अमेरिकी राजनयिक सैम ब्राउनबैक ने कहा कि दुनियाभर की सरकारों को कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर आरोप-प्रत्यारोप लगाने के खेल को आक्रामकता से ख़ारिज कर देना चाहिए.
वॉशिंगटन: अमेरिका ने कोरोना वायरस के प्रसार के लिए धार्मिक अल्पसंख्यकों पर आरोप लगाने को गलत बताते हुए कहा कि दुनियाभर की सरकारों को इसकी उत्पत्ति को लेकर आरोप-प्रत्यारोप लगाने के खेल को आक्रामकता से खारिज कर देना चाहिए.
अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अमेरिका के विशेष राजदूत सैम ब्राउनबैक ने बृहस्पतिवार को धार्मिक समूहों से सामाजिक दूरी का पालन करने का अनुरोध किया और दुनियाभर में, खासतौर से ईरान और चीन में शांतिपूर्ण धार्मिक कैदियों को रिहा करने की मांग की.
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने कोरोना जिहाद हैशटैग ट्रेंड करने के बारे में भारतीय अधिकारियों से बात की, जो यह संकेत देता है कि यह विषाणु मुस्लिम समुदाय ने फैलाया है, इस पर उन्होंने कहा, ‘मैंने अब तक भारतीय अधिकारियों से बात नहीं की है.’
ब्राउनबैक की यह टिप्पणियां नई दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में तबलीगी जमात के धार्मिक आयोजन की पृष्ठभूमि में आई है जो भारत में कोरोना वायरस फैलाने का प्रमुख केंद्र बनकर उभरा.
ब्राउनबैक ने धार्मिक अल्पसंख्यकों पर कोरोना वायरस (कोविड-19) के असर पर कॉन्फ्रेंस कॉल के दौरान पत्रकारों से कहा, ‘मेरा कहना है कि धार्मिक समूहों को सामाजिक दूरी बनाए रखनी चाहिए. हमें यह करने की जरूरत है.’
एक सवाल के जवाब में ब्राउनबैक ने कहा कि अमेरिका कोविड-19 विषाणु के लिए धार्मिक अल्पसंख्यकों पर आरोप लगाने की गतिविधियों पर नजर रख रहा है.
उन्होंने कहा, ‘दुर्भाग्यपूर्ण रूप से यह विभिन्न स्थानों पर हो रहा है. सरकारों द्वारा ऐसा करना गलत है. सरकारों को यह बंद करना चाहिए और स्पष्ट रूप से कहना चाहिए कि यह कोरोना वायरस का स्रोत नहीं है. इसके लिए धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय जिम्मेदार नहीं हैं.’
उन्होंने कहा, ‘हम जानते हैं कि विषाणु कहां से पैदा हुआ. हम जानते हैं कि यह वैश्विक महामारी है जिसने पूरी दुनिया को अपनी जद में ले लिया है और इसके लिए धार्मिक अल्पसंख्यक जिम्मेदार नहीं है. लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण रूप से हम दुनिया के विभिन्न स्थानों पर आरोप-प्रत्यारोप देख रहे हैं और हम उम्मीद करते हैं कि सरकारें आक्रामकता से इसे खारिज कर देंगी.’
ब्राउनबैक ने सरकारों से मुश्किल की इस घड़ी में धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ काम करने और यह सुनिश्चित करने की अपील की कि उन्हें आवश्यक संसाधन और मदद मिलें.
बता दें कि दिल्ली के निजामुद्दीन पश्चिम इलाके में स्थित एक मरकज में 13 मार्च से 15 मार्च तक कई सभाएं हुईं थीं, जिनमें सऊदी अरब, इंडोनेशिया, दुबई, उज्बेकिस्तान और मलेशिया समेत अनेक देशों के मुस्लिम धर्म प्रचारकों ने भाग लिया था. देशभर के विभिन्न हिस्सों से सैकड़ों की संख्या में भारतीयों ने भी इसमें हिस्सा लिया था.
उन सभाओं में भाग लेने वाले कुछ लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण फैल गया है. इस घटना के सामने आने के बाद देश के अन्य राज्यों में भी मरकज़ के धार्मिक सभा में शामिल लोगों की पहचान की जा रही है.
मामला सामने आने के बाद पूरे इलाके सील कर दिया गया है, जिसमें तबलीग-ए-जमात का मुख्यालय और आवास शामिल हैं. इलाके के उन होटलों को भी सील कर दिया गया है जिनमें जमात के लोग ठहरे थे. मरकज़ से लोगों को अस्पतालों और क्वारंटाइन केंद्रों में भेज दिया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, देश में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामलों का पांचवां हिस्सा इसी सभा से जुड़ा हुआ है. इसके अलावा कुल 53 लोगों की मौत में से कम से कम 15 लोग इस आयोजन से जुड़े हुए थे.
इन 15 में से नौ लोगों की मौत तेलंगाना और एक-एक व्यक्ति की मौत दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक, मुंबई, कश्मीर और तमिलनाडु में हुई है.
बृहस्पतिवार को दिल्ली में इस महामारी के संक्रमण के मामले दोगुने हो गए. इनमें से अधिकांश वे लोग हैं, जिन्हें 31 मार्च और एक अप्रैल को निजामुद्दीन पश्चिम स्थित तबलीगी जमात के मरकज से निकाला गया था.
रिपोर्ट के अनुसार, राजधानी दिल्ली में आए 141 नए मामलों में से 129 लोग निजामुद्दीन मरकज से निकाले गए थे, जो तबलीगी जमात का मुख्यालय है और जहां पिछले महीने हुए धार्मिक आयोजन में चार हज़ार से ज्यादा लोग शामिल हुए थे.
मालूम हो कि पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का संकट गहराता चला जा रहा है.
विश्वभर के देशों द्वारा जारी किए गए आधिकारिक आंकड़ों और विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के आधार पर समाचार एजेंसी एएफपी द्वारा की गई की गणना के अनुसार, बृहस्पतिवार तक दुनियाभर के 188 देशों में कोरोना वायरस से संक्रमण (कोविड-19) के कम से कम 10,00,036 मामले दर्ज किए गए हैं और अब तक 51,718 लोगों की मौत हो चुकी है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)