महिला अधिकार समूहों ने अपने बयान में हालिया घटनाक्रम का उल्लेख करते हुए कहा है कि सरकार बुद्धिजीवियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के साथ-साथ पत्रकारों को भी निशाना बना रही है, जो उसकी दोषपूर्ण नीतियों पर सवाल उठाते रहे हैं.
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए महिला अधिकार समूहों ने मांग की है कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले लोगों के अलावा मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को जेल से रिहा किया जाए और तत्काल उनके खिलाफ मुकदमे बंद किए जाएं.
ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक विमन्स एसोसिएशन, नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमन और ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव विमन एसोसिएशन (एप्वा) की ओर से हस्ताक्षरित एक बयान आया है, जिसमें सरकार से मांग की गई है कि वह असहमति रखने वाले लोगों को निशाना बनाना बंद करे.
महिला अधिकार कार्यकर्ता और एप्वा की सचिव कविता कृष्णन ने कहा कि उन्होंने मांग की है कि कोरोना वायरस के प्रकोप के मद्देनजर सभी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले लोगों को तत्काल छोड़ा जाए.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक बयान में कहा गया है कि केंद्र और राज्य सरकारों को संविधान के तहत दिए गए नागरिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वाले सभी आदेशों को भी वापस लेना चाहिए.
बयान में हालिया घटनाक्रम का उल्लेख करते हुए कहा है कि सरकार बुद्धिजीवियों और कार्यकर्ताओं के साथ-साथ प्रमुख पत्रकारों को भी निशाना बना रही है, जो सरकार की दोषपूर्ण नीतियों पर सवाल उठाते रहे हैं.
बयान में कहा गया, ‘यह उनके लोकतांत्रिक, नागरिक और कानूनी अधिकारों पर एक गंभीर हमला है. बिना किसी सबूत के एफआईआर, गिरफ्तारी, कारावास की सजा नए मानदंड बन गए हैं.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)