कोरोना जांच किट बनाने की मंज़ूरी पाने वाली पहली भारतीय कंपनी ने पहला लॉट सप्लाई के लिए भेजा

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने कोरोना वायरस की जांच के लिए प्राइवेट लैब और नॉन-यूएसएफडीए/यूरोपियन सीई किट को मंज़ूरी देने का काम तेज़ कर दिया है. परिषद ने अब तक इस तरह के कुल तीन किट को मंज़ूरी दी है, जिसमें ‘माईलैब’ नाम की एक भारतीय कंपनी शामिल है.

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(फोटोः रॉयटर्स)

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने कोरोना वायरस की जांच के लिए प्राइवेट लैब और नॉन-यूएसएफडीए/यूरोपियन सीई किट को मंज़ूरी देने का काम तेज़ कर दिया है. परिषद ने अब तक इस तरह के कुल तीन किट को मंज़ूरी दी है, जिसमें ‘माईलैब’ नाम की एक भारतीय कंपनी शामिल है.

Tube tests are pictured pictured as media visit the Microbiology Laboratory of the University Hospital (CHUV) during the coronavirus disease (COVID-19) outbreak in Lausanne, Switzerland, March 23, 2020. REUTERS/Denis Balibouse
(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: भारत में कोरोना वायरस महामारी के संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, जिसके चलते पूरे देश में लॉकडाउन घोषित किया गया है. हालांकि पीड़ितों की मौजूदा संख्या को काफी कम बताते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञ ये सवाल उठा रहे हैं कि अन्य देशों के मुकाबले भारत काफी कम मामलों की टेस्टिंग कर रहा है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि इस महामारी की वास्तविक स्थिति का पता लगाने के लिए जितना ज्यादा हो सके उतने परीक्षण की जरूरत है.

इसे देखते हुए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कोरोना वायरस (कोविड-19) की जांच के लिए प्राइवेट लैब और नॉन-यूएसएफडीए/यूरोपियन सीई किट को मंजूरी देने का काम तेज कर दिया है. अभी तक आईसीएमआर ने इस तरह के कुल तीन किट को मंजूरी दी है, जिसमें ‘माईलैब’ नाम की एक भारतीय कंपनी शामिल है.

दो अन्य कंपनियां जर्मनी की ‘एल्टोना डायग्नोस्टिक’ और दक्षिण कोरिया की ‘सीजीन’ शामिल हैं. माईलैब ने किट के उत्पादन का काम चालू कर इसे सप्लाई करने का काम शुरू कर दिया है. वहीं एल्टोना डायग्नोस्टिक ने बताया कि अभी किट की सप्लाई करने में उन्हें समय लगेगा. सीजीन को 24 मार्च को ही इसकी मंजूरी मिली है.

महाराष्ट्र के पुणे स्थित मॉलीक्यूलर डायग्नोस्टिक कंपनी माइलैब ने गुरुवार को अपनी पहली कोविड-19 जांच किट को सप्लाई के लिए भेज दिया. द वायर  के साथ बातचीत में कंपनी ने कहा कि वे हर दिन 15000 किट का उत्पादन कर रहे हैं और हर दिन 15000 किट की सप्लाई करेंगे.

माईलैब के जनसंपर्क अधिकारी दीपक कुमार ने कहा, ‘हम कोई भी स्टॉक नहीं रखेंगे. जितना उत्पादन करेंगे, उतने की सप्लाई कर देंगे. आज हमने कोविड-19 जांच किट का पहला बैच भेजा है. हम काफी सस्ते दाम पर ये किट दे रहे हैं.’

कुमार ने बताया कि उनकी कंपनी ने कोविड-19 जांच किट का दाम आईसीएमआर द्वारा तय की राशि का एक तिहाई ही है. उन्होंने कहा, ‘इन किट्स का दाम आईसीएमआर द्वारा तय 4500 रुपये की सीमा राशि का लगभग एक तिहाई से एक चौथाई है.’

लॉकडाउन के समय में कंपनी किस तरह से इन किट्स का सप्लाई करेगी, इस पर उन्होंने कहा, ‘इस समय के लिए ये एक बड़ी चुनौती है. कुरियर कंपनी डीटीडीसी की एयरसर्विस कब तक चालू होती है, ये उस पर निर्भर करेगा. हालांकि जरूरी सामान की सप्लाई तो हो ही रही है.’

माईलैब ने बताया कि एक कोविड-19 जांच किट में कुल 100 टेस्ट किए जा सकेंगे. हालांकि कंपनी के जनसंपर्क अधिकारी ये बताने में असमर्थ रहे कि किट सप्लाई के लिए अभी तक कितने लैब से उनके पास ऑर्डर आया है.

कोरोना जांच के लिए आईसीएमआर ने अभी तक कुल 25 प्राइवेट लैब्स को मंजूरी दी है जिसमें से दिल्ली में चार, गुजरात में तीन, हरियाणा में दो, कर्नाटक में दो, महाराष्ट्र में आठ, तमिलनाडु में तीन और तेलंगाना में तीन लैब शामिल हैं.

जर्मन कंपनी एल्टोना डायग्नोस्टिक का कहना है कि उनका सामान भारत में नहीं बन रहा है, इसे जर्मनी से मंगाना होगा इसलिए कोविड-19 जांच किट की सप्लाई में थोड़ा और समय लग सकता है.

कंपनी के भारत में जनरल मैनेजर तरुण जैन ने द वायर  से कहा, ‘जर्मनी से किट आयात करने के लिए हमेंड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) से लाइसेंस मिल चुका है, अब हम जर्मनी से इन किट्स को आयात करने का काम शुरू करने वाले हैं.’

उन्होंने कहा, ‘हमारी ये कंपनी 26 साल पुरानी है. जब 2002 में सार्स बीमारी फैली थी तो हम पहली कंपनी थे जिन्होंने इसकी जांच किट बनाई थी. हमने 2014 में इबोला का पहला किट बनाया था. 2016 में जीका वायरस का किट भी हमने सबसे पहले बनाया था. हमने कोविड-19 का किट बनाकर जर्मनी में तैयार रखा है. चूंकि ये महामारी इतनी बड़ी है कि हम जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं.’

हालांकि जैन ये बताने में असमर्थ रहे कि एक दिन में वे कितने किट किट्स मुहैया करा सकेंगे. इन किट्स का दाम कितना होगा, इस पर उन्होंने कहा, ‘ये मैं नहीं बता पाऊंगा.’

तरुण जैन ने आगे कहा, ‘हम कुछ किट्स मंगा पाए हैं जो कि हमने एनआईवी को भेजा था. उम्मीद कर सकते हैं कि अगले हफ्ते के आखिर तक पूरी चीजें पहुंचने लगेंगी.’

उन्होंने कहा कि विश्व भर में लॉकडाउन चल रहा है इसलिए किट आयात करने में मुश्किलें हो सकती हैं लेकिन कंपनी सभी संभावित माध्यमों पर काम कर रही है.

उन्होंने कहा, ‘हमने आईसीएमआर से बात की है और सप्लाई में आने वाली मुश्किलों के बारे में बताया है. हम अपने पार्टनर्स से भी बात कर रहे हैं. इस समस्या का सामना लैब भी कर रहे हैं. वे सैंपल भी नहीं भेज पा रहे हैं. हालांकि आईसीएमआर ने कहा है कि वे इन समस्याओं का समाधान निकाल लेंगे.’

बता दें कि आईसीएमआर भारत में बायोमेडिकल रिसर्च के नियमन, समन्वय और प्रमोशन करने वाली सर्वोच्च संस्था है. अभी तक कोविड-19 की जांच के लिए यूएसएफडीए या यूरोपियन सीई द्वारा प्रमाणित किट के इस्तेमाल की ही मंजूरी थी. हालांकि अब आईसीएमआर पुणे के राष्ट्रीय विषाणु संस्थान (एनआईवी) द्वारा मान्यता प्राप्त किट को कोविड-19 की जांच के लिए मंजूरी देने लगा है.

आईसीएमआर के वैज्ञानिक डॉ. लोकेश शर्मा ने बताया, ‘पहले एनआईवी कंपनियों के किट को मान्यता देता है. फिर इन किट्स को लैब में इस्तेमाल के लिए उन्हें केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की मंजूरी लेनी होती है.

अभी तक कुल 14 कंपनियों ने अपने कोविड-19 जांच किट को मंजूर कराने के लिए आईसीएमआर में आवेदन किया है. इसमें से एक आईआईटी दिल्ली भी है.