मामला बोटाद जिले के विकालिया गांव का है. परिजनों का आरोप है कि बीते 28 मार्च को 40-50 पुलिसकर्मी उनके घर से आठ पुरुष सदस्यों को उठाकर ढासा पुलिस स्टेशन ले गए थे. बाद में उन पर लॉकडाउन का उल्लंघन करने का मामला दर्ज कर बुरी तरह से पीटा था.
गांधीनगर: गुजरात के बोटाद के पुलिस अधीक्षक ने देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान एक जगह इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगाने वाली पुलिस अधिसूचना के कथित उल्लंघन के लिए पुलिस द्वारा कथित रूप से पीटे गए आठ दलितों पर पुलिस की बर्बरता के एक मामले की जांच का आदेश दिया है.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सोमवार को सोशल मीडिया पर दसदा विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक नौशाद सोलंकी द्वारा मामला उठाए जाने के बाद जांच का आदेश दिया गया.
यह मामला बोटाद जिले के ढासा तालुका के विकालिया गांव का है.
सोलंकी ने ट्वीट कर कहा था कि लॉकडाउन का उल्लंघन करने के आरोप में गांव के आठ दलितों को पुलिस ने बुरी तरह पीटा था. सोलंकी ने गृह राज्य मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा को टैग करते हुए उन सभी की तस्वीरें भी पोस्ट की थीं जिनमें उनके शरीर पर जख्म के निशान थे.
सोलंकी ने कहा कि वे सभी खेत में काम करने वाले मजदूर हैं और मेरा कहना है कि अगर उन्होंने कोई उल्लंघन किया तो उन पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन इस तरह का अमानवीय बल प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए.
आठों दलितों के एक रिश्तेदार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ’25 मार्च को हमारा एक किशोर लड़का बाज़ार से दूध लेने गया था. एक पुलिसकर्मी ने उसे लॉकडाउन के कारण बाहर नहीं निकलने के लिए कहा. उस समय लड़के ने पुलिसकर्मी से कहा कि वह दूध लाने के लिए बाजार गया था क्योंकि परिवार में इसकी जरूरत थी. हालांकि, पुलिसवाले को उसका तर्क सही नहीं लगा और वह उसके पीछे घर तक आया. इसके बाद उसकी पिटाई की.’
उन्होंने कहा, इस घटना के दो दिन बाद 28 मार्च को शाम 4 बजे लगभग 40-50 पुलिसकर्मी अचानक हमारे इलाके में आए और घरों के अंदर से आठ पुरुष सदस्यों को उठाकर ढासा पुलिस स्टेशन ले गए. बाद में उन पर लॉकडाउन उल्लंघन का मामला दर्ज कर दिया गया. पुलिस हिरासत के दौरान आठों को पुलिस ने बुरी तरह से पीटा था.
बोटाद के पुलिस अधीक्षक हर्षद मेहता ने कहा, ‘घटना 28 मार्च की है. मुझे आज (विधायक सोलंकी द्वारा इसे उठाए जाने के बाद) इसके बारे में पता चला है. आठ लोगों को धारा 144 की पुलिस अधिसूचना का उल्लंघन करने के लिए गिरफ्तार किया गया था. और उन्हें थाने से ही जमानत पर रिहा कर दिया गया था.’
मैंने पुलिस उपाधीक्षक रैंक के एक अधिकारी द्वारा जांच का आदेश दिया है. कुल तीन व्यक्ति (कथित रूप से) इसमें शामिल थे, एक सहायक उप-निरीक्षक एए खुमान और दो ग्राम रक्षक दल जवान. मैंने खुमान को ढासा पुलिस स्टेशन से जिला पुलिस मुख्यालय में स्थानांतरित कर दिया है.