नागरिक अधिकार कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े और गौतम नवलखा पर 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एलगार परिषद की बैठक में भड़काऊ भाषण देने के आरोप हैं, जिसके बाद पुणे के भीमा कोरेगांव में हिंसा भड़की थी.
मुंबईः पुणे में भीमा कोरेगांव हिंसा के संबंध में नागरिक अधिकार कार्यकर्ता डॉ. आनंद तेलतुम्बड़े और गौतम नवलखा ने मंगलवार को राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया, जिसके बाद इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
नवलखा और तेलतुम्बड़े पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं.
तेलतुम्बड़े ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार एनआईए के दक्षिण मुंबई के कम्बाला हिल स्थित कार्यालय में आत्मसमर्पण किया, जिसके बाद एजेंसी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.
उन्हें विशेष अदालत के समक्ष ले जाया गया, जहां एनआईए ने इस मामले में उनकी कथित भागीदारी की जांच करने की मांग करते हुए उन्हें 10 दिन तक हिरासत में रखे जाने की मांग की.
विशेष न्यायाधीश एटी वानखेडे ने तेलतुम्बड़े को 18 अप्रैल तक एनआईए की हिरासत में भेज दिया.
तेलतुम्बड़े अपनी पत्नी रमा आंबेडकर और उनके भाई प्रकाश आंबेडकर के साथ आत्मसमर्पण करने के लिए यहां एनआईए के कार्यालय पहुंचे थे.
Delhi: Activist Gautam Navlakha today surrendered before National Investigation Agency (NIA) in connection with Bhima Koregaon violence matter. pic.twitter.com/Mz1q7D3AOx
— ANI (@ANI) April 14, 2020
मामले में एक सह-आरोपी नागरिक अधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने भी दिल्ली में एनआईए के समक्ष आत्मसमर्पण किया.
उन्हें बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये विशेष अदालत के समक्ष पेश किया जाएगा. उन्हें एनआईए की मांग पर मुंबई भी लाया जा सकता है.
इससे पहले उनकी अग्रिम जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी.
शीर्ष अदालत ने बीते 16 मार्च को इन कार्यकर्ताओं की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि यह नहीं कहा जा सकता कि उनके खिलाफ पहली नजर में कोई मामला नहीं बना है. हालांकि न्यायालय ने इन कार्यकर्ताओं को जेल अधिकारियों के समक्ष समर्पण करने के लिए तीन सप्ताह का वक्त दिया था.
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने बीते नौ अप्रैल को इन दोनों को आत्मसमर्पण करने के लिए एक और सप्ताह का समय दिया था.
माओवादियों से संबंध के आरोप में तेलतुम्बड़े, नवलखा और नौ अन्य नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामले दर्ज किए गए हैं.
पुलिस के अनुसार, इन लोगों ने 31 दिसम्बर, 2017 को पुणे में आयोजित एलगार परिषद की बैठक में भड़काऊ भाषण और बयान दिये थे जिसके अगले दिन भीमा-कोरेगांव में हिंसा भड़क गई थी.
गौतम नवलखा, आनंद तेल्तुम्बड़े और कई अन्य कार्यकर्ताओं के खिलाफ माओवादियों से कथित रूप से संपर्क रखने के कारण मामले दर्ज किए थे.
पुलिस का आरोप है कि वे प्रतिबंधित माओवादी समूहों के सक्रिय सदस्य हैं. इसके बाद यह मामला एनआईए को सौंप दिया गया था.
हालांकि इन कार्यकर्ताओं ने पुलिस के इन आरोपों से इनकार किया था.
बता दें कि तेलतुम्बडे़ ने सोमवार को राष्ट्र के नाम एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने निस्वार्थ रूप से लगभग पांच दशकों तक देश की सेवा की है.
वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने भी मंगलवार को आत्मसमर्पण करने से पहले एक खुला खत लिखते हुए गैरकानूनी गतिविधि (निवारक) अधिनियम (यूएपीए) की आलोचना की थी, जिसके तहत पुणे पुलिस ने उन पर मामला दर्ज किया है.
मालूम हो कि एक जनवरी 2018 को वर्ष 1818 में हुई कोरेगांव-भीमा की लड़ाई को 200 साल पूरे हुए थे. इस दिन पुणे ज़िले के भीमा-कोरेगांव नाम के गांव में दलित समुदाय के लोग पेशवा की सेना पर ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना की जीत का जश्न मनाते हैं. इस दिन दलित संगठनों ने एक जुलूस निकाला था. इसी दौरान हिंसा भड़क गई, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी.
पुलिस ने आरोप लगाया है कि 31 दिसंबर 2017 को हुए एल्गार परिषद के सम्मेलन में भड़काऊ भाषणों और बयानों के कारण भीमा-कोरेगांव में एक जनवरी को हिंसा भड़की.
जेल में बंद नौ अन्य नागरिक अधिकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं और वकीलों के साथ तेलतुम्बड़े पर कथित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रचने और पिछले साल 1 जनवरी को कोरेगांव-भीमा में पहुंचने वाले दलितों को हिंसा के लिए भड़काने का आरोप है.
28 अगस्त 2018 को महाराष्ट्र की पुणे पुलिस ने माओवादियों से कथित संबंधों को लेकर पांच कार्यकर्ताओं- कवि वरवरा राव, अधिवक्ता सुधा भारद्वाज, सामाजिक कार्यकर्ता अरुण फरेरा, गौतम नवलखा और वर्णन गोंसाल्विस को गिरफ़्तार किया था. महाराष्ट्र पुलिस का आरोप है कि इस सम्मेलन के कुछ समर्थकों के माओवादी से संबंध हैं.
इससे पहले महाराष्ट्र पुलिस ने जून 2018 में एल्गार परिषद के कार्यक्रम से माओवादियों के कथित संबंधों की जांच करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन और महेश राउत को गिरफ्तार किया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)