल, डीजल पर आठ रुपये के दायरे में उत्पाद शुल्क में वृद्धि कर सकती है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोक सभा में वित्त विधेयक 2020 में संशोधन पेश किए जिसमें इन ईंधनों पर भविष्य में एक सीमा तक विशेष उत्पाद शुल्क की दर बढ़ाने का प्रस्ताव भी शामिल था. सदन ने विधेयक को बिना चर्चा के पारित कर दिया.

इस संशोधन के बाद सरकार पेट्रोल पर अतिरिक्त विशेष उत्पाद शुल्क को प्रति लीटर 10 रुपये से बढ़ाकर 18 रुपये और डीजल पर चार रुपये से बढ़ाकर 12 रुपये प्रति लीटर तक कर सकती है.

उत्पाद शुल्क में प्रत्येक रुपये की बढ़ोतरी से सरकार को सालाना लगभग 13,000-14,000 करोड़ रुपये का प्राप्त होने की उम्मीद है.

इससे पहले सरकार ने 14 मार्च को दोनों ईंधनों पर उत्पाद शुल्क में तीन रुपये प्रति लीटर वृद्धि की घोषणा की थी. इस वृद्धि से सालाना आधार पर सरकार को 39,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हो सकता है.

इस शुल्क वृद्धि में दो रुपये विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क मद में दो रुपये और सड़क एवं अवसंरचना उपकर की मद में एक रुपये प्रति लीटर शुल्क बढ़ाया गया. कुल मिलाकर तीन रुपये प्रति लीटर तक शुल्क बढ़ाया गया.

सरकार द्वारा 14 मार्च को की गई वृद्धि के बाद विशेष उत्पाद शुल्क इसके लिये कानून में दी गई अधिकतम सीमा तक पहुंचा गया था. यह सीमा पेट्रोल के मामले में 10 रुपये और डीजल के मामले में चार रुपये प्रति लीटर थी.

सरकार ने अब वित्त विधेयक की आठवीं अनुसूची में संशोधन करते हुये इस सीमा को पेट्रोल के मामले में बढ़ाकर 18 रुपये और डीजल के मामले में 12 रुपये प्रति लीटर कर दिया है.

यह संशोधन सरकार को भविष्य में शुल्क बढ़ाने के लिये कानूनी प्रावधान के तौर पर उपलब्ध कराया गया है. फिलहाल इस समय पेट्रोल, डीजल पर इस शुल्क में कोई वृद्धि नहीं की गई है. सरकार भविष्य में जरूरत पड़ने पर यह वृद्धि कर सकती है.

कांग्रेस ने पेट्रोल एवं डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाए जाने के प्रस्ताव को लेकर सोमवार को आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार लोगों की तकलीफ का फायदा उठा रही है.

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘प्रधानमंत्री जी, लोगों की पीड़ा का इस तरह से फायदा उठाना बहुत शर्मनाक, अमानवीय और बेरहम है.’

उन्होंने कहा, ‘लोगों की जीविका खत्म हो रही है और नौकरियां जा रही है. ऐसे में भाजपा सरकार कच्चे तेल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाकर मुनाफा कमा रही है. लोगों को हाशिए पर मत धकेलिए.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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