केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी के मद्देनजर सांसद निधि को दो साल के लिए निलंबित करने का फैसला किया है. सांसद निधि को निलंबित किए जाने पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस ने कहा कि इससे नई दिल्ली की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखा जाएगा, न कि 543 सांसदों के स्थानीय मुद्दों को.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी के मद्देनजर सोमवार को फैसला किया कि प्रधानमंत्री, मंत्रियों और सांसदों के वेतन में एक साल के लिए 30 फीसदी की कटौती होगी तथा सांसद निधि को दो साल के लिए निलंबित किया जाएगा.
सरकार के मुताबिक इसकी पेशकश प्रधानमंत्री, मंत्रियों और सांसदों ने कोरोना संकट के मद्देनजर खुद की थी जिसके बाद कैबिनेट ने इस निर्णय पर मुहर लगाई.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल और मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावेड़कर ने बताया कि सांसदों के वेतन में 30 फीसदी की कटौती के संदर्भ में अध्यादेश को मंजूरी दी गयी.
जावड़ेकर ने कहा कि यह कटौती 1 अप्रैल 2020 से लागू होगी.
उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और कई राज्यों के राज्यपालों ने भी स्वेच्छा से वेतन में 30 फीसदी में कटौती के लिए पत्र लिखा है.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री , मंत्रियों और सांसदों ने खुद अपने सामाजिक उत्तरदायित्व की पेशकश की थी. इसके मद्देनजर सांसदों के वेतन में एक साल के लिए 30 फीसदी की कटौती का निर्णय हुआ.
जावड़ेकर ने कहा कि प्रधानमंत्री, मंत्रियों और सांसदों ने एक साल के लिए वेतन का 30 फीसदी नहीं लेने का निर्णय खुद लिया.
उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि सांसदों के भत्ते में कटौती होगी अथवा नहीं.
मंत्री के मुताबिक सांसदों के वेतन, भत्ते और पेंशन से जुड़ा कानून है, इसलिए अध्यादेश का निर्णय हुआ और संसद के आगामी सत्र के दौरान कानून में संसोधन वाले इस अध्यादेश पर संसद की मंजूरी ली जाएगी.
मंत्रिमंडल और मंत्रिपरिषद की बैठक वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से हुई.
जावड़ेकर ने कहा, ‘कैबिनेट ने देश भर में कोविड-19 के प्रभाव को कम करने और स्वास्थ्य प्रबंधन को मजबूत करने के लिए 2020-21 और 2021-22 के दौरान सांसद निधि के अस्थायी निलंबन को मंजूरी दी.’ जावड़ेकर ने कहा कि वेतन में कटौती और सांसद निधि के निलंबन के रूप लिए गए दोनों निर्णय कोरोना के खिलाफ केंद्र एवं राज्य सरकारों की लड़ाई को नयी दिशा देने वाले और महत्वपूर्ण साबित होंगे.
कांग्रेस ने सांसदों के वेतन में कटौती का स्वागत किया, सांसद निधि बहाल करने की मांग की
कांग्रेस ने कोरोना संकट के मद्देनजर सांसदों के वेतन में 30 फीसदी की कटौती के निर्णय का सोमवार को स्वागत किया,हालांकि सांसद निधि को दो साल के लिए निलंबित किए जाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे संसदीय क्षेत्रों में विकास कार्यों को नुकसान होगा और ऐसे में इसे बहाल किया जाना चाहिए.
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने दावा किया कि सरकार का यह फैसला देश के आपातकाल की तरफ बढ़ने का प्रमाण है. उन्होंने कहा कि सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए.
चौधरी ने ट्वीट किया, ‘सांसद निधि को निलंबित करना जनप्रतिनिधियों और मतदाताओं के प्रति घोर अन्याय है क्योंकि आम मतदाता की मांग पर सांसदों को अपनी निधि विकास कार्य में खर्च करने की स्वायत्तता होती है.’
उन्होंने दावा किया, ‘सरकार के निर्णय से साबित होता है कि देश वित्तीय आपातकाल की तरफ बढ़ रहा है.’
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक बयान में कहा, ‘प्रधानमंत्री जी, कांग्रेस सांसदों के वेतन में कटौती का समर्थन करती है. 30 नहीं 40 या 50 फीसदी कटौती कर सकते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘सांसद निधि संसदीय क्षेत्रो में विकास कार्यों के लिए बनी है. सांसद निधि को निलंबित करना संसदीय क्षेत्रों के लिए बड़ी हानि है और इससे सांसद की भूमिका एवं कामकाज प्रभावित होगा.’
सुरजेवाला ने कहा कि सांसद निधि को बहाल करना चाहिए और भारत सरकार के खर्च में कटौती करनी चाहिए.
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि सांसद निधि को बहाल किए जाना चाहिए क्योंकि यह राशि क्षेत्र के विकास कार्यों पर खर्च होती है.
थरूर ने कहा, केंद्र की तरफ से प्रधानमंत्री, मंत्रियों और सांसदों के वेतन में 30 फीसदी कटौती करने का फैसला स्वागत योग्य कदम है. देश में महामारी से जूझ रही जनता के सामने यह एकता दिखाने का अच्छा रास्ता है. लेकिन, अध्यादेश लाकर दो साल तक सांसद के एमपी लैड के पैसे को रोकना और उसे केंद्र की तरफ से बनाए गए फंड में डालना यह समस्या खड़ा करनेवाला कदम है.
उन्होंने कहा कि सांसद निधि वह पैसा होता है जिसे सांसदों की तरफ से सीधे संसदीय क्षेत्र में खर्च किया जाता है और भारतीय सांसदों के अच्छे काम में उसे गिना जाता है. लेकिन, अब यह पैसा केंद्र की तरफ से आवंटित होगा और इसमें नई दिल्ली की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखा जाएगा, न कि 543 सांसदों के स्थानीय मुद्दों को.
दूसरी तरफ, कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं जयराम रमेश और राजीव गौड़ा ने पार्टी से अलग रुख जाहिर करते हुए सांसद निधि को दो साल के लिए निलंबित किए जाने के फैसले का स्वागत किया है.
हर संसद सदस्य को सांसद निधि के रूप में हर साल पांच करोड़ रुपये की राशि मिलती है जो वह अपने क्षेत्र के विकास कार्यों में खर्च कर सकता है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)