कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति सीएस कर्णन को अदालत की अवमानना के लिए छह माह की सज़ा सुनाई गई थी. एक महीने से गायब रहे कर्णन को मंगलवार को गिरफ्तार किया गया.
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति सीएस कर्णन के उस आग्रह पर विचार करने से इंकार कर दिया जिसमें उन्होंने अंतरिम ज़मानत दिए जाने और अदालत की अवमानना की वजह से ख़ुद को सुनाई गई छह महीने की सज़ा पर रोक लगाने की मांग की थी.
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एसके कौल की अवकाश पीठ ने कहा कि इस मामले में सात न्यायाधीशों की पीठ का आदेश मानना न्यायालय का दायित्व है और कर्णन को प्रधान न्यायाधीश की पीठ के समक्ष यह मामला बताना चाहिए.
एक महीने से अधिक समय तक गायब रहे कर्णन को मंगलवार को गिरफ्तार किया गया.
पीठ ने कहा कि सात न्यायाधीशों की पीठ पहले ही आदेश पारित कर चुकी है और केवल विशेष पीठ ही अपील सुन सकती है.
कर्णन की ओर से पेश अधिवक्ता मैथ्यू जे. नेदुम्पारा ने कहा कि अदालत के पास सभी अधिकार हैं और उसे तब तक के लिए कर्णन को अंतरिम जमानत देना चाहिए जब तक अदालत फिर से नहीं खुल जाती.
इस पर अवकाश पीठ ने कहा कि वह सात न्यायाधीशों की पीठ के आदेश में हस्तक्षेप नहीं कर सकती.
62 वर्षीय कर्णन को मंगलवार रात पश्चिम बंगाल सीआईडी ने तमिलनाडु के कोयंबटूर से गिरफ्तार कर लिया. नौ मई को अदालत की अवमानना के लिए उच्चतम न्यायालय ने कर्णन को छह माह की सज़ा सुनाई थी जिसके बाद वह एक माह से भी अधिक समय तक गायब रहे.
कर्णन के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना का मामला चल रहा है. इस मामले की सुनवाई सात सदस्यीय पीठ कर रही है.
इससे पहले कर्णन 31 मार्च को शीर्ष अदालत के समक्ष पेश हुए थे और उन्होंने न्यायिक तथा प्रशासनिक शक्तियां बहाल करने की मांग की थी. लेकिन न्यायालय ने अपने पहले के आदेश में बदलाव करने से इनकार कर दिया था जिसके बाद सीएस कर्णन ने कहा था कि वह दोबारा न्यायालय के समक्ष पेश नहीं होंगे.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने एक मई को पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया था कि वह पुलिस का एक दल गठित करें जो चार मई को कर्णन की मेडिकल जांच में मेडिकल बोर्ड की मदद कर सके. मेडिकल बोर्ड को आठ मई तक रिपोर्ट सौंपनी थी. लेकिन पूर्व न्यायमूर्ति कर्णन ने जांच से इंकार करते हुए मेडिकल बोर्ड को वापस लौटा दिया.
इसके बाद नौ मई को सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश सीएस कर्णन को न्यायालय की अवमानना करने के लिए तुरंत छह महीने के लिए जेल भेजने के निर्देश दिया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)