कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पत्र लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ‘पीएम केयर्स’ फंड की संपूर्ण राशि ‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष’ में स्थानांतरित करने, सरकारी खर्च में 30 प्रतिशत की कटौती करने, ‘सेंट्रल विस्टा’ परियोजना को स्थगित करने और सरकारी विज्ञापनों पर दो साल तक रोक लगाने का अनुरोध किया.
नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि कोरोना संकट के मद्देनजर सरकारी खर्च में 30 प्रतिशत की कटौती और ‘सेंट्रल विस्टा’ परियोजना को स्थगित करने सहित कई कदम उठाये जाएं
उन्होंने मोदी को लिखे पत्र में यह सुझाव भी दिया कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रियों और नौकरशाहों के विदेश दौरों को स्थगित करने और सरकारी विज्ञापनों पर भी दो साल तक रोक लगाने की जरूरत है.
सोनिया गांधी ने सांसदों के वेतन में 30 फीसदी की कटौती के फैसले का समर्थन किया. कोरोना संकट को लेकर प्रधानमंत्री ने रविवार को फोन पर सोनिया गांधी से बात की थी.
पत्र में सोनिया ने कहा, ‘सांसदों का वेतन 30 प्रतिशत कम करने के निर्णय का हम समर्थन करते हैं. कोविड-19 की महामारी के खिलाफ लड़ने के लिए पैसे एकत्रित करने में अतिसंयमित खर्च आज के समय की मांग है. इसी भावना से मैं आपको पांच सुझाव दे रही हूं. मुझे विश्वास है कि आप इन्हें लागू करेंगे.’
उन्होंने कहा, ‘सरकार एवं सरकारी उपक्रमों द्वारा मीडिया विज्ञापनों- टेलीविज़न, प्रिंट एवं ऑनलाइन विज्ञापनों पर दो साल के लिए रोक लगा यह पैसा कोरोना वायरस से उत्पन्न हुए संकट से लड़ने में लगाया जाए. केवल कोविड-19 बारे परामर्श या स्वास्थ्य से संबंधित विज्ञापन ही इस बंदिश से बाहर रखे जाएं.’
सोनिया के मुताबिक, केंद्र सरकार मीडिया विज्ञापनों पर हर साल लगभग 1,250 करोड़ रुपये खर्च करती है. इसके अलावा सरकारी उपक्रमों एवं सरकारी कंपनियों द्वारा विज्ञापनों पर खर्च की जाने वाली सालाना राशि इससे भी अधिक है.
उन्होंने कहा, ‘20,000 करोड़ रुपये की लागत से बनाए जा रहे ‘सेंट्रल विस्टा’ परियोजना को स्थगित किया जाए. मौजूदा स्थिति में विलासिता पर किया जाने वाला यह खर्च व्यर्थ है. मुझे विश्वास है कि संसद मौजूदा भवन से ही अपना संपूर्ण कार्य कर सकती है.’
सोनिया ने कहा कि इस परियोजना से बचाई गई राशि का उपयोग नए अस्पतालों व जांच सुविधाओं के निर्माण तथा स्वास्थ्यकर्मियों को निजी सुरक्षा उपकरण (‘पीपीई’) एवं बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए किया जाए.
उन्होंने यह आग्रह भी किया, ‘भारत सरकार के खर्चे के बजट (वेतन, पेंशन एवं सेंट्रल सेक्टर की योजनाओं को छोड़कर) में भी इसी अनुपात में 30 प्रतिशत की कटौती की जानी चाहिए. यह 30 प्रतिशत राशि (लगभग 2.5 लाख करोड़ रु. प्रतिवर्ष) प्रवासी मजदूरों, श्रमिकों, किसानों, एमएसएमई एवं असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों के लिए आवंटित की जाए.’
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, राज्य के मंत्रियों तथा नौकरशाहों द्वारा की जाने वाली सभी विदेश यात्राओं को स्थगित किया जाए. केवल देशहित के लिए की जाने वाली आपातकालीन एवं अत्यधिक आवश्यक विदेश यात्राओं को ही प्रधानमंत्री द्वारा अनुमति दी जाए.’
सोनिया के अनुसार विदेश यात्राओं पर खर्च की जाने वाली राशि कोरोना वायरस से लड़ाई में सार्थक तौर से उपयोग की जा सकती है.
उन्होंने ‘पीएम केयर्स’ फंड की संपूर्ण राशि को ‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष’ में स्थानांतरित करने की मांग.
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘इससे इस राशि के आवंटन एवं खर्चे में पारदर्शिता, जिम्मेदारी तथा ऑडिट सुनिश्चित हो पाएगा. जनता की सेवा के लिए तय राशि के वितरण के लिए दो अलग-अलग मद बनाना मेहनत व संसाधनों की बर्बादी है.’
उन्होंने कहा कि पीएम-एनआरएफ में लगभग 3800 करोड़ रु. की राशि बिना उपयोग के पड़ी है. यह कोष तथा ‘पीएम-केयर्स’ की राशि को मिलाकर समाज में हाशिए पर रहने वाले लोगों को तत्काल खाद्य सुरक्षा चक्र प्रदान किया जाए.
एनबीए ने मीडिया विज्ञापनों पर रोक लगाए जाने संबंधी सुझाव की निंदा की
न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) ने सरकार और सरकारी उपक्रमों द्वारा मीडिया विज्ञापनों पर दो साल के लिए रोक लगाये जाने संबंधी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सुझाव की मंगलवार को ‘कड़ी निंदा’ की. एनबीए ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष का यह सुझाव मीडियाकर्मियों के ‘मनोबल को गिराने’ वाला है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में गांधी ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए विभिन्न सुझाव दिये. उन्होंने कहा, ‘सरकार एवं सरकारी उपक्रमों द्वारा मीडिया विज्ञापनों- टेलीविज़न, प्रिंट एवं ऑनलाइन विज्ञापनों पर दो साल के लिए रोक लगा यह पैसा कोरोना वायरस से उत्पन्न हुए संकट से लड़ने में लगाया जाए. केवल कोविड-19 के बारे में परामर्श या स्वास्थ्य से संबंधित विज्ञापन ही इस बंदिश से बाहर रखे जाएं.’
एनबीए के अध्यक्ष रजत शर्मा ने एक बयान में कहा कि एसोसिएशन मीडिया विज्ञापनों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाये जाने संबंधी कांग्रेस अध्यक्ष के सुझाव को पूरी तरह से खारिज करती है.
उन्होंने कहा, ‘ऐसे समय में जब मीडियाकर्मी अपने जीवन की चिंता किये बगैर महामारी पर समाचारों को प्रसारित कर अपने राष्ट्रीय कर्तव्य को निभा रहे हैं, कांग्रेस अध्यक्ष से इस तरह का बयान उनके (मीडियाकर्मियों) मनोबल को गिराने वाला है.’
शर्मा ने कहा कि एक तरफ तो मंदी के कारण इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के विज्ञापन राजस्व में कमी आई है तो वहीं दूसरी ओर सभी उद्योगों और व्यवसायों के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण वित्तीय संकट से जूझ रहे है.
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, समाचार चैनल अपने पत्रकारों और अन्य कर्मचारियों को सुरक्षा प्रदान करने पर भारी धनराशि खर्च कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह गलत समय पर दिया गया मनमाना सुझाव है. एनबीए ने कांग्रेस अध्यक्ष से अपना सुझाव वापस लेने का अनुरोध किया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)