लॉकडाउन: घर जाने की मांग पर गुजरात के सूरत में मज़दूरों ने फिर किया प्रदर्शन

बीते मंगलवार को कोरोना वायरस के चलते लागू देशव्यापी लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ाने की घोषणा के बाद हज़ारों की संख्या में प्रवासी मज़दूर घर जाने की मांग को लेकर मुंबई के बांद्रा इलाके में सड़क जमा हो गए थे. सूरत में ही बीते 10 अप्रैल को इसी मांग के साथ मजदूरों ने हंगामा किया था.

(फोटो: पीटीआई)

बीते मंगलवार को कोरोना वायरस के चलते लागू देशव्यापी लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ाने की घोषणा के बाद हज़ारों की संख्या में प्रवासी मज़दूर घर जाने की मांग को लेकर मुंबई के बांद्रा इलाके में सड़क जमा हो गए थे. सूरत में ही बीते 10 अप्रैल को इसी मांग के साथ मजदूरों ने हंगामा किया था.

(फोटो: पीटीआई)
(फोटो: पीटीआई)

सूरत: कोरोना वायरस के चलते देश में तीन मई तक लागू लॉकडाउन के बावजूद गुजरात के सूरत शहर में मंगलवार शाम एक बार फिर से सैकड़ों प्रवासी मजदूर इस मांग के साथ एकत्रित हो गए कि उन्हें उनके मूल स्थानों को भेजा जाए.

घर जाने की ही मांग को लेकर मुंबई के बांद्रा बस डिपो पर भी मंगलवार को हजारों की संख्या में जुट गए थे.

पुलिस ने बताया कि प्रवासी मजदूर सूरत शहर के वराछा क्षेत्र में एकत्रित हो गए और यह मांग करते हुए सड़क पर बैठ गए कि उन्हें उनके मूल स्थानों को जाने की इजाजत दी जाए.

मौके पर एक पुलिस अधिकारी ने संवाददाताओं से कहा, ‘ये प्रवासी मजदूर अपने मूल स्थानों को जाना चाहते हैं. हमने इन्हें बेसब्र नहीं होने के लिए कहा क्योंकि वर्तमान समय में लॉकडाउन लागू है.’

उन्होंने कहा, ‘चूंकि उनमें से कुछ लोग भोजन के बारे में शिकायत कर रहे थे, इसलिए हमने एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) को बुलाया और इनके लिए तत्काल भोजन के पैकेट के इंतजाम किए. स्थिति अब नियंत्रण में है.’

दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, वराछा इलाका सूरत का हीरा पॉलिश हब है और लाखों मजदूरों को रोजगार मुहैया कराता है. इस इलाके में टेक्सटाइल की कई इकाइयां भी हैं. प्रदर्शन कर रहे कामगारों में ज्यादातर ओडिशा, उत्तर प्रदेश और बिहार से थे.

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, घटनास्थल पर पहुंचे स्थानीय विधायक और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री किशोर काननी ने कहा, ये मजदूर घर जाना चाहते हैं. इन्हें उम्मीद थी कि 14 अप्रैल को लॉकडाउन समाप्त हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, इसी को लेकर यह प्रदर्शन करने लगे.

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात के सूरत शहर में तकरीबन 12 लाख मजदूर रहते हैं.

कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए पिछले महीने लॉकडाउन लागू होने के बाद से दिहाड़ी मजदूर बेरोजगार हो गए हैं. इससे उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

मालूम हो कि बीते 10 अप्रैल को लॉकडाउन के बीच सूरत शहर में वेतन और घर वापस लौटने की मांग को लेकर सैकड़ों मजदूर पर सड़क पर उतर आए थे. इन मजदूरों ने शहर के लक्साना इलाके में ठेलों और टायरों में आग लगा कर हंगामा किया था. इस घटना के संबंध में पुलिस ने 80 लोगों को गिरफ्तार किया था.

कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषणा करने के बाद मंगलवार को हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर मुंबई के बांद्रा इलाके में सड़क जमा हो गए थे.

उन्होंने मांग थी कि उन्हें उनके मूल स्थानों को जाने के लिए परिवहन की व्यवस्था की जाए. ये सभी प्रवासी मजदूर दिहाड़ी मजदूर हैं. बाद में उन्हें ब्रांदा रेलवे स्टेशन के पास स्थित आवासों में वापस भेज दिया गया था.

इससे पहले घर जाने की मांग को लेकर बीते 28 मार्च को विभिन्न राज्यों से हजारों की संख्या में आए प्रवासी मजदूर नई दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे पर जमा हो गए थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)