मध्य प्रदेश में 8 जून से लेकर अब तक 15 किसान आत्महत्या कर चुके हैं. एक जून को किसानों के आंदोलन शुरू होने के बाद से अब तक देश भर में 31 किसानों के आत्महत्या की ख़बर है.
देश के कई राज्यों में किसानों के आंदोलन के बीच ताबड़तोड़ आत्महत्याएं जारी हैं. मध्य प्रदेश में आंदोलन के हिंसक होने के बाद पुलिस की गोलीबारी में 7 किसान मारे गए, दूसरी ओर राज्य में क़र्ज़ से परेशान किसान लगातार आत्महत्या कर रहे हैं. पिछले दो हफ़्ते में मध्य प्रदेश में 15 किसान आत्महत्या कर चुके हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में मध्य प्रदेश में क़र्ज़ के चलते तीन किसानों ने आत्महत्या कर ली है. 8 जून से लेकर अब तक राज्य में 15 किसान आत्महत्या कर चुके हैं.
अंग्रेज़ी अख़बार हिंदुस्तान टाइम्स ने लिखा है, ‘मंदसौर में 6 जून को किसान आंदोलन में हिंसा भड़कने के बाद से अब तक राज्य में 13 किसान आत्महत्या कर चुके हैं.’
मध्य प्रदेश के नीमच में रविवार को पिपलिया व्यास के रहने वाले प्यारेलाल ओड़ (65) ने अपने खेत में एक पेड़ से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. उन पर ढाई लाख का क़र्ज़ था.
दैनिक भास्कर ने लिखा है, ‘प्यारेलाल की बेटी राधा ने बताया कि पिता ने सेंट्रल बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड पर 2.50 लाख रुपये का क़र्ज़ लिया था, जिसे लेकर बैंक कर्मचारियों द्वारा दबाव बनाया जा रहा था. प्यारेलाल के भाई कंवरलाल ने बताया कि आर्थिक तंगी के कारण पांच महीने पहले भी प्यारेलाल ने घर पर फांसी लगाकर आत्महत्या की कोशिश की थी. उस समय परिजनों ने उसे बचा लिया था, लेकिन रविवार को खेत पर पहुंचकर आत्महत्या कर ली.’
प्यारेलाल का परिवार दहेज प्रताड़ना के चलते भी परेशान था. बेटे की ससुराल की तरफ से 5 लाख रुपये की मांग की जा रही थी. दैनिक भास्कर ने प्यारेलाल की बेटी राधा के हवाले से लिखा है कि ‘सिटी थाने के दो जवान शनिवार को घर आए थे. पिताजी से 5 लाख की व्यवस्था कर रविवार को थाने में हाजिर होने के लिए कहा था. ऐसा नहीं करने पर जेल भेजने की चेतावनी दी थी.’
एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह ज़िले सीहोर में ही पांच किसानों ने आत्महत्या की है. सीहोर के जमुनिया खुर्द गांव में बंसीलाल मीणा (55) ने फांसी लगाकर जान दे दी. उन पर 11 लाख का क़र्ज़ था.
विदिशा ज़िले के सायर बमोरा गांव के जीवन सिंह मीणा (35) ने अपने खेत में एक पेड़ से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. परिजनों का कहना है कि बढ़ते क़र्ज़ के बीच उनकी तीन बेटियों के भविष्य को लेकर जीवन सिंह बेहद परेशान चल रहे थे.
छह जून को प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस ने फायरिंग की थी जिसमें 7 किसान मारे गए थे. उसके बाद आठ जून से अब तक मध्य प्रदेश में 15 किसान आत्महत्या कर चुके हैं. ये आत्महत्याएं सीहोर, होशंगाबाद, रायसेन, धार और विदिशा में हुई हैं.
इसके पहले गुरुवार को शिवपुरी ज़िले में क़र्ज़ से परेशान कल्ला केवट ने फांसी लगा ली थी. शुक्रवार को धार ज़िले में किसान जगदीश मोरी ने आत्महत्या कर ली. शनिवार की सुबह होशंगाबाद के बाबूलाल वर्मा ने क़र्ज़ से परेशान होकर ख़ुद को आग लगा ली.
एक जून को महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में किसानों ने सड़क पर उतर कर आंदोलन शुरू किया था. इस आंदोलन के शुरू होने के बाद अब तक मध्य प्रदेश में 15, महाराष्ट्र में 3, झारखंड में दो, उत्तर प्रदेश के बांदा में एक और पंजाब में 10 किसान आत्महत्या कर चुके हैं. यानी देश भर में एक जून से अब तक कम से कम 31 किसानों ने आत्महत्या की है.
छह जून को पुलिस की गोली से आंदोलन कर रहे 6 किसानों की मौत हो गई थी. पुलिस की पिटाई से घायल हुए एक युवक की बाद में अस्पताल में मौत हो गई थी.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक, महाराष्ट्र में क़र्ज़ और फसल बर्बाद होने जैसी समस्या के चलते सबसे ज्यादा किसान आत्महत्या करते हैं, दूसरा नंर मध्य प्रदेश का है.