कोरोना वायरस: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने ज़मानत पा चुके आरोपियों को रिहा करने का आदेश दिया

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि कोरोना वायरस के मद्देनज़र जारी किए गए प्रशासनिक दिशानिर्देशों के तहत ही आरोपियों को रिहा किया जाना चाहिए.

(प्रतीकात्मक तस्वीर: रॉयटर्स)

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि कोरोना वायरस के मद्देनज़र जारी किए गए प्रशासनिक दिशानिर्देशों के तहत ही आरोपियों को रिहा किया जाना चाहिए.

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट. (फोटो: पीटीआई)
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट. (फोटो: पीटीआई)

चंडीगढ़ः कोरोना वायरस संकट के मद्देनजर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ की सभी अदालतों को आदेश दिए हैं, ऐसे आरोपियों को रिहा किया जाए, जिन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इन आरोपियों को जमानत राशि और मुचलके की राशि भरने की शर्त के बिना ही रिहा करने के निर्देश दिए गए हैं.

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस हरनरेश सिंह गिल द्वारा पारित आदेश के मुताबिक, ‘यकीनन एक शर्त रखी जा सकती है कि जब भी स्थिति सामान्य होगी, रिहा किए गए इन आरोपियों को जमानति राशि और मुचलका भरना होगा.

इस संबंध में जिला और सत्र अदालतें सभी तीनों राज्यों की पुलिस और जेल प्रशासन को उचित दिशानिर्देश जारी करेंगे.

हालांकि हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि कोरोना वायरस के मद्देनजर जारी किए गए प्रशासनिक दिशानिर्देशों के तहत ही आरोपियों को रिहा किया जाना चाहिए.

बता दें कि चंडीगढ़ और मोहाली से दो मामलों में एक आरोपी को निचली अदालतों ने 19 फरवरी और 23 फरवरी को जमानत दी गई थी, लेकिन जमानत के आदेश की कॉपी वेबसाइट पर अपलोड नहीं किए जाने और उस शख्स को आदेश की प्रति नहीं मिलने की वजह से वह जेल में ही रहा.

हाईकोर्ट ने पंजाब और हरियाणा एवं केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ के जिला एंव सत्र जजों को आदेश दिया है कि आधिकारिक वेबसाइटों पर सीजेएम, ड्यूटी मजिस्ट्रेट और अन्य न्यायिक अधिकारी के मोबाइल नंबर और ईमल एड्रेस उपलब्ध कराए जाएं ताकि आदेशों के अनुरूप आरोपियों को आसानी से जमानत दी जा सके.

इसके साथ ही पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सोमवार को एक आदेश पारित कर 14 अप्रैल तक पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ की अदालतों में कामकाज बंद रखने को कहा है.

मालूम हो कि बीते 16 मार्च को उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वायरस से सुरक्षा के मद्देनजर देश की जेलों में क्षमता से अधिक कैदी होने और उनमें सुविधाओं का स्वत: संज्ञान लिया.

प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे और जस्टिस एल. नागेश्वर राव की पीठ ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में जेल महानिदेशकों और मुख्य सचिवों को नोटिस जारी कर यह बताने का निर्देश दिया है कि इस महामारी से निपटने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं.

दरअसल कोरोना वायरस से बचाव के तहत लोगों से दूरी बनाकर रहने के लिए भी कहा गया है. इसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश दिया था.

दिल्ली सरकार ने 23 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि उसने कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए कैदियों को विशेष पैरोल और फर्लो का विकल्प देकर राजधानी की जेलों में भीड़ कम करने का फैसला किया है.

कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी के मद्देनजर जेलों में भीड़ कम करने की मांग करने वाले दो वकीलों द्वारा दाखिल याचिका पर जवाब देने के दौरान सरकार ने यह जानकारी दी थी.