गृहयुद्ध के दौरान आठ लोगों की हत्या के दोषी श्रीलंकाई सैनिक की सज़ा माफ़ी की निंदा

श्रीलंका के राष्ट्रपति ने गृहयुद्ध के दौरान तमिल बहुल उत्तरी प्रांत में एक बच्चे सहित आठ लोगों की हत्या के दोषी श्रीलंकाई सैनिक सुनील रत्नायके की सज़ा माफ़ कर दी है. संयुक्त राष्ट्र की उच्चायुक्त मिशेल बैशलेट ने कहा कि यह पीड़ितों का अपमान करने जैसा है.

संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त मिशेल बैशलेट (फोटो: रॉयटर्स)

श्रीलंका के राष्ट्रपति ने गृहयुद्ध के दौरान तमिल बहुल उत्तरी प्रांत में एक बच्चे सहित आठ लोगों की हत्या के दोषी श्रीलंकाई सैनिक सुनील रत्नायके की सज़ा माफ़ कर दी है. संयुक्त राष्ट्र की उच्चायुक्त मिशेल बैशलेट ने कहा कि यह पीड़ितों का अपमान करने जैसा है.

संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त मिशेल बैशलेट (फोटो: रॉयटर्स)
संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त मिशेल बैशलेट (फोटो: रॉयटर्स)

कोलंबो: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने साल 2000 में गृहयुद्ध के दौरान श्रीलंका के तमिल बहुल उत्तरी प्रांत में एक बच्चे सहित आठ लोगों की हत्या के दोषी श्रीलंकाई सैनिक की मौत की सजा माफी की निंदा की है.

कोलंबो गैजेट की रिपोर्ट के मुताबिक, मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र की उच्चायुक्त मिशेल बैशलेट ने कहा कि राष्ट्रपति (गोटबाया राजपक्षे) की ओर से सैनिक को दी गई माफी पीड़ितों का अपमान करने जैसा है.

साथ ही यह मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए सार्थक जवाबदेही प्रदान करने के लिए अपने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दायित्वों को पूरा करने में श्रीलंका की विफलता का एक और उदाहरण है.

यूएनएचसीएचआर के प्रवक्ता रूपर्ट कोलविले ने क्षमा की निंदा करते हुए कहा कि राष्ट्रपति द्वारा नरसंहार के दोषी को दी गई माफी की रिपोर्ट से स्तब्ध हैं. उसे जेल से रिहा कर दिया गया है.

श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने बीते 26 मार्च को आठ लोगों की हत्या के दोषी पूर्व सैन्य सर्जेंट सुनील रत्नायके को माफ कर दिया. उसे एक दशक से अधिक समय तक जांच के बाद पांच साल के बच्चे सहित आठ तमिल नागरिकों की हत्या के लिए 2015 में सजा सुनाई गई थी.

रत्नायके पर वर्ष 2000 में उत्तरी प्रांत में तैनाती के दौरान एक बच्चे समेत आठ नागरिकों की हत्या का आरोप लगा था. इस क्षेत्र में सेना और लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के बीच संघर्ष चल रहा था.

तमिल राजनेताओं और मानवाधिकार समूहों के दबाव के बाद रत्नायके और 13 अन्य सैनिकों पर तत्कालीन सरकार ने आरोप तय किए थे. बाद में उनमें से नौ को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया, जबकि रत्नायके को 15 मामलों में दोषी ठहराया गया था. उसके चार सहयोगियों को कोई सबूत नहीं मिलने पर बरी कर दिया गया था.

राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने पिछले साल नवंबर में अपने चुनाव अभियान में सिरीसेना सरकार के दौरान दोषी पाए गए सैनिकों को छोड़ने का वादा किया था. सिरीसेना सरकार ने कुछ सैनिकों के खिलाफ अधिकारों के कथित दुरुपयोग के लिए जांच शुरू करने का आदेश दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)