अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन की फंडिंग रोकने पर बिल गेट्स और माइकल ब्लूमबर्ग, यूरोपीय और अफ्रीकी नेताओं तथा स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने डब्ल्यूएचओ का पक्ष लिया.
जिनेवा/अदीस अबाबा/ब्रसेल्स/बीजिंग/तेहरान: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) पर चीन में कोविड-19 के फैलने को लेकर मामले की गंभीरता को छिपाने का आरोप लगाते हुए उसे दी जाने वाली सालाना 50 करोड़ डॉलर तक की अमेरिकी धनराशि को रोकने की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की घोषणा के बाद डब्ल्यूएचओ सहित दुनियाभर के देशों, वैश्विक संस्थाओं और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने ट्रंप की कड़ी आलोचना की है.
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा था कि यह समय डब्ल्यूएचओ के संसाधनों में कटौती करने का नहीं है.
ट्रम्प ने दावा किया था कि डब्ल्यूएचओ चीन से विषाणु के नमूने हासिल करने में नाकाम रहा और उसने इस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए यात्रा प्रतिबंधों का विरोध करने का ‘विनाशकारी फैसला’ किया.
उन्होंने डब्ल्यूएचओ का भुगतान तब तक के लिए रोकने का आदेश दिया जब तक कोरोना वायरस के प्रकोप को कथित रूप से अत्यंत ढुलमुल तरीके से संभालने तथा इसे छिपाने में उसकी भूमिका की जांच नहीं हो जाती.
ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका के करदाता डब्ल्यूएचओ को सालाना 40 से 50 करोड़ डॉलर देते हैं जबकि चीन सालाना तकरीबन 4 करोड़ डॉलर या उससे भी कम राशि देता है.
President @realDonaldTrump is halting funding of the World Health Organization while a review is conducted to assess WHO's role in mismanaging the Coronavirus outbreak. pic.twitter.com/jTrEf4WWj0
— The White House 45 Archived (@WhiteHouse45) April 14, 2020
अमेरिका ने अप्रैल तक कोरोना वायरस से निपटने में मदद के लिए डब्यूएचओ द्वारा गठित आपात निधि में कम से कम 1.5 करोड़ डॉलर का शुरुआती योगदान दिया है.
दुनियाभर में कोरोना वायरस के संक्रमण से मौत के मामले 1,25,000 पर पहुंच गए हैं और दिसंबर से अब तक 20 लाख से ज्यादा लोग इस महामारी की चपेट में आए हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन
विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख ने संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी का वित्त पोषण रोके जाने के अमेरिका के फैसले पर बुधवार को बरसते हुए उसके फैसलों की समीक्षा करने का वादा किया. हालांकि उन्होंने कथित कुप्रबंधन, कुछ गतिविधियों पर पर्दा डालने और गलत कदम उठाने के बारे में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की शिकायतों को नजरंदाज कर दिया.
ट्रम्प के वित्त पोषण रोकने की घोषणा करने के बाद डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडेहनम ग्रेब्रेयेसुस ने एजेंसी का बचाव किया.
टेड्रोस ने कहा कि इस महामारी से निपटने में डब्ल्यूएचओ के प्रदर्शन की समीक्षा की जाएगी जो पारदर्शिता तथा जवाबदेही सुनिश्चित करने की ‘सामान्य प्रक्रिया’ है.
उन्होंने कहा, ‘हम विश्व स्वास्थ्य संगठन का वित्त पोषण रोकने के अमेरिका के राष्ट्रपति के फैसले पर खेद जताते हैं. डब्ल्यूएचओ अमेरिकी वित्त पोषण वापस लेने के कारण हमारे काम पर पड़ने वाले असर की समीक्षा कर रहा है और हम किसी भी वित्तीय कमी को पूरा करने के लिए अपने साझेदारों के साथ काम करेंगे.’
उन्होंने कहा, ‘अभी के लिए हमारा ध्यान विषाणु को रोकने और जिंदगियों को बचाने पर है.’
अफ्रीकी संघ आयोग प्रमुख
अफ्रीकी संघ आयोग के अध्यक्ष मूसा फकी महामत ने बुधवार को कहा कि डब्ल्यूएचओ की वित्तीय मदद रोकने का ट्रंप का निर्णय ‘अत्यंत दुखद’ है.
फकी ने ट्वीट किया, ‘पहले के मुकाबले विश्व आज कोविड-19 महामारी से निपटने के वैश्विक प्रयासों को आगे बढ़ाने में डब्ल्यूएचओ के नेतृत्व पर कहीं अधिक निर्भर है.’
उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ की वित्तीय मदद रोकने का ट्रंप का निर्णय ‘अत्यंत दुखद’ है.
अफ्रीका विश्व के अन्य क्षेत्रों की तरह अभी कोरोना वायरस से ज्यादा प्रभावित नहीं है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि कमजोर स्वास्थ्य प्रणाली के चलते संबंधित क्षेत्र भी ज्यादा प्रभावित हो सकता है. अफ्रीका में अभी तक कोरोना वायरस के 16,125 मामले सामने आए हैं और 869 लोगों की मौत हुई है.
यूरोपीय संघ
यूरोपीय संघ (ईयू) ने कहा है कि इस नाजुक घड़ी में डब्ल्यूएचओ को वित्तीय अनुदान रोकने का अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले का कोई कारण नहीं है. साथ ही, विभाजन के बजाय एकजुटता को प्रोत्साहित करने के कदम उठाने की भी अपील की.
Deeply regret US decision to suspend funding to @WHO. There is no reason justifying this move at a moment when their efforts are needed more than ever to help contain & mitigate the #coronavirus pandemic. Only by joining forces we can overcome this crisis that knows no borders.
— Josep Borrell Fontelles (@JosepBorrellF) April 15, 2020
ईयू की विदेश नीति के प्रमुख जोसेप बोरेल ने कहा कि 27 देशों का संगठन कोष की आपूर्ति निलंबित किये जाने पर गहरा अफसोस प्रकट करता है, जबकि कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिये डब्ल्यूएचओ को अभी धन की सर्वाधिक जरूरत है.
बोरेल ने कहा, ‘हम सिर्फ एकजुट होकर ही इस संकट से निकल सकते हैं. ’ईयू दशकों से अमेरिका का परंपरागत सहयोगी रहा है लेकिन पिछले कुछ बरसों से यह ट्रंप प्रशासन का आलोचक भी रहा है.
चीन
चीन ने बुधवार को कहा कि उसे अमेरिका के विश्व स्वास्थ्य संगठन का कोष रोकने के निर्णय को लेकर ‘काफी चिंता’ है. साथ ही उसने अमेरिका से आग्रह किया कि कोरोना वायरस के संकट के समय वह अपने दायित्वों को पूरा करे.
चीन के अधिकारी झाओ लिजीआन ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘ अमेरिका के निर्णय से डब्ल्यूएचओ की क्षमताएं कम होंगी और महामारी के खिलाफ अभियान में अंतरराष्ट्रीय सहयोग कम होगा.’
एक दिन पहले ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जिनेवा स्थित निकाय पर जीवन रक्षक कदमों को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया था.
ईरान
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन की अमेरिकी वित्तीय सहायता निलंबित किये जाने के बाद ईरान ने बुधवार को कहा कि दुनिया जान रही है कि अमेरिका ‘लोगों की जान लेता है’.
ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जरीफ ने अमेरिका द्वारा आर्थिक सहायता रोके जाने को उनके देश के खिलाफ वाशिंगटन का अत्यधिक दबाव करार दिया.
जरीफ ने ट्वीट किया, ‘महामारी के बीच डब्ल्यूएचओ की वित्तीय मदद को शर्मनाक तरीके से रोकना.’
उन्होंने कहा, ‘दुनिया जान रही है जो ईरान जान चुका है और अब तक उसका अनुभव करता रहा है.’
जरीफ ने कहा, ‘अमेरिकी शासन की डराने-धमकाने और अहंकार भरी बातों को केवल उसकी आदत नहीं कहा जा सकता. बल्कि वह लोगों की जान लेता है.’
भारत
भारत के विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा डब्ल्यूएचओ की फंडिंग रोके जाने पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है. भारत डब्ल्यूएचओ में सुधारों का पक्षधर तो है लेकिन ट्रंप के फैसले को गलत समय पर लिया गया फैसला मान रहा है.
सरकार के सूत्रों के अनुसार, फिलहाल हमारा पूरा प्रयास कोविड-19 महामारी से निपटने में लगा है. एक बार दुनिया इस महामारी पर काबू पा लेगी तब हम दोबारा इस सवाल पर लौटेंगे.
ऑस्ट्रेलिया
अमेरिका के सहयोगी देश ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिशन ट्रंप के फैसले के साथ खड़े नजर लेकिन कहा कि सख्त कदम उठाने के लिए यह जरूरी नहीं था.
बिल गेट्स
बिल गेट्स और माइकल ब्लूमबर्ग जैसे परोपकारियों ने यूरोपीय और अफ्रीकी नेताओं तथा स्वास्थ्य विशेषज्ञों के साथ सुर में सुर मिलाते हुए डब्लयूएचओ का पक्ष लिया और जोर दिया कि अमेरिका को संकट के समय में वित्त पोषण रोकना नहीं चाहिए.
Halting funding for the World Health Organization during a world health crisis is as dangerous as it sounds. Their work is slowing the spread of COVID-19 and if that work is stopped no other organization can replace them. The world needs @WHO now more than ever.
— Bill Gates (@BillGates) April 15, 2020
बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के प्रमुख बिल गेट्स डब्ल्यूएचओ में सबसे बड़े स्वैच्छिक और गैर-राष्ट्र दानकर्ता हैं. उन्होंने ट्रंप द्वारा फंडिंग रोके जाने को खतरनाक बताया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)