बीएमसी का ग़ैर-ज़रूरी सेवाओं के स्टाफ को निर्देश, 50 फीसदी उपस्थिति न होने पर कटेगा वेतन

कर्मचारी यूनियन का कहना है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के डर और यातायात के सीमित साधनों के चलते बहुत से कर्मचारी काम पर नहीं आ रहे हैं.

Mumbai: Municipal Corporation (BMC) worker sprays disinfectant inside a Brihanmumbai Electricity Supply and Transport (BEST) bus, during the nationwide lockdown in the wake of the coronavirus pandemic, at Borivali in Mumbai, Wednesday, April 8, 2020. (PTI Photo) (PTI08-04-2020 000218B)

कर्मचारी यूनियन का कहना है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के डर और यातायात के सीमित साधनों के चलते बहुत से कर्मचारी काम पर नहीं आ रहे हैं.

Mumbai: Municipal Corporation (BMC) worker sprays disinfectant inside a Brihanmumbai Electricity Supply and Transport (BEST) bus, during the nationwide lockdown in the wake of the coronavirus pandemic, at Borivali in Mumbai, Wednesday, April 8, 2020. (PTI Photo) (PTI08-04-2020 000218B)
लॉकडाउन के दौरान सेनिटाइजेशन के काम में लगे बीएमसी कर्मचारी (फोटो: पीटीआई)

बृह्नमुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने कहा है कि उनके गैर-आवश्यक सेवाओं से जुड़े विभागों के कर्मचारियों की उपस्थिति अगर 50 प्रतिशत से कम हुई, तो उनकी तनख्वाह में कटौती की जाएगी.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार महानगरपालिका ने बुधवार को इस बारे में एक सर्कुलर जारी किया है. बताया जा रहा है कोरोनावायरस के संक्रमण के डर और यातायात के सीमित साधनों के चलते बहुत से कर्मचारी काम पर नहीं आ रहे हैं.

बीएमसी के आदेश के मुताबिक, 23 मार्च से 14 अप्रैल के बीच 50 प्रतिशत से कम दिन की उपस्थिति होने पर वेतन में उसी अनुपात में कटौती की जाएगी.

सामान्य प्रशासक विभाग के एक अधिकारी ने इस अख़बार को बताया, ‘महानगरपालिका प्रशासन की ओर से आवश्यक सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों सहित सभी को पहले ही निर्देश दिया गया था कि उन्हें पचास फीसदी उपस्थिति बनाए रखनी है. कर्मचारियों को रोटेशन में काम करना चाहिए, जिससे बाकी काम होते रहें. हालांकि कई विभागों में ऐसा नहीं हो रहा है, लोग काम पर नहीं आ रहे हैं.’

उन्होंने आगे बताया, ‘बहुत से लोग जो मानसून के पहले होने वाले कामों से जुड़े हुए हैं, वे भी काम पर नहीं आ रहे हैं. इससे और बड़ी मुश्किल खड़ी हो जाएगी क्योंकि मानसून जल्द ही आ जाएगा. तब शहर में पानी जमा होने और सड़क के गड्ढों जैसे मसले पैदा हो जाएंगे, क्योंकि कई इलाकों में इनसे जुड़ा काम अधूरा पड़ा है.’

बीएमसी में करीब एक लाख कर्मचारी हैं. कोरोना संक्रमण से बचने एक लिए घोषित लॉकडाउन के चलते जहां एक ओर आवश्यक सेवाओं जैसे ठोस कचरा निस्तारण, ड्रेनेज, अस्पताल और पानी की सप्लाई से जुड़े स्टाफ को उनके पहले की तरह नियमित काम पर आना था, गैर आवश्यक सेवाओं से जुड़े विभागों को 50 कर्मचारियों के साथ काम करना था.

हालांकि बीएमसी के इस सर्कुलर से कर्मचारी यूनियन सहमत नहीं है. उनका कहना है कि ज्यादा स्टाफ को काम पर आने  करने से सोशल डिस्टैन्सिंग का मकसद ही पूरा नहीं होगा, साथ ही सीमित यातायात साधनों के चलते स्वास्थ्य संबंधी जोखिम भी होगा.

मुंबई महामहानगरपालिका कार्यालीन कर्मचारी संगठन के महासचिव प्रकाश देवदास ने बताया, ‘केंद्र और राज्य सरकार दोनों ने कहा है कि आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों के अलावा किसी को बाहर नहीं निकलना चाहिए. लेकिन यहां तो महानगरपालिका प्रशासन काम पर आने की कह रहा है. और जब खुद राज्य सरकार केवल इसके 5 प्रतिशत स्टाफ के साथ काम कर रही है, तो बीएमसी के 50 फीसदी कर्मचारियों को काम क्यों करना चाहिए.’

उन्होंने आगे कहा, ‘इसके अलावा एक बड़ी समस्या आने-जाने और खाने की भी है. और अगर सेहत के लिहाज से जोखिम लेकर लोग काम पर आते भी हैं, तो उन्हें भी आवश्यक सेवाओं में लगे कर्मचारियों की तरह इन्श्योरेंस दिया जाना चाहिए.’

प्रकाश ने यह भी जोड़ा कि यातायात के पर्याप्त साधनों का न होना भी एक बड़ी परेशानी है. उन्होंने कहा, ‘इस समय ट्रेन बंद हैं और बेस्ट और राज्य परिवहन की बसें सीमित रूट पर ही चल रही हैं, ऐसे में अगर कर्मचारी चाहें भी तो वे काम पर आ नहीं सकेंगे… और उनकी सुरक्षा का भी सवाल है.’

प्रकाश का कहना है कि या तो यह सर्कुलर को वापस लिया जाए या फिर महानगरपालिका प्रशासन की ओर से इन कर्मचारियों के लिए अलग से आने-जाने, खाने की व्यवस्था की जाए और इंश्योरेंस दिया जाए.